नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने साफ कर दिया है कि प्राइवेट ऑपरेटर्स के लिए यात्री ट्रेनों का अधिकतम किराया तय करने की सीमा नहीं रखी गई है।
इसके साथ ही प्राइवेट ऑपरेटर्स को किराया तय करने के लिए किसी अथॉरिटी की मंजूरी की भी जरुरत नहीं होगी।
इसका मतलब ये है कि प्राइवेट ऑपरेटर्स जो ट्रेन चलाएंगे, वो उनका किराया अपनी मर्जी से बाजार के हिसाब से तय कर सकेंगे।
बता दें कि रेलवे 109 रूट्स पर 151 ट्रेनों का संचालन 35 साल के लिए निजी ऑपरेटर्स को देने की योजना बना रहा है। प्राइवेट ऑपरेटर्स के भावी बोलीदाताओं ने कुछ सवाल उठाए थे।
जिन पर रेलवे ने बीते दिन जवाब दिया है। जिसमें कहा गया है कि प्राइवेट ऑपरेटर्स बाजार मूल्य के हिसाब से किराया वसूल सकेंगे और इसके लिए किसी अप्रूवल की जरुरत नहीं है।
इस प्रावधान को कोर्ट में चुनौती ना दी जा सके इसके लिए सरकार जल्द ही इसे कैबिनेट से मंजूरी दिला सकती है।
रेलवे एक्ट के तहत सिर्फ केन्द्र सरकार या विभिन्न मंत्रालय मिलकर रेलवे के किराए का निर्धारण करेंगे।
एक अधिकारी ने बताया कि अधिकतम किराए की सीमा तय नहीं होने के कारण और लागत को देखते हुए किराया मौजूदा ट्रेन सेवाओं की तुलना में ज्यादा होने की उम्मीद है।
निजी ऑपरेटर्स अपनी वेबसाइट के द्वारा भी टिकट बेच सकेंगे लेकिन उनकी वेबसाइट को पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम से जुड़ा होना जरुरी होगा।
ट्रेन संचालन को निजी हाथों में देने को लेकर कुछ कन्फ्यूजन भी है। जैसे कि कई कंपनियों ने पूछा है कि रेलवे 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार कैसे हासिल कर सकता है, जबकि उसका इंफ्रास्ट्रक्चर इस स्पीड को सपोर्ट नहीं करता है।