नई दिल्ली। मोबाइल यूजर्स के लिए टेलिकॉम सर्विसेज कम से कम 10 प्रतिशत तक महंगी हो सकती हैं। इंडस्ट्री अनुमान के मुताबिक अगले 7 महीनों में एयरटेल और वोडाफोन को अडजस्ट किए गए ग्रॉस रेवेन्यू का 10 प्रतिशत देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टेलिकॉम ऑपरेटर्स को 31 मार्च 2021 तक अजस्ट किए गए ग्रॉस रेवेन्यू का 10 प्रतिशत भुगतान करने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बाकी अमाउंट को 31 मार्च 2022 तक 10 किश्तों में देने का फैसला सुनाया है।
मार्च 2021 तक तक देने हैं 5000 करोड़ रुपये
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मार्च 2021 तक एयरटेल को 2600 करोड़ और वोडाफोन-आइडिया को 5000 करोड़ रुपये देने होंगे।
ऐसे में ब्रोकरेज फर्म Jefferies के मुताबिक एयरटेल अपने ऐवरेज रेवेन्यू प्रति यूजर को 10 प्रतिशत और वोडाफोन 27 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एयरटेल के लिए ARPU (प्रति यूजर औसत रेवेन्यू) 157 रुपये था, जबकि वोडाफोन-आइडिया के लिए यह 114 रुपये रहा।
जेफरीज ने कहा कि आने वाले समय में कंपनियां टैरिफ को एक बार और 10 प्रतिशत तक महंगा कर सकती हैं।
अगली तिमाही में महंगे हो सकते हैं टैरिफ
एंटरप्रेन्योर और टीएमटी अडवाइजर संजय कपूर ने कहा कि मंगलवार को आए फैसला टेलिकॉम कंपनियों द्वारा किए जाने वाले प्राइस हाइक से अलग है और इसने केवल भविष्य में ऐसा किए जाने की जरूरत पर जोर देने का काम किया है।
कपूर ने आगे कहा, ‘स्पेक्ट्रम कॉस्ट और दूसरे निवेशों को अगर अलग रख दिया जाए तो सर्विस प्रोवाइडर्स को डेटा यूसेज की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कम से कम 3-4 डॉलर प्रति यूजर औसत रेवेन्यू की जरूरत पड़ेगी। इसीलिए अगली तिमाही तक टैरिफ रेट में जरूरी बढ़ोतरी हो सकती है।
‘200 रुपये के प्रति यूजर औसत रेवेन्यू की पड़ेगी जरूरत’
टेलिकॉम ऑपरेटर्स ने चार सालों में पहली बार पिछले साल दिसंबर में प्लान्स को 40 प्रतिशत तक महंगा किया था
ऐसा करने के बाद साल 2020 की पहली छमाही में कंपनियों की कमाई में 20 प्रतिशत की बढ़त देखी गई।
इस बारे में Analysys Mason के इंडिया और मिडिल ईस्ट हेड रोहम धमीजा ने कहा, ‘हमें लगता है कि अगले 12-24 महीनों में टेलिकॉम कंपनियों को 200 रुपये के प्रति यूजर औसत रेवेन्यू की जरूरत पड़ेगी।’