Prabhat Times
नई दिल्ली। 25 अप्रैल को होने जा रहे दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के चुनावो में अब शिरोमणि अकाली दल बादल हिस्सा नहीं ले पाएंगे। गुरूद्वारा चुनाव कमिशन ने ये निर्देश जारी किए हैं। गुरू द्वारा चुनाव कमिशन ने नोटिफिकेशन जारी करके निर्देश दिए है कि दिल्ली सिख गुरूद्वारा मैनेजमेंट समिति के चुनावों में सिर्फ 6 पार्टियां ही हिस्सा ले सकती हैं।
बता दें कि बीते दिन डी.एस.जी.पी.सी. द्वारा बीते दिन ऐलान किया था कि 25 अप्रैल को समिति के चुनाव होंगे और 28 अप्रैल को मतों की गिनती होगी। चुनाव प्रक्रिया से पहले आज सुबह शिरोमणि अकाली दल बादल को बड़ा झटका दिया है।
चुनाव समिति ने नोटिफिकेश जारी करके 6 पार्टीयों को जागो जग आसरा, पंथक सेवा दल, आम अकाली दल, पंथक अकाली लहर, सिख सदभावना दल, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली ही चुनाव लड़ पाने के लिए मान्य किया गया है। शिअद बादल को चुनाव लड़ने के लिए मान्य नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि ये चुनाव सिर्फ धार्मिक पार्टीयां ही लड़ सकती है।
वर्ष 2010 में दिल्ली गुरुद्वारा एक्ट 1971 के नियम-14 में किए गए बदलाव को हाई कोर्ट ने लागू करने को कहा है। इस नियम के अनुसार सिर्फ सोसाइटी एक्ट के तहत पंजीकृत पार्टियां ही डीएसजीपीसी चुनाव लड़ सकती है।
बता दें कि इससे पहले डीएसजीपीसी पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) का कब्जा है। पार्टी को पिछले दो चुनावों में जीत मिली थी।

ये है चुनाव प्रक्रिया

डीएसजीपीसी के 55 सदस्यों में से 46 संगत द्वारा चुने जाते हैं। इनके अतिरिक्त श्री अकाल तख्त साहिब, तख्त श्री पटना साहिब, तख्त श्री केशगढ़ साहिब तथा तख्त श्री हुजूर साहिब के जत्थेदार भी डीएसजीपीसी के सदस्य होते हैं। इसी तरह से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का एक प्रतिनिधि भी डीएसजीपीसी सदस्य होती है।
इसके साथ ही दिल्ली के सिंह सभाओं के प्रधानों में से दो को डीएसजीपीसी का सदस्य बनाया जाता है जिनका चयन लाटरी के जरिये होता है। 46 सदस्यों के चुनाव के लिए बिगुल बज गया है। इसके लिए गुरुद्वारा निदेशालय ने 23 निर्वाचन अधिकारी तैनात किए हैं। प्रत्येक निर्वाचन अधिकारी दो सीटों पर चुनाव कराएगा।

प्रत्येक चार वर्ष पर होता है चुनाव

नियम के अनुसार प्रत्येक चार वर्षों में डीएसजीपीसी के चुनाव होने चाहिए। लेकिन, किसी न किसी कारणवश इसमें विलंब भी होता रहा है। पहला चुनाव 1974 में और दूसरा 1979 में हुए लेकिन, उसके बाद 1995 में चुनाव हुआ। वर्ष 2002, वर्ष 2007, वर्ष 2013 व वर्ष 2017 में भी चुनाव हुए।

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