नई दिल्ली (ब्यूरो): राज्यसभा सांसदों की एक साथ बहुत सारी ट्रेनों में बुकिंग करवाने की शिकायतों के बाद राज्यसभा सचिवालय ने नियमों में बदलाव किया है। राज्यसभा सचिवालय ने पाया है कि कई सांसदों ने ये रुटीन बना रखा है कि एक ही दिन में यात्रा करने के लिए वो कई ट्रेनों में आरक्षण करा लेते हैं।
लेकिन यात्रा सिर्फ एक ट्रेन से ही करते हैं। ऐसे में राज्यसभा सचिवालय रेलवे को उन बुकिंग के लिए पैसे रिफंड करता हैं जिन पर सांसदों ने यात्रा तक नहीं की होती है। राज्यसभा सचिवालय ने कहा है कि इससे न सिर्फ व्यर्थ का खर्च बढ़ता है बल्कि राज्यसभा के बजट पर भी अतिरिक्त बोझ भी पड़ता है। साथ ही आम आदमी के लिये भी मुश्किल बढ़ जाती है।
क्या है नियम?
- हर सांसद को प्रथम श्रेणी एसी का एक मुफ्त ट्रेन पास मिलता है जिस पर वो देश भर में कहीं भी और किसी भी समय यात्रा कर सकता है।
- रेल से यात्रा कर रहे सांसद के एक सहयोगी के लिए भी ट्रेन के एसी 2 टियर कोच में मुफ्त यात्रा की सुविधा है।
- सांसद की पत्नि के लिए भी ट्रेन में सांसदों के समान ही यात्रा का प्रावधान है।
न इस्तेमाल होने वाले टिकट कैंसिल करायें
सूत्र बताते हैं कि वित्त वर्ष 2019-20 में राज्यसभा को रेलवे ने कुल 8 करोड का बिल भेजा है। दरअसल, रेलवे के द्वारा भेजे गए सांसदों की टिकटों के कुल बिल का एक तिहाई राज्यसभा को भरना पड़ता है। जाहिर है लोकसभा का बिल भी 8 करोड़ का तीन गुना ही होगा।
इसलिए राज्यसभा के बजट पर अतिरिक्त बोझ घटाने के लिए तमाम राज्यसभा सांसदो से अपील की गयी है कि जितनी बुकिंग उन्होंने करवायी है उनमें से जिन टिकटों का इस्तेमाल वो नहीं कर रहे हैं उसे कैंसिल करा लिया करें। अगर सांसद ऐसा नहीं करते तो उस टिकट की कीमत उनसे ही वसूली जाएगी।
गौरतलब है कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कोरोना संकट शुरु होते ही ऐलान कर दिया था कि राज्यसभा में फिजुलखर्जी पर रोक लगेगी। साथ ही अधिकारियों की विदेश यात्रा पर रोक भी लगा दी थी और नयी कारों की खरीद को भी एक साल के लिए टालने का निर्देश दे दिया था।