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Jalandhar जालंधर। (MLA Raman Arora corruption case – Black money worth crores invested in this commercial property) विधायक रमन अरोड़ा क्रप्शन केस की परतें खुलती जा रही हैं।

विजिलैंस द्वारा बारीकी से की जा रही जांच में कई ऐसी प्रोपर्टी सामने आई हैं, जिनमें कथित तौर पर विधायक रमन अरोड़ा की करोड़ों की ब्लैक मनी इनवेस्ट है।

रमन अरोड़ा व उनके करीबी महेश मखीजा विजिलेंस कस्टडी में है। दोनो से विजिलेंस अधिकारी हर ऐंगल से लगातार पूछताछ कर रहे हैं। विजिलेंस की कुछ टीमें उनके रिश्तेदारों पर भी नज़र रखे हुए हैं।

मुख्य तौर पर विधायक रमन अरोड़ा के तीन साल के कार्यकाल के दौरान उनके करीबियों ने कहां कहां इनवेस्ट किया, क्या खरीदा क्या बेचा… इन सब की हर ऐंगल से जांच की जा रही है।

विजिलेंस की बारीकी से जांच में रमन अरोड़ा करीबी रिश्तेदार शहर के बीचो बीच नकोदर रोड़ पर करीब 20 मरले की कमर्शियल प्रोपर्टी विजिलेंस के टारगेट पर आई है।

सूत्रों से पता चला है कि विजिलेंस को पिछले दिनी पता चला था कि रमन अरोड़ा के करीबी रिश्तेदार द्वारा नकोदर रोड़ पर लवली स्वीटस के निकट 20 मरले की कमर्शियल प्रोपर्टी खरीदी है।

विजिलेंस ने इस प्रोपर्टी को लेकर रिकार्ड जांचना शुरू किया तो सनसनीखेज खुलासा हुआ। दरअसल में ये 20 मरले की कमर्शियल प्रोपर्टी रमन अरोड़ा के विधायकी के कार्यकाल के दौरान ही खरीदी गई।

करीबी रिश्तेदार ने शहर के बैंकिंग सिस्टम से जुड़े एक व्यक्ति से प्रोपर्टी खरीदी। उक्त प्रोपर्टी की रजिस्ट्री जब विजिलेंस के सामने आई तो रजिस्ट्री में खसरे नंबर नहीं डाले गए थे।

करीब 20 मरले के प्लाट की रजिस्ट्री में सिर्फ प्लाट की हदें डाली गई थी, खसरा नंबर नहीं लिखे गए। ये दिखाया गया कि उक्त प्रोपर्टी लाल लकीर के अंदर आती है। इसलिए खसरा नंबर नहीं है।

लेकिन विजिलेंस विभाग द्वारा जब रजिस्ट्री और प्लाट संबंधी रेविन्यू रिकार्ड के अधिकारियों को जांच के लिए कहा गया तो सनसनीखेज खुलासा हुआ।

खुलासा हुआ कि जिस प्लाट की हदें डाल कर रेविन्यू विभाग में प्रोपर्टी रजिस्टर हुई है, दरअसल में वो प्लाट लाल लकीर के अंदर नहीं बल्कि खसरा नंबर वाली प्रोपर्टी है। जबकि रमन अरोड़ा के करीबियों ने बिना खसरे के रजिस्ट्री करवाई।

निगम अधिकारियों की भी मिलीभगत

विजिलेंस सूत्रों ने बताया कि अब तक की जांच में तथ्य सामने आए कि रमन अरोड़ा द्वारा उक्त प्लाट का नक्शा पास करने में निगम अधिकारियों की भी मिलीभगत है।

ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं कि रमन अरोड़ा और नगर निगम अधिकारियों द्वारा नियमों को ताक पर रख कर कमर्शियल नक्शा भी पास करके सरकार को लाखों का चूना लगाया और कमर्शियल निर्माण कर दिया।

विजिलेंस अब इस प्लाट का नक्शा पास करने वाले अधिकारियों को भी जांच में शामिल कर रही है।

एनआरआई का है प्लाट

जांच में यें भी तथ्य सामने आए हैं कि उक्त जगह का असल मालिक एनआरआई है। उक्त एनआरआई का अदालत में केस भी चल रहा है। अब विजिलेंस द्वारा एनआरआई को भी तलब किया जा रहा है।

करोड़ों की है प्रोपर्टी, सरकार को भी लगाया चूना

विजिलेंस सूत्रों का मानना है कि प्रोपर्टी के इस खेल में रमन अरोड़ा ही किंगपिन है। क्योंकि प्लाट की रजिस्ट्री फर्जी है।

ये दस्तावेज बहुत कम कीमत दिखा कर रजिस्टर करवाए गए हैं। जिस रेट पर रजिस्ट्री करवाई गई है, प्लाट की कीमत उससे कई सौ प्रतिशत ज्यादा है।

विजिलेंस सूत्रों का मानना है कि इस प्रोपर्टी में रमन अरोड़ा द्वारा करोड़ों की ब्लैक मनी इनवेस्ट की है।

विजिलेंस द्वारा रमन अरोड़ा के करीबी रिश्तेदार की अकाउंटस डिटेल चैक की जा रही है और जांचा जा रहा है कि इस मामले में एक्चूअल में कितने रूपए का लेन देन हुआ है।

करीबी रिश्तेदार, सांझेदार सब विजिलेंस के टारगेट पर

विजिलेंस ब्यूरो की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है। विजिलेंस की टीमें रमन अरोड़ा के रिश्तेदारों की प्रोपर्टीयां खंगाल रहे हैं।

इसका कारण ये है कि रमन अरोडा द्वारा अपनी ब्लैकमनी रिश्तेदारों, दोस्तों के कारोबार में इनवेस्ट की है। विजिलेंस के टारगेट पर चरणजीतपुरा ईलाके का एक कनफैक्शनरी कारोबारी भी है।

 

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