Prabhat Times
चंडीगढ़। (Ministers Tript Rajinder Bajwa Sukhjinder Randhawa Want to Meet Captain Amrinder) पंजाब के सी.एम. कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलने की मांग उठाने वाले राज्य के दो बागी मंत्री (Ministers) तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखजिन्द्र सिंह रंधावा अब फिर सी.एम. से मिलना चाहते हैं। कैप्टन को मिलने का बहाना बटाला को जिला बनाने के साथ साथ कई अन्य मुद्दे रखे गए हैं। लेकिन अचानक इन मंत्रियों (Ministers) के हुए ‘ह्रदय परिवर्तन’ को राजनीतिक हल्कों में पिछले दिनों के कैप्टन अमरिंदर को बदलने के घटनाक्रम से जोड़ कर देखा जा रहा है। जिसमें हाईकमान ने इन मंत्रियों को तवज्जो तक नहीं दी थी।
बता दें कि पंजाब कैबिनेट में सत्ता सुख भोगने वाले तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा और सुखजिन्द्र रंधावा को अचानक साढ़े चार साल पहले किए गए चुनावी वायदे याद आ गए और सभी नवजोत सिद्धू खेमे में कैप्टन के खिलाफ आवाज बुलंद करते नज़र आए। यहां तक इन मंत्रियों (Ministers) द्वारा कैप्टन अमरिंदर को बदलने की मांग तक उठाई और हरीश रावत तक पहुंचे। लेकिन हाईकमान द्वारा तवज्जो न दिए जाने के कारण ये लोग उल्टे पांव वापस लौटे। पंजाब कांग्रेस में अभी कलह कलेश लंबित ही है, लेकिन इसी बीच आज अचानक हलचल बढ़ी है।
(Ministers) मंत्री तृप्त राजेंद्र बाजवा और सुखजिन्द्र रंधावा ने अचानक सी.एम. कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिख कर मिलने का समय मांगा है। पत्र में दोनों ने मांग की है कि बटाला जिले में ऐतिहासिक कस्बों फतेहगढ़ चूडिय़ां और श्री हरगोबिंदपुर या घुमाण को इस नए जि़ले की नई सब-डिवीजन्स बनाया जाए। मंत्रियों (Ministers) ने कहा है कि बटाला पंजाब का वह अहम शहर है जिससे हमारी समृद्ध ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक और साहित्यिक विरासत जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि बठिंडा के बाद बटाला पंजाब का सबसे पुराना शहर है, जिसकी स्थापना 1465 में रखी गई थी। जनसंख्या के पक्ष से भी यह पंजाब का आठवां सबसे बड़ा शहर है, जहाँ पिछले साल नगर निगम भी बनाई गई है।
बटाला शहर के ऐतिहासिक विरासत संबंधी दोनो मंत्रियों (Ministers) ने कहा, ‘ पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी का विवाह इसी शहर में माता सुलक्खनी जी के साथ 8 जुलाई 1487 में हुआ था। उनकी याद में यहां गुरुद्वारा डेरा साहिब और गुरुद्वारा कंध साहिब सुशोभित हैं। छठे गुरू श्री गुरु हरगोबिंद जी अपने पुत्र बाबा गुरदित्ता जी का विवाह करने के लिए भी बटाला ही आए थे और उनकी याद में शहर के बीच गुरुद्वारा सत करतारिया सुशोभित है।’
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के राज के दौरान लाहौर और अमृतसर के बाद बटाला सिख राज का एक अहम शहर था। इस राज के समय की विरासती इमारतें आज भी मौजूद हैं, जिनमें महाराजा शेर सिंह का महल और जल महल (बारांदरी) विशेष हैं। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक काली द्वारा मंदिर और सती लक्ष्मी देवी समाधि के अलावा इस शहर के नज़दीक ही अचल साहिब का वह ऐतिहासिक स्थान है, जहां भगवान शिव जी के पुत्र देवता कार्तिक की याद में अचलेश्वर धाम सुशोभित है। अचल साहिब जी के स्थान पर ही श्री गुरु नानक देव जी ने सिद्धों के साथ बातचीत की थी।

साढ़े 4 साल सत्ता सुख भोगने के बाद बागी हुए थे दोनो

दोनों नेताओं की ओर से कैप्टन को लिखे पत्र ने राजनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी है। हालांकि, पत्र में ऐतिहासिक नगर बटाला को जिला बनाने के साथ साथ अन्य मुद्दों पर विचार करने के लिए उनसे समय की मांग की गई है। काबिले गौर है कि किसी समय ये दोनों मंत्री मुख्यमंत्री के सबसे भरोसेमंद मंत्रियों में से थे लेकिन कोटकपूरा गोलीकांड में हाई कोर्ट के एसआईटी के खिलाफ फैसले ने इन्हें कैप्टन से दूर कर दिया।
दोनों मंत्री आजकल नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे में दिखाई देते हैं। मुख्यमंत्री ने तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को तो मनाने की कोशिश भी की थी और 15 दिन पहले उन्हें लंच का न्यौता दिया था लेकिन बाजवा नहीं गए। अब जब नवजोत सिद्धू के बयान और उनके कदम से पार्टी को नुकसान पहुंचा रही हैं तो दोनों मंत्रियों (Ministers) का कैप्टन को पत्र, कांग्रेस की राजनीति में नई इबारत लिख सकता है।

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