नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) मामले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया है कि विभिन्न सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज (Relief Package) दिया गया है।
मौजूदा महामारी के बीच सरकार के लिए संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और ज्यादा राहत दी जाए।
केंद्र ने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘वित्तीय नीतियों के मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।’
अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सेक्टर के लिए हानिकारक
हाल ही में जमा किए गए एक हलफनामे में सरकार ने कहा, ‘नीति बनाना केंद्र सरकार का काम है और कोर्ट को विशेष सेक्टर्स के आधार पर वित्तीय राहत देने के मामले में नहीं पड़ना चाहिए।
2 करोड़ रुपये तक के लोन चक्रवृद्धि ब्याज की छूट के अलावा अन्य कोई भी राहत देना देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सेक्टर के लिए हानिकारिक साबित हो सकता है।
2 करोड़ रुपये के लोन पर माफ करने को सरकार तैयार
पिछले सप्ताह ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वो 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर देय ‘ब्याज पर ब्याज’ को माफ करने के लिए तैयार है।
आरबीआई ने मार्च से अगस्त महीने तक के लिए आम लोगों को राहत देते हुए लोन मोरेटोरियम का ऐलान किया था ताकि मौजूदा महामारी के बीच उन्हें हर महीने ईएमआई चुकाने से राहत मिल सके।
इसके बाद बीते सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि लोन पर ब्याज पर ब्याज माफ करना संतोषजनक नहीं है।
इस दौरान कोर्ट ने सरकार से इसे रिवाइज करने को कहा था।
रियल एस्टेट और पावर सेक्टर को राहत देने की मांग
छोटे उधारकर्ताओं के लिए ईएमआई व चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए कई मुद्दों का हल नहीं निकाला गया है।
साथ ही केंद्र सरकार से रियल एस्टेट और पावर सेक्टर्स को भी राहत देने का ऐलान किया गया था।