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Jalandhar जालंधर। (indian team exchanged information with various countries in every field) रूस के ऐतिहासिक शहर निजनी नोवगोरोड में पांच दिवसीय वर्ल्ड यूथ फेस्टिवल शानदार ढंग से संपन्न हो गया।

इसमें भारत से 36 सदस्यीय दल ने हिस्सा लिया और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुआ।

इस दौरान ओपनिंग और क्लोजिंग सेरेमनी पर शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

इस यूथ फेस्टिवल का उद्देश्य सभी देशों का आपस में मिलकर स्वास्थ्य, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, ए आई, (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), फेक न्यूज, पर्यावरण, विश्व शांति कलाऔर संस्कृति का आदान प्रदान करना और विभिन्न सामाजिक मुद्दों और समस्याओं पर चर्चा करना और उनके समाधान के लिए काम करना था।

भारतीय दल से भारतीय प्रतिनिधि मंडल में अनुज फलस्वाल, जयदीप सखिया, आशीष भोपाल, दीप, मनहर मल्होत्रा, पूनम यादव, श्वेता पाल, कृतिका, प्राची, वितिका, रोमित राज, दीपांशु, केवल , ओयोन चिल ओझा, अशोक शर्मा, दीप पारिख, केवल, अक्षय, आयुष आदि मौजूद थे। भारतीय दल का मार्गदर्शन भारत की नेशनल प्रिपेरटॉरी कमेटी के चेयरमैन वरुण कश्यप, सेक्रेटरी उदय सूद ने किया।

भारतीय दल में रशिया के प्रति विशेष उत्सह देखा गया। इसका विशेष कारण यउ रहा कि रशिया के भारत के साथ न केवल मित्रता पूर्ण संबंध हैं बल्कि हमारी संस्कृति, परंपराएं, इतिहास भी लगभग एक जैसा है। भारतीय दल ने विभिन्न देशों के साथ हर क्षेत्र में जानकारी का आदान प्रदान किया।

भारत और अन्य देशों से पहुंचे कई देशों को NIZHNY NOVGOROD के वीरता पूर्ण इतिहास को जानने का अवसर मिला।

वहाँ के लोगों ने कैसे निजनी बार बार तबाह होने के बाद बार बार बसाया। इस बार निजनी जैसे ऐतिहासिक शहर में जाकर न केवल उस शहर के इतिहास और उसकी वीर गाथाओं के बारे में लोगों को जानने का अवसर प्राप्त हुआ बल्कि वर्ल्ड यूथ फेस्टिवल में भी बहुत कुछ देखने और सीखने का मौका मिला।

वर्ल्ड यूथ फेस्टिवल में भारतीय दल के प्रत्येक सदस्य को काफी कुछ सीखने का और जानने का मौका मिला। भारतीय दल को वहां जाकर अपनापन महसूस हुआ।

रशिया में लोगों को मिल कर ऐसा लगता था जैसे वे रूसी नहीं भारतीय ही हैं क्योंकि भारतीय और रशियन लोगों का स्वभाव लगभग एक जैसा है।

मेहमानों का स्वागत करना, उनका ख्याल रखना, उनकी मदद करना। यही संस्कृति भारत में है और यही संस्कृति वहां भी मिलती है।

इसीलिए वहां पर भारतीयों को हमेशा एक अपनापन महसूस होता है। सभी भारतीयों का मानना था उन्हें जब भी मौका मिलेगा वे वहां जाना चाहेंगे ताकि रशिया के बारे में ज्यादा से ज्यादा जान सकें।

रूस में एक दो नहीं बल्कि कई ऐसे लोग मिले जो हिंदी के न केवल शब्दों को जानते थे बल्कि हिन्दू धर्म के बारे में भी जानते थे।

वे नमस्ते कहते हैं। वहां के लोग हमारे भगवान श्री राम को, श्री कृष्ण को, हमारी धार्मिक कथाओं को जानते हैं।

महाभारत, रामायण, गीता के बारे में भी जानते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि दोनों देश मिलकर धर्म संस्कृति कला शिक्षा को और भी आगे बढ़ा सकते हैं।

भारतीय लोग वहां कई लोगों से मिले जिनके लिए जय श्री राम, नमस्ते कहना तो आम सी बात थी।

ऐसा लगता नहीं था कि भारतीय दल किसी और देश में हैं। जब आपको किसी देश में जाकर ऐसा अपनापन मिले तो आपका बार-बार वहां पर जाने का मन करेगा।

वहां न केवल आम लोग इस तरह प्यार से मिलते थे बल्कि बड़े-बड़े अधिकारी भी बहुत स्नेह से मिलते थे। उनमें भी बहुत विन्रमता थी।

भारतीय दल को ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों से मिलने का अवसर मिला। उनके साथ लंबी बातचीत हुई।

साउथ अफ्रीका के प्रतिनिधि मंडल से बातचीत की। ईरान, श्रीलंका, तंजानिया, घाना सहित कई देशों के प्रतिनिधियों से बातचीत की।

हर किसी की अपनी अपनी समस्याएं हैं और सभी भारत के साथ मिलकर एक्सचेंज कार्यक्रम करना चाहते हैं। वर्ल्ड यूथ फेस्टिवल बहुत ही शानदार रहा।

खास बात यह है कि रूस के लोग भारत की फिल्मों के बारे में, भारत के नेताओं के बारे में , भारतीय कलाकारों के बारे में, खिलाड़ियों के बारे में भी बहुत अच्छे से जानते हैं।

जैसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, राज कपूर के बारे में भी जानते हैं उनकी फिल्मों के बारे में भी जानते हैं।

ऐसा लगता है जैसे रूस के लोग भारत के बारे में बहुत जानते हैं। जिमी जिमी आजा आजा गाना तो बहुत ही पॉपुलर है। वह तो जैसे रशिया में भारत का राष्ट्रीय फिल्मी सॉन्ग है।

भारत और रूस के संबंधों को और मजबूत करने के लिए ऐसे कार्यक्रम निरंतर होते रहना बहुत ही आवश्यक है ताकि दोनों देशों के बीच शिक्षा स्वास्थ्य संस्कृति कला व्यापार व अन्य क्षेत्रों में आदान-प्रदान बढ़ता रहे।

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