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पटियाला। (Navjot Sidhu released from jail Ex president PPCC)  दिन भर के लंबे इंतजार के बाद शाम के समय नवजोत सिद्धू जेल से बाहर आ गए। 317 दिन बाद नवजोत सिद्धू आज भी पुराने और तीखे तेवर में ही नज़र आए। सिद्धू को अच्छे आचरण की वजह से लगभग 48 दिन पहले रिहा किया गया है।

उन्होंने पटियाला में हुए रोडरेज केस में एक साल की कैद काटी। सिद्धू के बाहर निकलने पर समर्थकों ने पूरे जोश से उनका स्वागत किया।

जेल के बाहर आते ही नवजोत सिद्धू तीखे तेवर में नज़र आए। सिद्धू ने केंद्र से लेकर पंजाब की भगवंत मान सरकार पर तगड़े हमले किए। लॉ एडं आर्डर सिच्एशन और पंजाब सरकार के बजट को लेकर सिद्धू ने सरकार के हर कदम पर सवाल उठाए।

सिद्धू ने कहा कि राहुल गांधी क्रांति है। वे हमेशा राहुल गांधी के साथ खड़े हैं और डटकर खड़ें रहेंगे। गांधी परिवार की तारीफ करते हुए कहा कि इस परिवार ने ही देश को आजादी दिलवाई है.

जेल से बाहर आकर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि अभी लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है. पंजाब में राष्ट्रपति शासन लाने की साजिश अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. पंजाब को कमजोर करने की कोशिश की तो कमजोर हो जाओगे.

नवजोत सिद्धू ने कहा कि परिवार के लिए कुछ नहीं. वे हमेशा पंजाब के साथ हैं. उनका सब कुछ पंजाब के लिए ही है.

पंजाब सरकार के बजट पर सिद्धू ने कहा कि बड़ा सवाल ये है कि इतना पैसा लाएंगे कहां से।

 

जेल नियमों के अनुसार रिहाई

नवजोत सिंह सिद्धू को 1990 के एक रोड रेज के मामले में 19 मई 2022 को कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई थी. जिसके बाद से वो पटियाला की जेल में बंद थे. लेकिन आज करीब 48 दिन पहले उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है.

बताया जाता है कि जेल नियमों के अनुसार, कैदियों को हर महीने 4 दिन की छुट्टी दी जाती है. एक साल की सजा के दौरान सिद्धू ने एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली जिस वजह से उनकी रिहाई जल्दी की गई है.

दो महीने पहले ही हुई सिद्धू की रिहाई

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू अपनी सजा से दो महीने पहले रिहा हुए हैं. उनके वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि पंजाब प्रिजन रूल्स के मुताबिक अगर किसी कैदी का बर्ताव अच्छा होता है तो उसे समय से पहले रिहा किया जा सकता है. इस नियम के मुताबिक अगर किसी कैदी का बर्ताव अच्छा रहता है तो हर महीने 5 से 7 दिन उसकी सजा कम होती जाती है. बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त को भी इसी आधार पर समय से पहले रिहा किया गया था.

35 साल पुराने मामले में हुई थी सजा

सिद्धू को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने 1988 के रोड रेज केस में 1 साल की सजा सुनाई थी. वे पिछले 10 महीने से जेल में बंद थे. उन्हें आज रिहा कर दिया गया. आइए आपको बताते हैं कि वो मामला क्या है जिसमें उन्हें सजा हुई थी. दरअसल 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे. इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई. बात हाथापाई तक जा पहुंची.

गैर इरादतन हत्या के मामले में हुई सजा

सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ.

लोअर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा केस

इसके बाद सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. 1999 में सेशन कोर्ट ने ने केस को खारिज कर दिया. इसके बाद केस हाई कोर्ट पहुंचा और दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई, साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. मई 2018 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू और संधू को रोड रेज के मामले में दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई. फिर इस सजा के ऐलान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.

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