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नई दिल्ली। रक्षा बंधन पर आज सोमवार और पूर्णिमा का योग भगवान महादेव की विशेष कृपा दिलाएगा। इस बार रक्षा बंधन पर शताब्दी में पहली बार चतुर्योग में रक्षा बंधन आ रहा है। शताब्दी में पहली बार ये संयोग बनने से खास माना जा रहा है।
सर्वार्थ-सिद्धि योग आयुष्मान योग के चलते दीर्घायु का वर प्रदान करेगा। इस बार भद्रा और राहुकाल 9.30 से पहले ही समाप्त हो रहे हैं। इस योग में भाई-बहन की सभी इच्छाएं पूरी होंगी।
  • राहुकाल प्रातः 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक।
  • आज सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक भद्रा
  • पूर्णिमा तिथि रात्रि 09 बजकर 29 मिनट तक उपरांत प्रतिपदा तिथि का आरंभ

राखी बंधन का मुहूर्त

  • शुभ योग : सुबह 9:31 से 10:46 तक
  • अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:00 से 12:53 तक
  • अपराहन मुहूर्त : दोपहर 1:48 से शाम 4:29 तक
  • लाभ मुहूर्त : दोपहर 3:48 से शाम 5:29 तक
  • संध्या अमृत मुहूर्त : शाम 5:29 से 7:10 तक
  • प्रदोष काल : शाम 7:06 से रात 9:14 तक
बताते हैं कि रक्षाबंधन पर पूर्णिमा के साथ-साथ सावन का आखिरी सोमवार होगा। इसके अलावा, पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इससे रक्षाबंधन के दिन की शुभता बहुत बढ़ जाएगी। इस दिन सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक भद्रा रहेगी। सभी बहनें सुबह 9:28 पर भद्रा समाप्त होने के बाद ही अपने भाइयों को राखी बांधें।
भद्रा की समाप्ति के साथ साथ ही सोमवार का राहुकाल भी निकल चुका होगा। शताब्दी में पहली बार चतुर्योग में रक्षाबंधन आ रहा है। इसमें आयुष्मान योग को सर्वार्थ सिद्धि योग बुधादित्य योग व शनि चंद्र के मिलन से विश्व योग यानी चतुर्योग बन रहे हैं।

पुराणों में यह है कथा

ऐसी कथा है कि एक समय जब इंद्र युद्ध में दानवों से पराजित होने लगे तो उनकी पत्नी इन्द्राणी ने एक रक्षा सूत्र इंद्र की कलाई पर बांधा था जिससे इंद्र को विजय प्राप्त हुई थी। देवासुर संग्राम में देवी भगवती ने देवताओं के मौली बांधी थी। तभी से रक्षा सूत्र बंधने की यह परंपरा चली आ रही है।

थाली सजा लें

राखी बांधने से पहले राखी की थाली सजाएं। इस थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें। इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें।
राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें, फिर भाई को मिठाई खिलाएं। राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए।

राखी बांधते समय इस मंत्र का करें जाप

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।
सावन की पांचवीं सोमवारी पर श्रावणी पूर्णिमा , बुधादित्य योग,विषयोग व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग है। पूर्णिमा के देवता चंद्रदेव हैं और सोमवार के भगवान शिव हैं। भगवान शिव के माथे पर चंद्रमा विराजमान हैं।
वहीं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ही देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। यह संयोग शुभ फलदायी है। इससे इस सोमवारी को  जिन श्रद्धालु की कुंडली में विष योग, ग्रहण योग और केमद्रुम योग है उन्हें भगवान शिव की आराधना करने से इन ग्रहों से मुक्ति मिलेगी।