Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (physiotherapist can not use doctor prefix with name says DGHS) नाम के आगे डॉक्टर लग जाए तो इज्जत बढ़ जाती है. छोटे शहरों या कस्बों में तो दवा की दुकान चलाने वाले केमिस्ट भी डॉक्टर ही कहलाते हैं.
लेकिन एक तरह के मेडिकल एक्सपर्ट हैं जिनके नाम के आगे डॉक्टर लगाने पर अब डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) ने रोक लगा दी है.
ये आदेश फिजियोथेरेपिस्ट्स (Physiotherapists) को लेकर जारी किया गया है.
DGHS का कहना है कि फिजियोथेरेपिस्ट्स के नाम के आगे डॉक्टर (Dr Prefix) लगने से ये भ्रमित करता है और मरीजों में कन्फ्यूजन पैदा कर सकता है.
DGHS द्वारा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को लिखे गए एक लेटर में DGHS ने कहा कि भारतीय भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास संघ (Indian Association of Physical Medicine and Rehabilitation – IAPMR) सहित कई समूहों ने फिजियोथेरेपी के लिए योग्यता पर आधारित पाठ्यक्रम, 2025 के प्रावधान पर आपत्ति जताई है.
अप्रैल 2025 में जारी नए सिलेबस में सुझाव दिया गया था कि फिजियोथेरेपी से ग्रेजुएट होने वाले अपने नाम के आगे ‘Dr’ और नाम के अंत में ‘PT’ का प्रयोग कर सकते हैं.
DGHS का कहना है कि फिजियोथेरेपिस्ट्स मेडिकल डॉक्टर्स के जितना प्रशिक्षित नहीं होते.
इसलिए उन्हें खुद को डॉक्टर के तौर पर पेश नहीं करना चाहिए.
DGHS ही वो रेगुलेट्री बॉडी है जो स्वास्थ्य सेवाओं के रेगुलेशन के लिए जिम्मेदार है.
DGHS फिलहाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) के साथ अटैच है.
इस मामले पर IMA को जारी किए गए लेटर में DGHS की डायरेक्टर डॉ सुनीता शर्मा ने कहा फिजियोथेरेपिस्ट को मेडिकल डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित नहीं किया जाता है, इसलिए उन्हें अपने नाम के आगे ‘डॉक्टर’ का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह मरीजों और आम जनता को गुमराह करता है, जिससे संभावित रूप से नीम हकीमों को बढ़ावा मिलता है.
DGHS के लेटर में कहा गया कि फिजियोथेरेपिस्ट्स को प्राइमरी हेल्थ केयर सर्विस प्रोवाइडर के रूप में नहीं, बल्कि डॉक्टरों के रेफरल पर ही काम करना चाहिए.
रिपोर्ट के अनुसार इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्रालय और देश की अदालतों ने कई बार फिजियोथेरेपिस्ट्स के नाम के आगे ‘डॉ’ लगाने को लेकर कहा है कि ये सही नहीं है.
रिपोर्ट में पटना हाईकोर्ट के 2003 के फैसले, बेंगलुरु कोर्ट के 2020 के फैसले और मद्रास हाईकोर्ट के 2022 के फैसले का जिक्र किया है.
साथ ही तमिल नाडु मेडिकल काउंसिल ने भी कई बार एडवाइजरी जारी कर कहा है कि ‘डॉ’ शब्द केवल रजिस्टर्ड मेडिकल एक्सपर्ट्स और प्रैक्टिशनर्स के लिए आरक्षित है.
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