जालंधर। राज्य में मालगाड़ियों की आवाजाही बंद होने से यूरिया और डीएपी की सप्लाई ठप हो गई है, जिससे गेहूं और आलू की फसल लगाने की तैयारी कर रहे किसान परेशानी झेल रहे हैं।
खेती माहिरों के मुताबिक जालंधर में 1.70 लाख हैक्टेयर भूमि में गेहूं की बिजाई की जानी है, जोकि करीब 4.25 लाख एकड़ बनता है।
प्रति कड़ 50 किलो यूरीया और डीएपी खाद की जरूरत है। इसी तरह 56 हजार हैक्टेयर भूमि में आलू की फसल लगाई जानी है।
यहां भी यूरीया और डीएपी की जरूरत है। मगर मालगाड़ियां बंद नहीं होने से इन दोनों महत्वपूर्ण खादों की सप्लाई ठप हो गई है।
यूरीया और डीएपी का छिड़काव फसल लगाते वक्त साथ में ही कर दिया जाता है। अगर इन दोनों खादों का छिड़काव नहीं किया गया तो फसल पर इसका बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
यूरीया में नाइट्रोजन होती है, जोकि गेहूं व आलू की फसल के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है।
इसी तरह डीएपी (डायमोनियम फास्फेट) भी एक पोषक पर्दाथ है, जिसकी कमी के कारण पौधे का झाड़ कम हो सकता है और क्वालिटी में भी गिरावट आ सकती है।
ये दोनों पोषक पदार्थ पौधे की ग्रोथ और जर्मीनेशन के लिए बेहद लाजमी हैं।
मगर पंजाब में यूरीया और डीएपी दोनों की सप्लाई अटकी हुई है क्योंकि यहां पिछले लंबे समय से मालगाड़ीयां बंद हैं।
पंजाब में गेहूं की बिजाई 15 नवंबर तक होगी लेकिन इन दोनों खादों की उपलब्धता नहीं होने की वजह से किसान काफी परेशान हैं।
यदि जल्द इन दोनों पोषक तत्वों की उपलब्धता किसानों को नहीं हुई तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।