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New Delhi नई  दिल्ली। (Mamta Kulkarni Expelled By Kinnar Akhara) ममता कुलकर्णी अब महामंडलेश्‍वर नहीं रहीं. किन्नर अखाड़े ने महज 7 दिनों के भीतर ही महामंडलेश्वर का ताज छीन लिया है.

हाल ही में ममता कुलकर्णी सन्यास दीक्षा ग्रहण कर किन्नर अखाड़े में शामिल हुई थीं.

उन्हें महाकुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधी से नवाजा गया था. किन्नर अखाड़े में उनकी एंट्री के बाद से ही बवाल था.

ममता कुलकर्णी पर किन्नर अखाड़े में ही मतभेद था. मगर अब इस उहापोह का पटाक्षेप हो गया है.

किन्नर अखाड़े के संस्‍थापक ऋषि अजयदास ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्‍वर पद से हटा दिया है.

ममता को यह पदवी देने वालीं आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी अखाड़े ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

ममता कुलकर्णी पर किन्नर अखाड़े ने एक बयान जारी किया. इस बयान में ममता कुलकर्णी के ऊपर एक्शन की वजह बताई गई हैं.

अब सवाल है कि आखिर ममता कुलकर्णी की वो कौन सी बातें हैं, जो किन्नर अखाड़े को खल गईं.

आखिर महज 7 दिनों में ही ममता से यह ताज क्यों छीन लिया गया. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस फैसले के पीछे की वजह क्या है.

पहली बात: किन्नर अखाड़े को सबसे पहली तकलीफ इस बात से थी कि ममता कुलकर्णी को डायरेक्ट महामंडलेश्वर की उपाधी दी गई.

ममता कुलकर्णी को पहले वैराग्य की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए था.

उन्हें सन्यासी बनना चाहिए था. तब जाकर अगर उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाती तो शायद दिक्कत नहीं होती.

इसका जिक्र खुद उस बयान में किया गया है, जो किन्नर अखाड़े ने जारी किया.

दूसरी बात: ममता कुलकर्णी फिल्मी दुनिया से रही हैं. फिल्मी दुनिया से होना बड़ी वजह नहीं थी. उनका फिल्मों बोल्ड अवतार ही असल वजह है.

उन्होंने 90 के दशक में टॉपलेस फोटो शूट कराया था. किन्नर अखाड़े के कई लोगों को आपत्ति इसी बात से थी.

तीसरी बात: ममता कुलकर्णी का नाम अंडरवर्ल्ड से भी जुड़ा था.

ऐसे आरोप लगते हैं कि ममता ने फिल्मी दुनिया छोड़कर ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से दुबई में शादी कर ली थी.

एक वक्त तो उनके खिलाफ तो अरेस्ट वारंट तक जारी हुआ था. उनके ऊपर देशद्रोह के आरोप रहे हैं और अंडरवर्ल्ड से भी कनेक्शन के आरोप रहे हैं.

चौथी बात: अखाड़ों का नियम है किजो व्यक्ति महामंडमलेश्वर बनता है, उसे संन्यासी होना चाहिए और उसका मुंडन होना चाहिए.

संन्यास बिना मुंडन संस्कार के मान्य नहीं होता. ममता कुलकर्णी न तो संन्यासी थीं और न ही उनका मुंडन संस्कार हुआ था.

पांचवीं बात: किन्नर अखाड़े के नियम के मुताबिक अखाड़े के संन्यासियों को वैजंती माला गले में पहननी होती है.

मगर ममता कुलकर्णी ने रुद्राक्ष की माला पहनी थी. ममता कुलकर्णी की महामंडलेश्वर वाली पदवी किन्नर अखाड़े के नियमों के अनुरूप नहीं थी.

अखाड़े के चीफ ने यह बयान जारी किया.

ये सब ऐसी बातें हैं, जिसकी वजह से अखाड़े के सदस्यों में दो फाड़ थी.

किन्नर अखाड़े का एक बड़ा तबका ममता कुलकर्णी के बैकग्राउंड की वजह से असहज महसूस कर रहा था.

यही वजह है कि आज किन्नर अखाड़े के संस्थापक ने ममता कुलकर्णी के साथ-साथ आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को बाहर का रास्ता दिखा दिया.

आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी 2015-16 उज्जैन कुंभ में महामंडलेश्वर बनी थीं.

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