नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने मंगलवार को ऐलान किया कि देश में तैयार की गई कोरोना वायरस की वैक्सीन को हेल्थ मिनिस्ट्री की मंजूरी मिल गयी है। पुतिन ने बताया कि इस वैक्सीन का टीका उनकी बेटी को पहले ही लगाया जा चुका है। हालांकि उन्होंने ये स्पष्ट नहीं किया कि उन्होंने खुद वैक्सीन ली है या नहीं। पुतिन ने कहा- मेरी बेटी ने भी इस वैक्सीन का टीका लिया है, शुरू में उसे हल्का बुखार था लेकिन अब वह बिलकुल ठीक है। उन्होंने बता कि मेरी बेटी ठीक है और बढ़िया महसूस कर रही है। उसने भी इस पूरे परीक्षण में हिसा लिया था। इस ऐलान के बाद रूस पहला देश बन गया है जिसने वैक्सीन बना लेने का काम पूरा करने का दावा किया है।
रूस ने प्लान किया है कि यह वैक्सीन सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी, उसके बाद बुजुर्गों को। मॉस्को ने कई देशों को भी वैक्सीन सप्लाई करने की बात कही है। रूस का कहना है कि वह अपने कोरोना टीके का बड़े पैमाने पर उत्पादन सितंबर से शुरू कर सकता है।
इस वैक्सीन को मॉस्को के गामलेया इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है। हालांकि वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल सिर्फ 2 महीने में निपटा देने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कई शक जाहिर किये हैं।
रूस के हेल्थ मिनिस्टर पहले ही अक्टूबर से मास वैक्सीनेशन शुरू करने का ऐलान कर चुके हैं। बता दें कि अभी तक किसी देश को वैक्सीन बनाने में सफलता नहीं मिली है।
बनाने वाले वैज्ञानिकों ने खुद भी लिया है टीका
मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने एडेनोवायरस को बेस बनाकर यह वैक्सीन तैयार की है। रिसर्चर्स का दावा है कि वैक्सीन में जो पार्टिकल्स यूज हुए हैं, वे खुद को रेप्लिकेट (कॉपी) नहीं कर सकते।
मिली जानकारी के मुताबिक रिसर्च और मैनुफैक्चरिंग में शामिल कई लोगों ने खुद को इस वैक्सीन की डोज दी है।
कुछ लोगों को वैक्सीन की डोज दिए जाने पर बुखार आ सकता है जिसके लिए पैरासिटामॉल के इस्तेमाल की सलाह दी गई है। हालांकि रूस की इस जल्दबाजी के विरोध में कई बड़ी फार्म कंपनियां सामने आई हैं।
स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको को भेजी चिट्ठी में एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल ट्रायल्स ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि अभी तक 100 से भी कम लोगों को डोज दी गई है, ऐसे में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है।