चंडीगढ़ (ब्यूरो): पंजाब सरकार निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के साथ एडमिशन फीस लेने वसूली के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ डबल बैंच में अपील करेगी।
पंजाब के शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा कि सरकार पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। फीस वसूली की अनुमति से इस मामले में अभिभावकों और बच्चों को इंसाफ नहीं मिला।
बता दें कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के सिंगल बैंच ने मंगलवार को निजी स्कूलोंं को ट्यूशन फीस के साथ एडमिशन फीस भी वसूलने की अनुमति दी थी।
पंजाब के शिक्षामंत्री विजय इंदर सिंह ने बुधवार को कहा कि निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के साथ एडमिशन फीस वसूलने की अनुमति मिलने से अभिभावकों और विद्यार्थियों को न्याय नहीं मिला है।
इससे निजी स्कूलों की मनमानी कायम रहेगी। इसी कारण पंजाब सरकार ने इस फैसले को चुनाैती देने का फैसला किया है। राज्य सरकार अब हाई कोर्ट की डबल बैंच ने इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
पेरेटैंस एसोसिएशन जा चुकी है सुप्रीम कोर्ट
बता दें कि बीते दिन माननीय अदालत द्वारा फैसला दिए जाने के पश्चात तुरंत पेरेटंस एसोसिएशन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी जा चुकी है।
हाई कोर्ट ने दिया था ये फैसला
हाई कोर्ट में पंजाब सरकार द्वारा निजी स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने के संबंध में दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया है कि एनुअल चार्ज के तौर पर स्कूल वास्तविक खर्च ही वसूलें।
लॉकडाउन की अवधि के लिए स्कूल ट्रांसपोर्ट फीस या बिल्डि़ंग चार्ज के तौर पर सिर्फ वही फीस वसूलें जितने खर्च वास्तविक तौर पर वहन करने पड़ते हों।
हाईकोर्ट के सिंगल बैंच ने कहा कि स्कूल खुलने के बाद की अवधि के लिए वे पूर्व निर्धारित दरों के हिसाब से एनुअल चार्ज ले सकते हैं।
आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों को राहत
हाई कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि कोविड-19 के कारण उन अभिभावकों को जरूर राहत दी है जो फीस देने में सक्षम नहीं हैं।
ऐसे अभिभावक अपनी वित्तीय स्थिति की जानकारी देकर स्कूलों को फीस में कटौती या फीस माफी के आवेदन दे सकते हैं। स्कूलों से रियायत न मिलने पर अभिभावक अपनी शिकायत रेगुलेटरी बॉडी को करें।
पिछले साल का फीस स्ट्रक्चर ही रखें स्कूल
हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को 2020-21 सत्र में फीस न बढ़ाने के निर्देश देते हुए कहा था कि स्कूल फिलहाल 2019-20 का फीस स्ट्रक्चर लागू रखें।
.अगर किसी स्कूल को वित्तीय संकट झेलना पड़े तो वह पूरी वित्तीय जानकारी के साथ जिला शिक्षा अधिकारी से संपर्क कर सकता है।
ऐसे स्कूलों के पास कोई रिजर्व फंड न होने पर ही जिला शिक्षा अधिकारी शिकायत पर गौर करेंगे और तीन सप्ताह में उपयुक्त जवाब देंगे।