Prabhat Times
नई दिल्ली। (pm narendra modi touched parkash singh badal feet) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तो सार्वजनिक मंच पर प्रकाश सिंह बादल के पैर छूते थे।
प्रकाश सिंह बादल सिर्फ अकाली दल के या फिर सिर्फ पंजाब के नेता नहीं थे। वो देश की राजनीति के वटवृक्ष थे।
आजादी से लेकर अब तक 76 साल की देश का राजनीति के गवाह रहे हैं। आज उनके निधन पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने शोक जताया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद आज दोपहर लगभग 12.30 बजे सरदार प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धांजलि देने चंडीगढ़ पहुंचे।
शिरोमणी अकाली दल के पार्टी दफ्तर में अंतिम दर्शन के लिए रखी गई पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल की पार्थिव देह के अंतिम दर्शन किए और श्रद्धा के फूल भेंट किए।
पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा संगत के बीच सुखबीर सिंह बादल व परिवार के साथ बैठ कर शोक जताया। लगभग 10 मिनट तक बादल परिवार के साथ शोक जताने के पश्चात पीएम मोदी वहां से चले गए।
बादल ने की थी पीएम मोदी की तारीफ
बता दें कि साल 2019 में जब पीएम मोदी ने वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद शिरोमणि अकाली दल (SAD) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल के पैर छुए थे, तो बहुत चर्चा हुई थी।
इस दौरान बादल ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा था, ”हिंदुस्तान के लोगों को यह सोचना है कि हमारा पीएम कौन हो? मोदी साहब के मुकाबले में कौन हो सकता है? ये जो गांधी है, ये जो जैसे हाथी और घोड़े का फर्क होता है, इतना फर्क है।”
देखें वीडियो
#WATCH: PM Narendra Modi meets NDA leaders at Collectorate office ahead of filing his nomination from Varanasi parliamentary constituency. pic.twitter.com/xVfO9kovHP
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 26, 2019
अकाली दल के झण्डे में लपेट कर रखी गई बादल की पार्थिव देह
प्रकाश सिंह बादल का पार्थिव शरीर शिरोमणि अकाली दल के मुख्य दफ्तर सेक्टर 28 चंडीगढ़ में आम जनता के दर्शन के लिए रखा गया है। बादल के पार्थिव शरीर को अकाली दल के झंडे में लपेटा गया है।
इसके बाद दोपहर में पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव पहुंचाया जाएगा। वीरवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के निधन के चलते पंजाब सरकार ने 27 अप्रैल को सामूहिक अवकाश की घोषणा की है।
जब भेष बदल कर दिल्ली पहुंचे थे बादल
प्रकाश सिंह बादल का कायदे से दिल्ली से पहला साक्षात्कार हुआ था रामलीला मैदान में। तारीख थी 25 जून, 1975 की।
उस दिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में समूचे विपक्ष की एक बड़ी रैली आयोजित हो रही थी।
नेताओं को सुनने के लिए लाखों लोग आए थे। इंदिरा सरकार के कथित निरंकुश शासन के खिलाफ माहौल बना हुआ था।
रैली को आचार्य कृपलानी, विजय लक्ष्मी पंडित, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई और प्रकाश सिंह बादल वगैरह ने संबोधित किया था।
रैली का संचालन मदन लाल खुराना कर रहे थे। बादल साहब ने अपने प्रखर भाषण में सरकार की तानाशाही नीतियों पर करारा हमला बोला था।
उनके ओजस्वी भाषण को पसंद किया गया था। उस रैली के बाद सरकार ने विपक्षी नेताओं की धर-पकड़ शुरू कर दी थी। बादल साहब भी जेल भेज दिए गए। देश में इमरजेंसी लगी।
देश में 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में केंद्र में जनता पार्टी सरकार बनी।
उसमें प्रकाश सिंह बादल को कृषि मंत्री बनाया गया। पर वह कुछ समय बाद ही पंजाब के मुख्यमंत्री बनकर चले गए।
लेकिन, बादल साहब का दिल्ली से बाद के वर्षों और दशकों में संबंध बना रहा। वह यहां पर लोकसभा, विधानसभा और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों में कैंपेन करने के लिए आते रहते थे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव-2013 में वह अकाली दल के उम्मीदवार जितेंद्र सिंह शंटी के समर्थन में 29 नवंबर को सीमापुरी गुरुद्वारे के सामने हुई बड़ी जनसभा को संबोधित करने आए थे।
उन्होंने करीब 25 मिनट तक पंजाबी मिश्रित हिंदी में शंटी के लिए मतदाताओं का समर्थन मांगा था।
उन्होनें कहा कि मैं आपसे वादा कर रहा हूं कि शंटी दिन-रात आपकी सेवा करेगा। यह मेरे पुत्र समान है।
उस सभा को बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने भी संबोधित किया था। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी और अकाली दल मिलकर लड़े थे।
प्रकाश सिंह बादल के निधन का समाचार सुनते ही खालसा कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल प्रो. हरमीत सिंह को याद आने लगा 1982 का दौर।
तब दिल्ली में एशियन गेम्स की तैयारियां चल रही थीं। तब बादल साहब पंजाब और सिखों की मांगों के हक के लिए लड़ते हुए वेष बदलकर दिल्ली आ गए थे।
वह ट्रक चला रहे थे। तब उन्हें तिलक नगर के पास गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेजा गया था। जेल में उनके साथ प्रो. हरमीत सिंह और अन्य लोगों ने भी गिरफ्तारी दी थी।
प्रो. हरमीत सिंह ने कहा कि बादल साहब की मृत्यु से दिल्ली के सिखों ने अपना एक रहनुमा खो दिया है। यह कहते हुए हुए वह रोने लगे।
पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल निजी संबंधों को निभाना जानते थे। वह राजधानी के कपूरथला भवन में हर कर्मचारी को नाम से जाना करते थे।
मिलने पर उससे उसके सारे घर का हाल-चाल पूछते। दुख-सुख में शामिल होते।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बादल के निधन पर जताया शोक
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर शोक जताया है.
उन्होंने सुखबीर बादल को भेजे गए एक पत्र में प्रकाश सिंह बादल के देश के लिए किए गए योगदान को याद किया.
सबसे कम उम्र के CM और सबसे लंबी सियासी पारी
सबसे युवा मुख्यमंत्री और सबसे अधिक उम्र में राजनीति को अलविदा कहने वाले दोनों उपलब्धियां प्रकाश सिंह बादल के नाम ही हैं।
प्रकाश सिंह बादल पहली बार मार्च 1970 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। महज 43 साल की उम्र में इस पद को संभालने वाले वह उस समय के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री थे।
1970 में उन्होंने भाजपा-अकाली दल की सरकार को उन्होंने तकरीबन सवा साल तक चलाया।
विधानसभा 2022 के चुनावों में 94 साल की उम्र में वह चुनावी मैदान में उतरे। उन्हें अपने राजनीतिक सफर की पहली हार इसी उम्र में मिली और उन्होंने राजनीतिक सफर को बीते साल ही अलविदा कह दिया था।
पद्म विभूषण से हुए थे सम्मानित
30 मार्च, 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
हालांकि उन्होंने 3 दिसंबर 2020 को भारतीय किसानों के विरोध का समर्थन करने के लिए इस सम्मान को वापस कर दिया था।
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