Prabhat Times
चंडीगढ़। (Punjab will have Power Cuts for 3 Hours a day) पंजाब में बिजली आपूर्ति की स्थिति गंभीर बनी हुई है और राज्य के स्वामित्व वाली पीएसपीसीएल ने कहा कि राज्य में 13 अक्टूबर तक रोजाना तीन घंटे तक बिजली कटौती की जाएगी। कोयले की गंभीर कमी ने पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को बिजली उत्पादन में कटौती करने और बिजली की कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अधिकारियों ने कहा कि कोयले के भंडार में कमी के कारण, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र अपनी उत्पादन क्षमता के 50 प्रतिशत से भी कम पर काम कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि निजी बिजली तापीय संयंत्रों के पास डेढ़ दिन तक और राज्य के स्वामित्व वाली इकाइयों के पास चार दिनों तक कोयले का भंडार है।
पीएसपीसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ए वेणुप्रसाद ने कहा कि राज्य भर में स्थित सभी कोयला आधारित संयंत्रों को कोयले की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के साथ-साथ भारत के अन्य हिस्सों में भी ऐसी ही स्थिति बनी हुई है।
वेणुप्रसाद ने कहा कि पीएसपीसीएल कृषि क्षेत्र सहित उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए बाजार से अत्यधिक दरों पर भी बिजली खरीद रही है। पॉवरकॉम के अनुसार, 15 अक्तूबर से कोयला संकट कुछ कम होने की उम्मीद है, जिससे बिजली कटौती में कमी आएगी।
कई यूनिट बंद, कुछ आधी क्षमता से चल रहे हैं
नियमों के मुताबिक थर्मल प्लांट में 25 से 30 दिन का कोयला होना जरूरी है। कोयले की इस भारी कमी के मद्देनजर पावरकॉम ने रोपड़ की चार में से दो और लहरा मुहब्बत की एक यूनिट को बंद कर दिया गया है। वहीं शनिवार को तलवंडी साबो की भी एक यूनिट बंद कर दी गई है। अब तलवंडी साबो प्लांट की दो यूनिट को आधी क्षमता के साथ चलाया जा रहा है। इसी तरह से गोइंदवाल साहिब की दोनों यूनिटों को आधी क्षमता पर कर दिया गया है।
उत्पादन कम, खपत ज्यादा
पावरकॉम को शुक्रवार के 3,488 मेगावाट के मुकाबले शनिवार को प्राइवेट थर्मल प्लांटों से 2,297 मेगावाट बिजली ही मिली, जबकि सरकारी थर्मलों से मात्र 934 मेगावाट और हाइडल से 228 मेगावाट बिजली मिली। शनिवार को बिजली की मांग 8,000 मेगावाट के करीब रही।
बिजली उत्पादन कम होने के कारण पावरकॉम को बाहर से 3,000 मेगावाट बिजली खरीदनी पड़ी। खास बात यह है कि पावरकॉम बाहर से 6,800 मेगावाट तक बिजली खरीद सकता है लेकिन इन दिनों पूरे देश में ही कोयले के संकट की वजह से बिजली पैदावार कम हो रही है। इसलिए बाहर से कम बिजली मिल पा रही है।
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