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Jalandhar जालंधर। (us tik tok ban app has been removed from play store) अमेरिका में प्रतिबंध लागू होने से कुछ घंटे पहले ही वहां सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक बंद हो गया है.

अमेरिकी यूज़र को टिकटॉक खोलने पर, “आप अभी टिकटॉक का इस्तेमाल नहीं कर सकते” लिखा संदेश दिख रहा है.

अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने वाले क़ानून के पक्ष में फ़ैसला सुनाया था.

इस प्रतिबंध से टिकटॉक तभी बच सकता था, जब इसकी पेरेंट कंपनी ‘बाइटडांस’ इसे किसी मान्यता प्राप्त अमेरिकी कंपनी को बेच दे.

टिकटॉक ने एक बयान में कहा कि जो बाइडन, व्हाइट हाउस और न्याय विभाग उसे इस मामले में अधिक स्पष्टता देने और आश्वासन देने में नाकाम रहे हैं.

इमेज कैप्शन,अमेरिका में टिकटॉक के समर्थन में भी यूज़र्स प्रदर्शन करते रहे हैं. यह तस्वीर पिछले साल मार्च में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में ली गई थी.

दरअसल, अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने वाले क़ानून के पक्ष में फ़ैसला सुनाया था.

आलोचक अक्सर टिकटॉक पर हद से अधिक डेटा जमा करने का आरोप लगाते रहे हैं.

आस्ट्रेलियाई साइबर कंपनी इंटरनेट 2.0 के शोधकर्ताओं ने जुलाई 2022 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसे अमूमन टिकटॉक पर डेटा कलेक्शन के आरोपों के सबूत के तौर पर पेश किया जाता है.

टिकटॉक से आलोचकों को जो समस्या है वो ये कि इसका मालिकाना हक़ चीन के बीजिंग स्थित टेक जगत की बड़ी कंपनी बाइटडांस के पास है.

साल 2020 से टिकटॉक से जुड़े अधिकारी लगातार ये आश्वस्त करने की कोशिश में लगे हैं कि चीनी स्टाफ़ किसी गैर-चीनी कर्मी के डेटा को एक्सेस नहीं कर सकते.

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में साल 2020 में एग्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर में आरोप लगाया था कि टिकटॉक का डेटा कलेक्शन “संभवतः चीन को सरकारी कर्मचारियों और कॉन्टैक्टरों के लोकेशन ट्रैक करने, उनकी निजी जानकारियों को ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल करने और जासूसी करने में मदद कर सकता है.”

साल 2022 में बाइटडांस ने ये स्वीकार किया था कि बीजिंग में उसके कुछ कर्मचारियों ने अमेरिका और ब्रिटेन के कम से कम दो पत्रकारों का डेटा एक्सेस किया था ताकि उनकी लोकेशन ट्रैक कर सकें, और ये पता लगाया जा सके कि क्या ये पत्रकार टिकटॉक के उन कर्मचारियों से मिल रहे हैं, जो मीडिया में जानकारी लीक करने को लेकर संदिग्ध हैं.

साल 2022 में अमेरिका के फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन के डायरेक्टर क्रिस्टोफ़र रे ने अमेरिकी सांसदों से कहा, “चीन की सरकार रेकमेन्डेशन एलोगोरिद्म को नियंत्रित कर सकती है, जिसका इस्तेमाल संचालन को प्रभावित करने के लिए हो सकता है.” ये दावा इसके बाद कई बार दोहराया जा चुका है.

टिकटॉक का क्या कहना है?

अमेरिका में यूज़र्स को ऐप पर दिख रहे मैसेज में बताया गया कि टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने वाला क़ानून बनाया गया है, जिसका जिसका मतलब है कि “आप अभी टिकटॉक का इस्तेमाल नहीं कर सकते.”

इस मैसेज के मुताबिक़, “ये अच्छी बात है कि राष्ट्रपति (नव-निर्वाचित) ट्रंप ने संकेत दिया है कि वो पदभार ग्रहण करने के बाद टिकटॉक को फिर से शुरू करने के लिए हमारे साथ मिलकर काम करेंगे.”

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका का मौजूदा बाइडन प्रशासन यह आश्वासन नहीं देता कि प्रतिबंध लागू नहीं किया जाएगा, तो वह रविवार को “बंद हो जाएगा.”

नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि सोमवार को पदभार ग्रहण करने के बाद वो “संभवतः” टिकटॉक को प्रतिबंध से 90 दिनों की छूट देंगे.

टिकटॉक यूज़र्स के मुताबिक़ ऐप को ऐप्पल और गूगल के यूएस ऐप स्टोर से भी हटा दिया गया और टिकटॉक डॉट कॉम ने वीडियो दिखाने बंद कर दिए.

ट्रंप ने शनिवार को एनबीसी न्यूज़ को बताया, “संभवतः 90 दिनों की छूट दी जाएगी क्योंकि यह उचित भी है. तो आपके पास 90 दिन होंगे, तब तक शायद हम कोई रास्ता खोज सकें.”

उन्होंने कहा, “यदि मैं ऐसा करने का फ़ैसला लेता हूं, तो सोमवार को इसकी घोषणा की जा सकती है.”

व्हाइट हाउस ने कहा कि टिकटॉक पर कार्रवाई करना अमेरिका के अगले प्रशासन पर निर्भर है.

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव कैरीन जीन-पियरे ने एक बयान में कहा, “हमें कोई कारण नहीं दिखता कि टिकटॉक या अन्य कंपनियां सोमवार को ट्रंप प्रशासन के कार्यभार संभालने से पहले अगले कुछ दिनों में कोई कदम उठाए.”

पाबंदी लागू होने से पहले क्यों बंद हुई सेवा?

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पिछले साल अप्रैल में पारित क़ानून को बरक़रार रखा था, जिसमें अमेरिका में टिकटॉक ऐप पर पाबंदी लगा दी गई थी.

इसके मुताबिक़ जब तक टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस (जो चीन में मौजूद है) रविवार तक अमेरिका में मौजूद अपना ये प्लेटफॉर्म किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेच देती. अब तक बाइटडांस ने ये काम नहीं किया है.

टिकटॉक ने दलील दी है कि यह क़ानून देश में उसके 17 करोड़ यूज़र्स के लिए बोलने की आज़ादी का उल्लंघन करता है.

सुप्रीम कोर्ट के फै़सले के बाद टिकटॉक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शू ज़ी च्यू ने ट्रंप से अपील की और उन्हें “समाधान तलाशने के लिए अपने साथ काम करने की प्रतिबद्धता” के लिए धन्यवाद दिया.

क्या कह रहे हैं यूज़र्स?

अमेरिका में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिकटॉक के ऑफ़लाइन होने से कुछ घंटे पहले कंटेंट क्रिएटर्स अपने फ़ॉलोअर्स को अलविदा कहने के लिए वीडियो पोस्ट कर रहे थे.

ऐसे ही एक क्रिएटर निकोल ब्लूमगार्डन ने बीबीसी को बताया कि टिकटॉक पर न होने से उनकी कमाई में भारी कटौती होगी.

एक अन्य यूज़र एरिका थॉम्पसन ने कहा कि प्लेटफॉर्म पर शिक्षा से जुड़ी जानकारी का न हो पाना लोगों के लिए “सबसे बड़ा नुक़सान” होगी.

टिकटॉक उपयोगकर्ताओं को शनिवार सुबह एक मैसेज मिला, जिसमें कहा गया कि क़ानून “हमें अपनी सेवाओं को अस्थायी रूप से उपलब्ध न करने के लिए मजबूर करेगा. हम जल्द से जल्द अमेरिका में अपनी सेवा बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं.”

भारत में क्यों लगी है पाबंदी?

इमेज कैप्शन,पाबंदी लगने से पहले भारत में भी टिकटॉक काफ़ी लोकप्रिय ऐप था

साल 2018 में, टिकटॉक दुनिया में सबसे अधिक डाउनलोड किए जाने वाले ऐप में से एक था. लेकिन लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही ये ऐप भारत में विवादों के घेरे में भी आ गया.

चीन का ये वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप भारत में टीनेजर्स से लेकर हर उम्र के लोगों के बीच ख़ासा लोकप्रिय था.

गांव से लेकर बड़े शहरों तक के लोग इस ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे. टिकटॉक के मुताबिक उस वक़्त भारत में उसके बीस करोड़ से ज़्यादा यूज़र थे.

भारत में हर दूसरा शख्स एक्टर, डांसर, कॉमेडियन नज़र आ रहा था और यह सब छोटे मोबाइल वीडियो बनाने वाले टिकटॉक ऐप की बदौलत हो रहा था.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि टिकटॉक और हेलो ऐप जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल देश-विरोधी और गै़रक़ानूनी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है.

जून 2020 में भारत सरकार ने आपातकालीन उपाय और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए 59 ऐप पर पाबंदी लगा दी थी.

भारत के उस वक़्त के सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा, ”यह पाबंदी सुरक्षा, संप्रभुता और भारत की अखंडता के लिए ज़रूरी है.

हम भारत के नागरिकों के डेटा और निजता में किसी तरह की सेंध नहीं चाहते हैं.”

उस वक़्त भारत और चीन की सेना के बीच लद्दाख में सरहद पर तनाव का माहौल भी था.

 


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