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ट्रांसपोर्टरों-एक्साईज़ विभाग की मिलीभगत से सरकार को लाखों का चूना

जालंधर। (Revenue Loss) राज्य के एक्साईज़ एडं टैक्सेशन विभाग में हुए करोड़ों के जी.एस.टी. घोटाले की आंच अभी ठंडी भी नहीं पड़ी कि एक बार फिर विभाग के अधिकारियों की टीम की नाक के नीचे ट्रांसपोर्ट कंपनियों की धांधली शुरू हो गई है।
विभागीय अधिकारियों व ट्रांसपोर्टरों की कथित मिलीभगत से सरकार को रोजाना करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है। सब कुछ जानते हुए भी विभागीय अधिकारी निजी हितों की खातिर आंखे मूंद कर करोड़ों के रेविन्यू लॉस होता देख रहे हैं।
बता दें कि कुछ माह पहले विभाग में करोड़ों के जी.एस.टी. घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। विजीलैंस द्वारा केस दर्ज किया गया। ये मामला अभी लंबित है।
विजीलैंस की इस कार्रवाई के बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि अब राज्य में टैक्स चोरी की धांधली खत्म होगी और सरकार का रैविन्यू बढ़ेगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब राज्य में अंडर वैल्यू बिलिंग का धंधा तेजी से शुरू हो चुका है।
अधिकारियों की कथित सैटिंग के साथ जालंधर, लुधियाना के ट्रांसपोर्टरों द्वारा शुरू किए गए धंधे से सरकार को रोजाना करोड़ों का रैविन्यू लॉस हो रहा है।
इस धंधे के सूत्रों ने बताया कि अंडर वैल्यू बिलिंग का धंधा लुधियाना जालंधर के ट्रांसपोर्टरों द्वारा चलाया जा रहा है।
इन ट्रांसपोर्टरों द्वारा दो नंबर के धंधे को एक नंबर का शो करके खुद तो लाखो कमा रहे हैं, लेकिन सरकार को रोजाना करोड़ों का लॉस दे रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों हुई बड़ी धांधली के बाद दिल्ली के ट्रांसपोर्टरों द्वारा लुधियाना और जालंधर में कारोबार है। कंपनी का जालंधर के पटेल चौक ट्रांसपोर्ट दफ्तर है, द्वारा विभाग की कथित सैटिंग से खूब चांदी बटौरी जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि इस टांसपोर्ट में इलैक्ट्रानिक्स, जूते, रैडीमेड का सामान धड़ल्ले से दूसरे राज्यों से मंगवाया जाता है।
हर वस्तु के लिए रेट फिक्स हैं। ये लोग हर वस्तु की बिलिंग अंडर वैल्यू करवाते हैं। जैसे की अगर एक वस्तु की कीमत 1000 रूपए है तो ये लोग उसका बिल 200 रूपए के आसपास बनवाते हैं।
इसका अर्थ ये हुआ कि ये लोग विभाग को एक हज़ार रूपए पर टेक्स देने की बजाए सिर्फ 200 रूपए के बिल पर टैक्स देते हैं।
जबकि 800 रूपए पर बनता टैक्स माल मंगवाने वाला ट्रेडर, ट्रांसपोर्टर और कथित तौर पर विभागीय अधिकारियों में बंट जाता है।
फिलहाल इस धंधे को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन आने वाले दिनों में इस गंदे धंधे की परतें खोली जाएंगी।

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