Prabhat Times
Chandigarh चंडीगढ़। (nri industrialist lord swaraj paul dies in london)भारतीय मूल के प्रख्यात ब्रिटिश उद्योगपति और परोपकारी लॉर्ड स्वराज पॉल का गुरुवार देर रात लंदन में 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
उनकी गिनती ब्रिटेन के सबसे अमीर लोगों में होती थी। इसी साल वो Sunday Times Rich List के मुताबिक ब्रिटेन के 81वें नंबर के अमीर थे।
2015 में उनका रैंक 38 वां था। 2008 में Eastern Eye की सूची में वे ब्रिटेन के सबसे अमीर एशियाई थे। हालांकि, उनकी जड़ें पंजाब और हरियाणा से जुड़ी हैं।
लॉर्ड स्वराज पॉल का जन्म आजादी से पहले 1931 में अविभाजित पंजाब के जालंधर में हुआ था। आजादी के बाद परिवार हरियाणा के भिवानी के गांव चांग में बस गया।
1960 के दशक में स्वराज पॉल अपनी बेटी के कैंसर का उपचार करवाने के लिए ब्रिटेन गए। 4 साल की बेटी तो नहीं बची, लेकिन वो वहीं बस गए।
उन्होंने बेटी के नाम से अंबिका पॉल फाउंडेशन की स्थापना की। फाउंडेशन के जरिए बच्चों और युवाओं के शिक्षा-स्वास्थ्य सहित अन्य योजनाओं के लिए दान किया। उन्होंने अपने चांग गांव के स्कूल के भवन का निर्माण करवाने के लिए भी दान दिया था।
पंजाब के जालंधर में हुआ जन्म
लॉर्ड स्वराज पॉल का जन्म 18 फरवरी 1931 को पंजाब के जालंधर में हुआ था। उनके पिता प्यारे लाल अग्रवाल एक छोटा सा फाउंड्री चलाते थे, जहां स्टील की बाल्टियां और कृषि उपकरण बनाए जाते थे।
स्वराज पॉल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जालंधर के लब्बू राम दोआबा स्कूल से प्राप्त की, जहां उनका नाम ‘स्वराज पाल’ दर्ज था।
बाद में उन्होंने फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर और दोआबा कॉलेज, जालंधर में पढ़ाई की।
इसके बाद वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने अमेरिका गए।
11 साल पहले आए थे जालंधर
अमृतसर एयरपोर्ट के बाहर ऑडी और बीएमडब्ल्यू जैसी बड़ी-बड़ी गाडिय़ां लॉर्ड स्वराज पॉल के लिए तैयार थीं।
लेकिन, वे 14 सीटर बस में परिवार के साथ बैठे और जालंधर के लिए निकल पड़े।
यहां पहुंचने के बाद लॉर्ड स्वराज पॉल ने कहा-‘मेरी उम्र 83 साल हो चुकी है।
पता नहीं दोबारा अपने देश आ भी सकूं या नहीं। इसलिए अपने परिवार खासकर पोते-पोती आर्ची और अमाल्या को उनके रूट्स दिखाने लाया हूं।
उन्हें वह घर दिखाऊंगा, जहां मैंने जन्म लिया। अपना स्कूल और कॉलेज भी दिखाऊंगा। ग्रैंड चिल्ड्रन के कहने पर ही मैं यहां आया हूं।’
पीएम ने जताया शोक, कही ये बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि श्री स्वराज पॉल जी के निधन से गहरा दुख हुआ।
उद्योग, परोपकार और यूके में सार्वजनिक सेवा में उनके योगदान और भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए उनके अटूट समर्थन को हमेशा याद किया जाएगा।
मैं हमारी कई मुलाकातों को स्नेहपूर्वक याद करता हूं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।
1960 में गए थे ब्रिटेन
1960 के दशक में अपनी बेटी अंबिका के कैंसर के इलाज के लिए वे ब्रिटेन चले गए।
चार साल की उम्र में अंबिका के निधन ने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया, जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की स्मृति में ‘अंबिका पॉल फाउंडेशन’ की स्थापना की।
इस फाउंडेशन ने दुनिया भर में बच्चों और युवाओं की शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए लाखों पाउंड का दान दिया।
हाल ही में, उन्होंने भिवानी जिले के चांग गांव में राजकीय सीनियर सेकेंडरी कन्या स्कूल के नए भवन निर्माण के लिए करीब 3 करोड़ रुपये का दान दिया।
इसके अलावा, देश भर में एपीजे स्कूलों की स्थापना में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
देश में एपीजे स्कूल-कॉलेज पॉल परिवार की देन : देश भर में एपीजे स्कूल की स्थापना भी पॉल परिवार की ही देन है।
एपीजे एजुकेशन सोसाइटी का गठन 1967 में डॉ. सत्य पॉल ने किया था, जो गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी रहे और स्वराज पॉल के पिता थे।
दादरी (पहले भिवानी का हिस्सा) में भी एपीजे कॉलेज और स्कूल हैं। फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोहना में भी एपीजे शिक्षण संस्थान हैं।
जालंधर में अपनी पुराने स्कूल (अब एपीजे स्कूल) की यात्रा के दौरान उन्होंने अपनी पत्नी, पुत्र और पोते के साथ बचपन की यादें ताजा कीं और वहां एक नीम का पौधा भी रोपा, जो आज भी स्कूल परिसर में मौजूद है।
लॉर्ड पॉल ने 1968 में यूके में कपारो ग्रुप की स्थापना की, जो स्टील और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक वैश्विक समूह बन गया।
यह समूह यूके, उत्तरी अमेरिका, भारत और मध्य पूर्व में 40 से अधिक स्थानों पर संचालित होता है और अपने चरम पर 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता था।
उनकी संपत्ति का अनुमान 2025 में ‘संडे टाइम्स रिच लिस्ट’ में 2 बिलियन पाउंड आंका गया, जिसके साथ वे 81वें स्थान पर थे।
1978 में उन्हें ब्रिटिश महारानी से नाइटहुड की उपाधि मिली और 1996 में कंजर्वेटिव प्रधानमंत्री जॉन मेजर द्वारा उन्हें हाउस ऑफ लॉर्ड्स में लाइफ पीयर नियुक्त किया गया, जिसके बाद वे मैरीलेबोन के लॉर्ड पॉल के रूप में जाने गए।
उन्होंने 1998 से 2010 तक ब्रिटिश व्यापार के राजदूत के रूप में भी सेवा दी और 2008 में हाउस ऑफ लॉर्ड्स के डिप्टी स्पीकर बने।
2012 के लंदन ओलंपिक की बोली में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, जहां उन्होंने सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को लंदन के पक्ष में राजी करने वाली टीम का हिस्सा बनकर योगदान दिया।
लॉर्ड पॉल ने वॉल्वरहैम्प्टन विश्वविद्यालय और वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में कुलाधिपति के रूप में भी सेवा दी।
उनकी फाउंडेशन ने वॉल्वरहैम्प्टन विश्वविद्यालय को 2015 में 10 लाख पाउंड का दान दिया, जो विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा एकल दान था।
इसके अलावा, लंदन जू में अंबिका पॉल चिल्ड्रन जू और MIT में स्वराज पॉल थिएटर उनकी परोपकारी विरासत के प्रतीक हैं।
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