जालंधर (ब्यूरो): कोविड 19 के कारण चल रहे लॉकडाउन 4.0 में दी गई राहत के मद्देनज़र कई बाजार खुल चुके हैं और कई बाजार खुलने के इंतज़ार में हैं। पिछले कई दिनों से कैंटोनमैंट एरिया के कारण बंद पड़ा माईं हीरा गेट, मिट्ठा बाजार व भैरों बाजार भी शुक्रवार सुबह से खुल जाएगा। ईलाका विधायक बावा हैनरी के प्रयासों से जिला प्रशासन ने दुकानदारों को सुबह 10 से शाम 5 बजे तक दुकानें खोलने की अनुमति दे दी है। इन मार्किट में ऑड-ईवन फार्मूले पर दुकानें खुलेंगी। बता दें कि भैरों बाजार, माईं हीरा गेट कोरोना महामारी के कारण बंद रहा। इन बाजारों के आसपास लगते ईलाकों में कोरोना पोज़िटिव के केस आने के कारण सारा बाजार सील था। लेकिन अब कुछ दिन पहले मरीज़ों के ठीक होने तथा लॉकडाउन 4.0 में सरकार द्वारा दी गई रियायतों के बाद बाजार खुलने की बात उठने लगी। लेकिन प्रशासन द्वारा बाजार खोलने की अनुमति नहीं दी गई थी।

दुकानदार पहुंचे विधायक बावा हैनरी के पास

दुकानें न खुलने के कारण परेशान दुकानदारों को साथ लेकर आज वार्ड नम्बर 53 की पार्षद रजनी बाहरी के पति और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलिल बाहरी खुद विधायक बावा हैनरी के पास पहुंचे। ईलाकावासियों की समस्याएं दूर करने के लिए वचनबद्ध विधायक बावा हैनरी ने उसी क्षण जिला प्रशासनिक अधिकारियों से बात की। साथ ही लिखित भेजा गया कि सभी दुकानदार नियमों का पालन करते हुए काम करेंगे।इसके पश्चात बावा हैनरी ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सलिल बाहरी को जिला प्रशासनिक अधिकारियों के पास भेजा और शाम के समय दुकानें खोलने की मंजूरी मिल गई। सलिल बाहरी ने बताया कि विधायक बावा हैनरी के प्रयासों से ये काम आसान हो सका। अब शुक्रवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक इन बाजारों में दुकानदार अपनी दुकानें खोल सकेंगे।

पढ़ें बाजार खोलने के आदेश

दोपहर में बनी असमंजस की स्थिति

पता चला है कि दोपहर के समय विपक्ष के एक नेता बाजार पहुंचे और सभी दुकानदारों को बाजार खोलने के लिए कहा। कुछेक ने दुकानें खोल भी ली। लेकिन कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई और दुकानें बंद करने के लिए कहा। पुलिस वालों ने स्पष्ट किया कि ये बाजार खोलने की अनुमति प्रशासन द्वारा नहीं दी गई है। इसलिए अगर कोई दुकान खोलेगा तो उसका चालान हो सकता है। इस पर सभी दुकानदारों ने दुकानें बंद कर दी। बिना अनुमति के दुकानें खुलवाने के मामले में देर शाम तक चर्चा का विषय रहा कि कुछ लोगों द्वारा क्रेडिट लेने के चक्कर में दुकानदारों का चालान कटवा देना था।