Prabhat Times
नई दिल्ली। (ministry of home affairs fir registered against famous gangsters under uapa) गृह मंत्रालय के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने देश के नामी गैंगस्टरों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एफआईआर दर्ज की है.
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने आतंक और अपराध का पर्याय बन चुके दिल्ली और पंजाब के दो बड़े गैंग्स के कई नामी गैंगस्टरों के खिलाफ ये कार्रवाई की है.
इन गैंगस्टरों में लॉरेंस बिश्नोई गैंग, बंबीहा गैंग और नीरज बबानिया गैंग के करीब दर्जन भर गैंगस्टरों पर यूएपीए के तहत दो एफआईआर दर्ज कर ली गई है.
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इन मामलों में यूएपीए भी लगाया है. वहीं बमबीहा गैंग के कुशल चौधरी, लकी पटियाला और अन्य गैंगस्टर्स पर यूएपीए के तहत दूसरी एफआईआर दर्ज की गई है.
दरअसल पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय में इन सभी गैंग्स पर कार्रवाई के लिए कई उच्च स्तरीय बैठक हुई थी.
20 से 25 अगस्त के बीच हुई 4 से 5 बैठकों में NIA, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, गृह मंत्रालय और आईबी के अधिकारी मौजूद थे.
इस बैठक में निर्णय लिया गया कि ये गैंग आतंकियों की तरह ही काम कर रहे हैं, इसलिए आतंकी गतिविधियों की जांच करने वाली एजेंसी से इनकी जांच कराई जाए.
NIA ने तैयार किया इन गैंगस्टर्स का डोजियर
NIA ने इन गैंगस्टरों का डोजियर तैयार किया है, जिसमें कहा गया है कि टारगेटेड किलिंग करने वाले ये गैंग आतंक का पर्याय बन चुके हैं.
ये गैंगस्टर सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को बरगलाते हैं और गैंगवार का दुष्प्रचार करते हैं. सोशल मीडिया पर अपने जुर्म और गैंगवार की तस्वीरें डालकर गैंग के मुखिया अपने आप को रॉबिन हुड बनाते हैं.
बता दें कि पंजाब में सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद खुफिया सूत्रों और दिल्ली पुलिस ने गैंगवार की आशंका जताई थी.
इस वजह से बॉर्डर स्टेट पंजाब में माहौल खराब हो सकता था. इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय जांच एजेंसियों और पंजाब पुलिस ने इन गैंगस्टर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना शुरू कर दी थी.
सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का आरोप गैंगस्टर्स लॉरेंस बिश्नोई पर लगा है. इस मर्डर केस में शामिल कुछ शूटर्स को पुलिस ने मार गिराया है.
UAPA: गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम
सबसे पहले आपको बता दें कि UAPA का फुल फॉर्म Unlawful Activities (Prevention) Act होता है. इसका मतलब है- गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम.
इस कानून का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है. इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, इसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं.
इस मामले में एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को काफी शक्तियां होती है. यहां तक कि एनआईए महानिदेशक चाहें तो किसी मामले की जांच के दौरान वह संबंधित शख्स की संपत्ति की कुर्की-जब्ती भी करवा सकते हैं.
1967 में आया कानून, 2019 में संशोधन के बाद और मजबूत हुआ
यूएपीए कानून 1967 में लाया गया था. इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए लाया गया था.
पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों से संबंधी POTA और TADA जैसे कानून खत्म कर दिए गए, लेकिन UAPA कानून अब भी मौजूद है और पहले से ज्यादा मजबूत है.
अगस्त 2019 में ही इसका संशोधन बिल संसद में पास हुआ था, जिसके बाद इस कानून को ताकत मिल गई कि किसी व्यक्ति को भी जांच के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है.
पहले यह शक्ति केवल किसी संगठन को लेकर थी. यानी इस एक्ट के तहत किसी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाता था.
सदन में विपक्ष को आपत्ति पर गृहमंत्री अमित शाह का कहना था कि आतंकवाद को जड़ से मिटाना सरकार की प्राथमिकता है, इसलिए यह संशोधन जरूरी है.
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