नई दिल्ली (ब्यूरो): देश मे लॉकडाऊन के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमर्रा रही है। मौजूदा हालात सबके सामने हैं, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद जो हालात होंगे वे कारोबार के लिहाज़ से ज्यादा अच्छे नहीं लग रहे।
हर व्यक्ति को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति मे RBI ने ओवरड्राफ्ट के नियम को और सरल करने का एलान किया है। हम आपको इस स्थिति में मदद पाने के लिए बैंक की ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के बारे में बता रहे हैं, जो ऐसी जरूरतें पूरी करने की सुविधा देता ह बता दें कि आरबीआई ने ऐलान किया है कि आने वाले समय में बैंकों की ओर से खाताधारकों को इलेक्ट्रॉनिक कार्ड जारी किए जाएंगे। RBI ने नियमों में ढील देते हुए बैंकों में ओवरड्राफ्ट अकाउंट रखने वाले ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक कार्ड जारी करने की अनुमति दी है। यह सुविधा उन ओवरड्राफ्ट खातों के लिए है जो पर्सनल लोन की तरह हैं।
सरकारी और निजी बैंक ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी देते हैं। ज्यादातर बैंक करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर यह सुविधा देते हैं। कुछ बैंक शेयर, बॉन्ड और बीमा पॉलिसी जैसे एसेट के एवज में भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देते हैं। इस फैसिलिटी के तहत बैंक से आप जरूरत का पैसा ले सकते हैं और बाद में यह पैसा चुका सकते हैं।
इन्हें मिलेगा लाभ
RBI ने बताया कि जुलाई 2015 के दिशानिर्देश के अनुसार बैंकों को बचत बैंक और चालू खाते वाले ग्राहकों को डेबिट कार्ड जारी करने की अनुमति दी गई है। बता दें इस सुविधा का लाभ क्रेडिट और लोन अकाउंटहोल्डर्स को नहीं मिलेगा। इसका लाभ सिर्फ बैंक ओवरड्राफ्ट खाते रखने वाले ग्राहकों को ही मिलेगा।
बैंकों मे मिलेंगी बस ये सुविधाएं
आरबीआई ने ये भी स्पष्ट किया है कि इलेक्ट्रॉनिक कार्ड ग्राहक को दी गई ओवरड्राफ्ट सुविधा की वैधता से अधिक की अवधि के लिए नहीं जारी किया जाएगा। इसके अलावा ये इलेक्ट्रॉनिक कार्ड सिर्फ देश में लेनदेन के लिए होगा।
आरबीआई ने इस सुविधा को शुरू करने से पहले निदेशक मंडल को एक प्लान योजना बनाने का काम दिया है। फिलहाल उम्मीद की जा रही है कि बैंक जल्द से जल्द अपने खाताधारकों को ये खास सुविधा प्रदान करेंगे।
RBI की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि नकद लेनदेन पर यह प्रतिबंध प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के साथ प्रदान की गई ओवरड्राफ्ट सुविधा पर लागू नहीं होगा।
कैसे मिलेगी ओवरड्राफ्ट फैसेलिटी
ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी के लिए प्रोसेस बैंक से दूसरे लोन लेने के जैसा ही है। अगर आपका बैंक में सैलरी, करेंट अकाउंट है तो प्रक्रिया थोड़ी आसान हो जाती है। अगर बैंक में आपका कोई एफडी नहीं है तो फिर पहले आपको बैंक में कोई एसेट्स गिरवी रखना पड़ता है।
उसके बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बैंक आपको ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी दे देते हैं। आजकल कई बैंक अपने अच्छे ग्राहकों को पहले से ही ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी का ऑफर देते हैं। ऐसा होने पर फिर लोन लेना बहुत आसान हो जाता है।
बैंक यह तय करते हैं कि ओवरड्राफ्ट के तहत आप कितना पैसा ले सकते हैं। यह लिमिट इस बात पर निर्भर करती है कि इस फैसिलिटी के लिए आपने बैंक में गिरवी (कोलैटरल) क्या रखा है। सैलरी और एफडी के मामले में बैंक लिमिट ज्यादा रखते हैं।उदाहरण के लिए अगर आपने बैंक में 2 लाख रुपये की एफडी की है तो ओवरड्राफ्ट के लिए बैंक 1.60 लाख रुपये (80%) की लिमिट तय कर सकता है। शेयर और डिबेंचर के मामले में लिमिट 40 से 70 फीसदी हो सकती है।
आप बैंक से जितनी अवधि के लिए पैसा लेता है, उसी के हिसाब से आपको ब्याज देना पड़ता है। इसका मतलब यह है कि अगर आपने दिसंबर महीने की 25 तारीख को पैसा लिया है और उसे 25 जनवरी को चुका दिया है तो आपको करीब एक महीने का ही ब्याज देना पड़ेगा।
ब्याज कितना होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी किस एसेट पर आपको दी गई है। अगर आपने एफडी पर यह सुविधा ली है तो आपकी ब्याज दर एफडी पर मिलने वाली ब्याज से 1 से 2 फीसदी ज्यादा रहती है। शेयर सहित दूसरे एसेट के मामले में ब्याज दर थोड़ी ज्यादा हो सकती है।