नई दिल्ली। बॉर्डर पर चीनी हिमाकत का जवाब देने के लिए भारत सरकार जल्द ड्रैगन को एक और झटका दे सकती है। इसमें भारत की नजर उन संस्थानों पर है जिन पर भारत में चीन के प्रचार-प्रसार का शक है। ऐसे 7 कॉलेज और यूनिवर्सिटीज का रिव्यू आने वाले हफ्तों में होने वाला है।
जानकारी मिली है चीन ने इन संस्थानों के साथ मिलकर अपने कन्फ्यूशियस संस्थानों के लोकल चैप्टर खोल लिए हैं। कन्फ्यूशियस संस्थानों से यहां मतलब ऐसे संस्थानों से है जिनका काम ही चीन का प्रॉपेगैंडा फैलाना होता है।सुरक्षा एजेंसियों के अलर्ट के बाद सरकार की उच्च शिक्षा में कन्फ्यूशियस संस्थानों की वजह से बढ़ते चीनी प्रभाव को लेकर 7 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की समीक्षा करने की योजना है। अब शिक्षा मंत्रालय 54 MoUs का रिव्यू करेगी।
खबर के मुताबिक, यह जाने-पहचानी यूनिवर्सिटीज जैसे आईआईटी, बीएचयू, जेएनयू, एनआईटी आदि और चीनी यूनिवर्सिटीज के बीच हुए। इसके लिए विदेश मंत्रालय और यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) को लिखा जा चुका है।
चीनी सरकार से मिलता है कन्फ्यूशियस संस्थान को पैसा
कन्फ्यूशियस संस्थान सीधे तौर पर चीनी सरकार के शिक्षा मंत्रालय से फंड प्राप्त करते हैं। इनका काम चीनी भाषा और कल्चर को फैलाना होता है।
बीते कुछ वक्त से कन्फ्यूशियस संस्थान दुनिया भर में निशाने पर है। अमेरिका, ब्रिटेन ने इनपर चीनी प्रॉपेगैंडा फैलना के आरोप लगाए हैं।
पिछले साल सितंबर में खबर आई थी कि ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने यहां ऐसी यूनिवर्सिटीज की जांच के आदेश दिए थे। दुनियाभर की कई यूनिवर्सिटीज ने ऐसे कई कोर्स बंद किए थे जिनका संबंध कन्फ्यूशियस संस्थान से था।
इन यूनिवर्सिटीज़ की होगी जांच!
उच्च स्तर के अधिकारियों के मुताबिक, भारत में जिन कन्फयूशियस संस्थानों की समीक्षा करने की योजना है, उनमें केआर मंगलम विश्वविद्यालय (गुरुग्राम), मुंबई विश्वविद्यालय, वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान, ओ .पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, (सोनीपत), स्कूल ऑफ चाइनीज लैंग्वेज (कोलकाता) और भारथिअर विश्वविद्यालय (कोयंबटूर) तथा जालंधर की एक बड़ी प्राईवेट यूनिवर्सिटी शामिल हैं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि जेएनयू का भी एमओयू है।
भारत चीन के बीच बढ़ रहा है तनाव
कन्फ्यूशियस संस्थानों के खिलाफ जांच का आदेश ऐसे वक्त में आया है जब भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत चीन को कड़ा रुख दिखा रहा है।
100 से ज्यादा चाइनीज ऐप्स को भारत में बैन किया जा चुका है। इतना ही नहीं कई ऐसे प्रॉजेक्ट्स कैंसल किए गए हैं जिन्हें चीनी कंपनियों को दिया गया था।
सितंबर, 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के कई विश्वविद्यालय संस्थान द्वारा संचालित कार्यक्रमों को बंद कर चुके हैं। रिपोर्ट के बताया गया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के रैंकिंग सदस्य यह बातचीत करते हुए मिले कि कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट बीजिंग की सॉफ्ट पावर को प्रोजेक्ट करने के लिए विदेशी प्रचार का हिस्सा हैं।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अक्साई चिन में 50 हजार से अधिक सैनिक के अलावा टैंकों, मिसाइलों और तोपों को सीमा पर तैनात कर रहा है। एलएसी पर उत्तराखंड के मध्य क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में भी चीनी सैनिकों की तैनाती में बढ़ाई जा रही है।