Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (violent protests by gen z in nepal they entered the parliament) नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन और करप्शन को लेकर व्यापक आंदोलन छिड़ गया है.
फेसबुक, इंस्टाग्राम व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बैन से नाराज हजारों युवा सड़क पर उतरे और नेपाल की संसद में घुस गए. नेपाल में जबर्दस्त हंगामा चल रहा है.
नेपाल की सरकार ने राजधानी काठमांडू के बानेश्वर में सेना तैनात कर दिया है. स्थिति को काबू में करने के लिए सेना को फायरिंग करनी पड़ी है.
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और वॉटर कैनन चलाई. पुलिस फायरिंग में 14 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, 100 से ज्यादा घायल हैं.
राजधानी काठमांडू के कुछ इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है.
पुलिस प्रदर्शनकारियों पर रबर की गोलियां चला रही हैं. अब हालात को देखते हुए प्रशासन ने देखते ही उपद्रवियों को गोली मारने के आदेश दे दिए हैं.
काठमांडू में अभी बेहद तनाव का माहौल है. कई जगहों पर प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबलों के बीच पथराव हो रहा है. घायलों को एवरेस्ट और सिविल अस्पताल में ले जाया गया है.
काठमांडू से आ रही तस्वीरें तनावपूर्ण है. लोग सरकारी पोस्टर तोड़ रहे हैं, बैनर गिरा रहे हैं और सरकारी भवनों की ओर जा रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों का एक जत्था संसद परिसर में घुस चुका है. सुरक्षाकर्मी प्रदर्शनकारियों को काबू में लेने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ रही है.
बनेश्वर में सुरक्षा बलों द्वारा आंसू गैस छोड़े जाने से पहले कुछ युवाओं को पुलिस गार्ड हाउस पर चढ़ते देखा गया.
#WATCH | Nepal: Thousands of people protest in Kathmandu against the ban on Facebook, Instagram, WhatsApp and other social media sites, leading to clashes between police and protesters. pic.twitter.com/klrP1HRJQd
— ANI (@ANI) September 8, 2025
सोशल मीडिया बैन से भड़का गुस्सा
प्रदर्शनकारियों के नाराजगी का तात्कालिक कारण सोशल मीडिया पर बैन है. जेन जी का कहना है कि सोशल मीडिया पर बैन लगाकर करप्शन के खिलाफ उनके आवाज को दबाना चाहती है.
बता दें कि हाल ही में सरकार ने 26 सोशल मीडिया ऐप्स—फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप, X आदि पर अचानक प्रतिबंध लगा दिया, जिससे युवाओं की अभिव्यक्ति पर अंकुश लगा.
इसके साथ ऑनलाइन शिक्षा, कारोबार और हर रोज के संपर्क में बाधाएं आईं. सरकार का तर्क था कि ये प्लेटफॉर्म नेपाल में रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे, जबकि युवाओं के लिए ये प्लेटफार्म जीविका, करियर और संवाद की लाइफ़लाइन हैं.
नेपाल में भ्रष्टाचार और सरकारी नाकामी भी युवाओं में गहरा असंतोष पैदा कर रहे हैं.
युवाओं को सरकारी फंड और नौकरियों में पारदर्शिता की कमी दिखती है, साथ ही मौजूदा आर्थिक मंदी के कारण नौकरी के अवसर घटे हैं.
इन सब कारणों से Gen-Z युवा बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर आए, सोशल मीडिया और सड़कों पर विरोध कर रहे हैं. उनकी मांगें करप्शन का खात्मा और डिजिटल एक्सेस पर केंद्रित हैं.
माइतीघरमा उर्लिए जेनजी समूहका युवा#NepalPress pic.twitter.com/Mg5gVcMvMG
— NepalPress (@NepalPressnp) September 8, 2025
चीन जैसा सेंसरशिप लागू करना चाहते हैं ओली
नेपाल के PM केपी शर्मा ओली नेपाल में चीन जैसा सेंसरशिप लागू करना चाहते थे.
उन्होंने चीन की तर्ज पर चलते हुए लोगों को सीमित डिजिटल आज़ादी दी और सख्त पाबंदी लागू कर दी.
ओली सरकार ने चीन की तरह ही नेपाल में अचानक इंटरनेट, सोशल मीडिया पर बड़ा प्रतिबंध लगाया.
आज की ग्लोबल दुनिया में ये नेपाल की युवा आबादी के लिए झटका जैसा था. उनका अभिव्यक्ति का आधार ही छीन गया.
ओली ने फेसबुक, व्हाट्सएप, एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगा दिया लेकिन भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. इससे लोगों का गुस्सा भड़क उठा.
Gen-Z में कौन कौन शामिल हैं?
नेपाल में Gen-Z प्रदर्शन का नेतृत्व अधिकांश कॉलेज के छात्र, युवा एक्टिविस्ट्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स कर रहे थे.
जिनका संगठनात्मक रूप से कोई स्पष्ट चेहरा सामने नहीं आया. आंदोलन स्वत:स्फूर्त था.
काठमांडू समेत बड़े शहरों में छात्र और युवा विभिन्न समूहों में संगठित होकर विरोध कर रहे हैं.
Ih muji radi ka xora haru le
Yehi adolan paila wrongly janta lutne soch le garya ta pura glorify garthe ta radi ka xora haru darayekai ho ta #nepal #kpolichor #stepdownfrompm #nepalprotest #Nepali pic.twitter.com/bUHCW8HPWl— Sudip Koirala (@SudipKoirala22) September 8, 2025
विराटनगर, बुटवल, चितवन, पोखरा में भी प्रदर्शन
बता दें कि जेनरेशन ज़ी युवाओं के नेतृत्व में शुरू में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण घोषित किए गए थे, लेकिन बैरिकेड्स तोड़ दिए जाने के बाद ये उग्र हो गए.
रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शन विराटनगर, बुटवल, चितवन, पोखरा और अन्य शहरों में भी फैल गया है.
यहां युवाओं ने भ्रष्टाचार और देशव्यापी सोशल मीडिया शटडाउन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया है.
आदेश वापस ले सरकार
नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री उपेंद्र यादव ने कहा कि नेपाल में बेरोजगारी चरम पर है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बैन लगाना लगता है.
इससे स्व रोजगार वाले भी बेरोजगार हैं. सरकार को सोशल मीडिया पर बैन का आदेश तुरंत वापस लेना चाहिए. और युवाओं से संवाद करना चाहिए.
नेपाल में पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन की अस्थिरता से जूझ रही है.
ओली की कम्युनिस्ट पार्टी (CPN-UML) और नेपाली कांग्रेस के गठबंधन में तनाव विशेष रूप से गृह मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण पदों के बंटवारे को लेकर असहमति ने असंतोष बढ़ाया है.
इसके अलावा नेपाल में पिछले कुछ दिनों से राजशाही समर्थकों और हिन्दू राष्ट्र का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर भी आंदोलन रहा है.
नेपाल में आर्थिक नीतियों और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर विफलता ने जनता को वैकल्पिक व्यवस्था की मांग करने को मजबूर किया है.
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