Prabhat Times
Chandigarh चंडीगढ़। मुख्यमंत्री भगवंत मान के दूरदर्शी नेतृत्व में पंजाब सरकार ने राज्य के ग्रामीण परिदृश्य को हमेशा के लिए बदलने के लिए एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी पहल शुरू की है।
‘हर पिंड खेड मैदान’ (हर गांव में खेल का मैदान) नाम की यह महत्वाकांक्षी परियोजना केवल बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं है, बल्कि यह ‘रंगला पंजाब’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
यह मिशन मोड में लागू की जा रही एक ऐसी योजना है, जिसका सीधा उद्देश्य पंजाब की जवानी को एक स्वस्थ, अनुशासित और उज्ज्वल भविष्य प्रदान करना है।
यह पहल पंजाब के ग्रामीण दिल की धड़कन को बदलने और एक नई सुबह लाने का वादा करती है।
इस अभूतपूर्व परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण और मुख्य उद्देश्य राज्य सरकार के ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ (नशे के खिलाफ जंग) को ज़मीनी स्तर पर मजबूत करना है।
सरकार ने यह स्पष्ट समझा है कि नशे की कमर तोड़ने के लिए केवल दंडात्मक कार्रवाई ही काफी नहीं है, बल्कि युवाओं को एक सकारात्मक और आकर्षक विकल्प देना भी उतना ही ज़रूरी है।
यह पहल ग्रामीण युवाओं की असीम ऊर्जा को खेल के मैदानों की ओर मोड़कर उन्हें नशे के दलदल से दूर ले जाने का एक शक्तिशाली और रचनात्मक प्रयास है।
यह परियोजना सामाजिक सुधार का एक बेहतरीन मॉडल है, जो युवाओं को नशीली दवाओं के बजाय स्वास्थ्य, अनुशासन और टीम वर्क को चुनने के लिए प्रेरित करेगी।
इस दूरदर्शी योजना के प्रति पंजाब सरकार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके लिए ₹1,194 करोड़ का विशाल बजट आवंटित किया गया है।
यह भारी-भरकम राशि, जो सीधे राज्य के बजट से आ रही है, यह दर्शाती है कि सरकार ग्रामीण विकास और युवा कल्याण को कितनी प्राथमिकता दे रही है।
इस परियोजना के पहले चरण में, राज्य भर के लगभग 3,100 गांवों में “अल्ट्रा-मॉडर्न” यानी अत्याधुनिक खेल के मैदानों का निर्माण किया जाएगा।
यह तो बस शुरुआत है, क्योंकि सरकार का अंतिम लक्ष्य पंजाब के सभी 12,500 गांवों को ऐसे खेल के मैदानों से लैस करना है, जो अपने आप में एक अभूतपूर्व कीर्तिमान होगा।
पंजाब का राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा करने का एक गौरवशाली इतिहास रहा है।
‘हर पिंड खेड़ मैदान’ पहल इस सुनहरी विरासत को पुनर्जीवित करने और नई ऊंचाइयों तक ले जाने का एक ठोस प्रयास है।
ये खेल के मैदान महज़ खेलने की जगह नहीं होंगे; वे प्रतिभा की नर्सरी के रूप में काम करेंगे जहाँ से भविष्य के चैंपियन निकलेंगे।
यह पहल सरकार के बेहद सफल ‘खेड़ां वतन पंजाब दियां’ खेल उत्सवों को एक मज़बूत आधार प्रदान करेगी।
इसके साथ ही, इन मैदानों के आसपास 260 नई “स्पोर्ट्स नर्सरी” स्थापित करने की योजना है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि ग्रामीण प्रतिभाओं को छोटी उम्र से ही पहचाना और तराशा जा सके।
इन “अल्ट्रा-मॉडर्न” स्टेडियमों की अवधारणा पारंपरिक खेल के मैदानों से कहीं आगे है।
प्रत्येक गांव की ज़रूरतों और उपलब्ध भूमि के अनुसार, ये सुविधाएं 0.5 एकड़ से लेकर 4 एकड़ तक के भूखंडों पर विकसित की जाएंगी।
इनमें हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल और क्रिकेट जैसे खेलों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली पिचों के अलावा, एथलेटिक्स ट्रैक भी शामिल होंगे।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इन्हें बहु-पीढ़ी कल्याण केंद्रों (multi-generational wellness hubs) के रूप में डिज़ाइन किया गया है,
जहाँ “ओपन-एयर जिम”, “योग और ध्यान” के लिए समर्पित स्थान, बच्चों के खेलने के क्षेत्र और विशेष रूप से “वरिष्ठ नागरिकों के लिए ज़ोन” भी होंगे।
यह योजना केवल कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़मीन पर “मिशन मोड” में इसका काम तेज़ी से शुरू हो चुका है।
उदाहरण के लिए, सुनाम निर्वाचन क्षेत्र में 11.5 करोड़ रुपये की लागत से 29 स्टेडियमों की योजना बनाई गई है,
जिनमें से पहले 11 गांवों में 5.32 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और इसे केवल 3 महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा करने का लक्ष्य है।
इन परियोजनाओं की लागत ₹23.94 लाख से लेकर ₹117.16 लाख तक है, जो स्थानीय ज़रूरतों के हिसाब से अनुकूलन को दर्शाती है।
इसी तरह, लहरा निर्वाचन क्षेत्र में 40-41 स्टेडियमों की योजना है, जिनमें से 28 का नींव पत्थर रखा जा चुका है।
अमृतसर जिले में 495 संभावित स्थलों की पहचान की गई है और 174 पर विकास कार्य पहले ही शुरू हो चुका है।
इस परियोजना का सबसे अभिनव और दूरदर्शी पहलू इसका रखरखाव (maintenance) का मॉडल है।
सरकार केवल निर्माण करके और मुफ़्त खेल उपकरण प्रदान करके ही नहीं रुक रही है, बल्कि वह इन संपत्तियों का असली स्वामित्व गांवों को सौंप रही है।
योजना के अनुसार, निर्माण के बाद मैदानों के संचालन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी “स्थानीय यूथ क्लबों” को दी जाएगी।
यह एक शानदार कदम है जो “सामुदायिक स्वामित्व” और स्थानीय गौरव की भावना पैदा करेगा।
यह सुनिश्चित करेगा कि ग्रामीण स्वयं इन सुविधाओं की देखभाल करें, जिससे यह ₹1,194 करोड़ का निवेश दशकों तक सुरक्षित और उपयोगी बना रहे।
‘हर पिंड खेड़ मैदान’ पहल पंजाब के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है। यह एक साथ कई लक्ष्यों को साधती है – यह नशे के खिलाफ एक मज़बूत ढाल है, खेल प्रतिभा के लिए एक लॉन्चपैड है, और ग्रामीण समुदायों के लिए एक सामाजिक केंद्र है।
यह ‘बदलदे पिंड, बदलदा पंजाब’ (बदलते गांव, बदलता पंजाब) की सोच को ज़मीन पर उतारता है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में, पंजाब सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह केवल वादे नहीं करती, बल्कि ‘फिट पंजाब, समृद्ध पंजाब’ के अपने दृष्टिकोण को हकीकत में बदलने के लिए ज़मीनी स्तर पर ठोस काम कर रही है।
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