Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (Weather update January Kashmir Srinagar) जनवरी में बढ़ते तापमान से वैज्ञानिक चिंतित हैं. सबसे बड़ी चिंता कश्मीर के बदलते मौसम को लेकर है.
कश्मीर में इस साल सर्दियों के मौसम में चौंकाने वाला बदलाव देखने को मिला. मौसम विभाग के अनुसार श्रीनगर में दिन और रात के तापमान में 10 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर दर्ज किया गया.
रात के समय न्यूनतम तापमान शून्य से 4 से 5 डिग्री नीचे पहुंच रहा है. जो सामान्य से 3-4 डिग्री कम है.
अधिकतम तापमान 13-14 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया. जो सामान्य से 6-8 डिग्री अधिक है.
सर्दी में वसंत जैसी गर्मी
दिन के समय तापमान में हो रही वृद्धि से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है.
आमतौर पर इस समय कड़ाके की ठंड पड़ती है. लेकिन इस साल मौसम का मिजाज बदला हुआ है.
वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और प्रदूषण के प्रभाव से जोड़ रहे हैं.
मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. मुख्तार अहमद ने बताया कि जनवरी में इस तरह की गर्मी बेहद असामान्य है.
यह क्षेत्र के तेजी से शहरीकरण, प्रदूषण और वाहनों की बढ़ती संख्या का परिणाम हो सकता है.
बारिश की भारी कमी.. सूखे का संकेत
पिछले एक दशक में कश्मीर के मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिला है.
पिछले साल जम्मू-कश्मीर में 81 प्रतिशत तक बारिश की कमी दर्ज की गई थी. जबकि इस साल अब तक 75 प्रतिशत से अधिक की कमी देखी गई है.
लंबे समय तक बारिश न होने से तापमान में वृद्धि हो रही है. जिससे सर्दियों की ठंडक कम हो रही है.
जलवायु परिवर्तन से बढ़ रही समस्या
एक्सपर्ट्स की मानें तो जलवायु परिवर्तन के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. जिनमें वनों की कटाई, शहरीकरण और बढ़ता प्रदूषण प्रमुख हैं.
बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से कश्मीर के मौसम में बदलाव देखा जा रहा है.
इसका सीधा असर बागवानी और कृषि पर भी पड़ रहा है.
किसानों और बागवानों की बढ़ी चिंता
कश्मीर में खेती और बागवानी करने वाले किसानों के लिए यह मौसम बदलाव परेशानी का कारण बन रहा है.
सेब और अन्य फसलों को ठंडे मौसम की जरूरत होती है. लेकिन इस बार अपेक्षित ठंड न पड़ने से उनकी पैदावार प्रभावित हो सकती है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर जलवायु परिवर्तन पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले वर्षों में इसकी गंभीरता और बढ़ सकती है.
संभावित समाधान और उपाय
एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वनों की कटाई पर रोक लगानी होगी और शहरीकरण को संतुलित तरीके से आगे बढ़ाना होगा.
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय अपनाने के साथ-साथ जल संरक्षण की दिशा में भी काम करना जरूरी है.।
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