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Chandigarh चंडीगढ़। (industry writes to fin min seeking key changes gst structure to expand tax base) बिजली बिलों को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है।

GST सिस्टम को बड़ा बनाने और टैक्स बोझ को कम करने के उद्देश्य से उद्योग संगठनों ने वित्त मंत्रालय को एक अहम सिफारिश पत्र भेजा है, जिसमें GST स्ट्रक्चर में बदलाव की मांग की गई है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इंडस्ट्री ने GST काउंसिल (GSTC) से आग्रह किया है कि वह पेट्रोलियम प्रोडक्ट, बिजली और रियल एस्टेट को चरणबद्ध तरीके से GST के दायरे में लाने पर तत्काल विचार करे.

पेट्रोलियम उत्पादों पर क्या सुझाव

ATF (एविएशन टरबाइन फ्यूल) और नैचुरल गैस से शुरुआत करते हुए अन्य पेट्रो प्रोडक्ट्स को धीरे-धीरे GST के तहत लाया जाए.

इससे टैक्स का दोहराव (Cascading Taxes) खत्म होगा और टैक्स नेट का विस्तार होगा.

बिजली को क्यों लाना चाहिए GST में

बिजली सभी बिजनेस एक्टिविटी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है.

इसके बाहर होने से कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाता, जिससे लागत बढ़ती है.

बिजली को GST में लाने से इंडस्ट्री पर टैक्स बोझ कम होगा.

रियल एस्टेट के लिए क्या बदलाव मांगे गए?

इनवर्ड सप्लाई पर ITC (Input Tax Credit) की पाबंदी हटाने की मांग की गई है.इसके जरिए रियल एस्टेट सेक्टर को बेहतर टैक्स क्रेडिट मिलेगा और खरीददारों पर असर कम होगा.

रियल एस्टेट में रेंटल, लीज़ और वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट सेवाएं पहले से GST में आती हैं, लेकिन निर्माण से जुड़ी इनवर्ड सप्लाई पर ITC नहीं मिलता, यही बदलाव मांगा गया है.

इससे क्या होगा?

टैक्स बेस बढ़ेगा, जिससे GST दरों को कम करने की गुंजाइश बनेगी.

दोहराव वाले टैक्स (Cascading Effect) हटेंगे, जिससे उपभोक्ताओं पर टैक्स का सीधा असर घटेगा.

इंडस्ट्री को लंबे समय में लागत में राहत और कॉम्पिटिशन में बढ़त मिलेगी.

कुल मिलाकर-उद्योग जगत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि GST ढांचे में रणनीतिक विस्तार अब वक्त की मांग है.

GST काउंसिल की अगली बैठक में यह मुद्दा गर्माया जा सकता है.

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