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Jalandhar जालंधर। (PGI level treatment in Jalandhar Civil Hospital) इलाज और अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं को लेकर अक्सर सिविल अस्पताल सुर्खियों में रहता है लेकिन सिविल अस्पताल में गंभीर मरीजों को भी बचाने का कार्य साथ-साथ में जारी है, जिसकी ताजा उदाहरण सिविल अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने दी है।

सीनीयर मैडिकल अफसर-कम-आईसीयू एनेसथीसिया के इंचार्ज डाक्टर परमजीत ने बताया कि अस्पताल मे पिछले कई दिनों में एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम से ग्रस्त (एआरडीएस) एक महिला मरीजों को लेकर अस्पताल के सीनियर डॉक्टरों की टीम इलाज में लगी थी।

टीम को सफलता तब हासिल जब महिला को वेंटिलेटर से उतारा गया और महिला को जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया।

हालांकि महिला को वेंटिलेटर पर बच्चे को जन्म देने के बाद डाला गया। लेकिन डॉक्टरों द्वारा की गई निगरानी के चलते महिला अब स्वस्थ्य है।

ICU नॉन इनवेंसिव वेंटिलेशन पर रखा, सांस लेने में हो रही थी दिक्कत।

सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर परमजीत सिंह ने बताया की एआरडीएस में मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो जाती है हालांकि इस मामले में महिला ने बच्चे को जन्म दिया जिसके बाद उसे बीमारी संबधी लक्षण आने के बाद हमने इलाज को शुरू किया।

हालांकि ऐसे मरीजों को अमृतसर के मेडिकल कॉलेज और पीजीआई में रैफर भी किया जाता है लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने अस्पताल में हाईटेक आईसीयू में मरीज को शिफ्ट किया। जिसके बाद सफलतापूर्वक इलाज किया गया।

पोस्ट डिलीवरी में साइकोसिस इलाज जरूरी

डिलीवरी के बाद कई मरीजों में यह ख्याल आना शुरू हो जाता है कि उसकी हालात ठीक नहीं है और बड़े ऑपरेशन के बाद वे बचेगी नहीं और मरीज को कई ख्याल आने लगते है जिसे साइकोसिस सिंड्रोम भी कहा जाता। जिसके चलते मरीज को हमने दिमाग के डॉक्टर के साथ इलाज किया।

बरसात और मौसम के बदलाव के साथ होती है यह दिक्कत

सिविल अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि एआरडीएस के संबंधित कई बार लक्षण गर्भवती महिला को डिलीवरी के बाद आते है लेकिन महिला और पुरूष को यह दिक्कत अक्सर बरसात के मौसम या गर्मी सर्दी के पीक सीजन के अलावा मौसम में बदलाव के कारण होने सामान्य बात है जिसमें उसे सांस लेने में दिक्कत पैदा होती है और अचानक लक्षण दिखाई देने शुरू होते है जिसके चलते मरीज को तुरंत अस्पताल में आकर अपनी मेडिकल हिस्ट्री बतानी चाहिए और समय पर इलाज शुरू करना चाहिए।

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