जालंधर। कान्हा जी का जन्मदिन यानिकि श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा तैयारियां की जा रही है। अपने लल्ला जी को रिझाने तथा सुंदर रूप तैयार करने के लिए लोग विभिन्न प्रकार की पोषाकें, वस्त्र, आभूषण की खरीदारी कर रहे हैं। कोरोना महामारी भी श्री कृष्ण भक्तों का उत्साह कम नहीं कर पाया है।
श्री कृष्ण भक्तों की मांग अनुसार जालंधर के जग्गू चौक मे स्थित सबसे पुरानी सेवक धूप फैक्ट्री में लोग खूब जोर शोर से खरीदारी कर रहे हैं। श्री रामजी द्वारा संचालित सेवक धूप फैक्ट्री में हर साल की तरह इस साल भी विभिन्न राज्यों से मंगवाई गई भगवान के वस्त्र, आभूषण व पोषाक की वैरायटी देखते नहीं बन रही हैं।
सेवक धूप फैक्ट्री की दुकान में लड्डू गोपाल की हर सीजन की ड्रेस, मां की रंग बिरंगी चुनरियां, विभिन्न प्रकार के हार, पूजा की थाली, दुर्लभ शंख व रूद्राक्ष सहित अनेक वस्तुएं आपको किसी धार्मिक स्थल का एहसास करवा देती हैं। किसी भी देवी देवता की विधिवत पूजा अर्चना के लिएजरूरी सामान की तमाम वैरायटी जिले में इस दुकान पर ही उपलब्ध है।
पूजा के सामान की कोई ऐसी वस्तु नहीं जो वृंदावन, हरिद्वार, मां वैष्णो देवी मार्ग व श्री केदारनाथ धाम आदि विश्वविख्यात धार्मिक स्थलों की मार्किट से ही मिलती है। उन्हें भी इस दुकान से खरीदा जा सकता है। इसलिए पंजाब भर से लोग यहां पर पूजा का सामान खरीदने आते हैं।
यह पहला अवसर है जब भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के साथ उनके खिलौने भी उपलब्ध करवाए गए हैं। जिसमें पीतल का बैडिमंटन, लुड्डो, बैटबॉल से लेकर कई तरह के खिलौने इजाद किए गए हैं। यह आइटमें भी पंजाब में एक मात्र इसी दुकान पर उपलब्ध करवाई गई हैं।
सूरत व कोलकाता से मंगवाते हैं देवी देवताओं की पोश्क
दुकान के संचालक श्री रामजी बताते हैं कि सिल्क, वेलवेट और गोटा वर्क वाली देवी देवताओं की पोशाकें देश भर में सबसे अधिक सूरच और कोलकाता में तैयार की जाती हैं। सूरत व कोलकाता विदेशों में भी फैंसी ड्रेस के लिए विख्यात है। यहां पर खासकर लड्डू गोपाल, ठाकुर जी, मां भवानी तथा भोले शंकर की सर्दी व गर्मी दोनों सीज़न की ड्रेस तैयार की जाती है। हर वर्ष नई वैरायटी और डिज़ाईन मंगवाए जाते हैं।
दुर्लभ वैरायटी ने दी अलग पहचान
रामजी सेवक धूप से जुड़ी खास बात ये है कि देवी देवताओं की विधिवत पूजा अर्चना के लिए पूजा का सामान के कई ऐसी वैरायटी शामिल रहती है जो वास्वत में दुर्लभ होती है। दुर्लभ वैरायटी में साउथ का पारा शिवलिंग, मोती शंख, बहुमुखी शंख, मोती शंख, बहुमुखी रूद्राक्ष, दुर्लभ शंख, दक्षिणमुख शंख शामिल है। ये सब विभिन्न राज्यों से श्रद्धालुओं के लिए मंगवाए जाते हैं।