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New Delhi नई दिल्ली। (pager-blast lebanon hezbollah explosions) लेबनान में हिजबुल्लाह के सदस्य मंगलवार तब चौंक गए जब उनके पेजर में विस्फोट हो गया।

किसी की जेब में तो किसी के हाथ में ही पेजर विस्फोट हो गया। इस पेजर ब्लास्ट में 11 लोग मारे गए और हजारों घायल हैं।

हिजबुल्लाह ने इसके पीछे इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है।

बताया जा रहा है कि ये पेजर मूल रूप से हिजबुल्लाह के कम्युनिकेशन के लिए थे, लेकिन इजरायली एजेंसी ने इनको विस्फोटक में बदल दिया।

हिजबुल्लाह के एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना के पीछे इजराइल का हाथ है।

हिजबुल्लाह के सदस्यों के पास जो नए पेजर थे, उनमें लिथियम बैटरी थी जो फट गई।

लिथियम बैटरी जब अधिक गर्म होती है तो धुआं छोड़ती है, पिघलती है और यहां तक कि उसमें आग भी लग जाती है।

हिजबुल्लाह के सदस्य पेजर का इस्तेमाल खास नजर से बचने के लिए कर रहे थे।

भारत में 90 के दशक में पेजर का इस्तेमाल होता था

लेकिन कुछ ही साल बाद यह पूरी तरह चलन से बाहर हो गया। अब सवाल यह भी है कि क्या ऐसे हमलों से बचा जा सकता है।

पेजर धमाकों में बड़ा खुलासा

लेबनान में हुए पेजर धमाकों के बारे में बड़ा खुलासा सामने आया है।

लेबनान के एक वरिष्ठ सुरक्षा सूत्र के हवाले से रॉयटर्स ने दावा किया है कि इजरायली एजेंसी मोसाद ने इन पेजर्स में विस्फोटक लगाया था।

रिपोर्ट कहती है कि मंगलवार को जिन पेजर में विस्फोट हुए उनको महीनों पहले हिजबुल्लाह ने ऑर्डर किया।

ये 5,000 पेजर ताइवान में बने थे और सभी पेजर के अंदर थोड़ा-थोड़ा विस्फोटक था।

एक पेजर में करीब तीन ग्राम विस्फोटक रखा गया था।

कई सूत्रों ने को बताया है कि यह साजिश कई महीनों से चल रही थी।

लेबनान के वरिष्ठ सुरक्षा सूत्र ने कहा कि हिजबुल्लाह ने ताइवान स्थित गोल्ड अपोलो को 5,000 बीपर का ऑर्डर दिया था।

कुछ महीने पहले उनको ये ऑर्डर मिल गया था। अब जबकि देशभर में ये पेजर पहुंचे तो इनमें विस्फोट किया गया।

सूत्र ने कहा, ‘मोसाद ने डिवाइस के अंदर एक बोर्ड लगाया, जिसमें विस्फोटक सामग्री थी और ये एक कोड प्राप्त करता है।

इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है। किसी भी डिवाइस या स्कैनर से इसे पकड़ा नहीं जा सकता है।

जब उन्हें कोडिड मैसेज भेजा गया तो विस्फोटक एक्टिव हुए और 3,000 पेजर फट गए।’

एक अन्य सुरक्षा सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि नए पेजर में तीन ग्राम तक विस्फोटक था और महीनों तक रखे रहने के बावजूद हिजबुल्लाह इसका पता नहीं लगा सका।

विस्फोट के बाद सामने आई पेजर की तस्वीरों में ताइवान की गोल्ड अपोलो कंपनी के मार्क मिले हैं।

3 ग्राम विस्फोटक और सिर्फ एक मैसेज

एक रिपोर्ट के मुताबिक इन पेजर को इस साल अप्रैल-मई के महीने में ताइवान से लेबनान भेजा गया था।

ऐसे में इस बात की पूरी गुंजाइश है कि इसकी तैयारी कई महीने पहले ही कर ली गई थी।

जिन पेजर में विस्फोट हुआ उनमें 3 ग्राम के करीब विस्फोटक लगा हुआ था।

इसे पेजर में लगी बैटरी के बगल में विस्फोटक लगाया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक दोपहर के वक्त इन पेजर्स पर एक संदेश आया और इस मैसेज ने पेजर में लगे विस्फोटक को एक्टिवेट कर दिया।

हिजबुल्लाह के सदस्य इसलिए कर रहे थे पेजर का इस्तेमाल

हिजबुल्लाह के सदस्यों को आपसी बातचीत के लिए मोबाइल फोन की जगह पेजर का इस्तेमाल करने को कहा गया था।

मोबाइल से दूर रहने को कहा गया था और यह आशंका जाहिर की गई थी कि ऐसा करते हैं तो इजरायल उन्हें आसानी से निशाना बना सकता है।

पेजर छोटा कम्युनिकेशन डिवाइस होता है जिनका इस्तेमाल मोबाइल फोन के आने से पहले एक दूसरे को मैसेज भेजने के लिए किया जाता था।

आसान शब्दों में इसे समझें तो एसएमएस भेजने का एक उपकरण।

पेजर पर कोई मैसेज आता है तो लाइट ब्लिंक होती है जिसके बाद यूजर को नए मैसेज के बारे में पता चलता है।

यह कैसे काम करता है

पेजर के अंदर एक छोटा विस्फोटक लगाकर दूर से ही एक्टिवेट किया गया।

यह एक्टिवेशन किसी रेडियो सिग्नल के जरिए भी किया जा सकता है।

एक बार जब विस्फोटक को एक्टिवेट किया जाता है तो यह एक शक्तिशाली विस्फोट पैदा करता है जो पेजर और आसपास की चीजों को नष्ट कर देता है।

पेजर बम के इस्तेमाल के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले इसका इस्तेमाल टारगेट किलिंग के लिए किया जा सकता है।

यह एक बेहद खतरनाक तरीका है क्योंकि जिसे टारगेट किया गया उसे पता भी नहीं चल पाता कि उसे मारा कैसे गया।

दूसरे, इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर विध्वंस के लिए भी किया जा सकता है। कई पेजर बमों को एक साथ रखकर किसी बिल्डिंग को भी उड़ाया जा सकता है।

अब इस बात का है खतरा

पेजर विस्फोट या इस प्रकार के ब्लासट से जुड़े कई खतरे हैं।

सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसका पता लगाना काफी मुश्किल होता है।

क्योंकि यह एक छोटे से डिवाइस के अंदर छिपा होता है, इसलिए इसे पहचान पाना लगभग नामुमकिन है।

दूसरा खतरा यह है कि इसे अनजाने में एक्टिवेट किया जा सकता है।

अगर किसी को यह पता न चले कि पेजर में विस्फोटक लगा है, तो वह इसे अनजाने में एक्टिवेट कर सकता है, जिससे एक विस्फोट हो सकता है।

मेटल डिटेक्टर में आसानी से पकड़ में नहीं आता। लेबनान में इन हमलों की खबरों के बाद इस तरह के हमलों की आशंका बढ़ गई है।

 

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