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Bathinda बठिंडा। (HMEL’s dream comes true! Rural women got recognition through Phulkari, increased respect in the society) पारंपरिक हस्तकलां फुलकारी के रंग अब पंजाब व हरियाणा के सीमावर्ती गांव की महिलाओं के जीवन में भी आत्मनिर्भरता के रूप में दिखने लगे हैं।

एचएमईएल की पहल से शुरू हुए फुलकारी प्रोजेक्ट से जुडकर पंजाब हरियाणा की सीमा पर सटे आसपास के 11 गांव की महिलाएं लुप्त होती जा रही इस हस्तकलां को दोबारा जीवंत कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढा रही हैं

जिनमें आत्मविश्वास जगाने के लिए गांव रामसरां की सतवीर कौर व माहीनंगल की मनप्रीत महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनकर उभरी हैं।

बेहद सामारण व किसान परिवारों से संबंधित यह महिलाएं एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड की तरफ से नाभा फाउंडेशन के साथ एमओयू साइन करने के बाद शुरू की गई

पारंपरिक हस्तकलां फुलकारी की टरेनिंग लेकर मास्टर टरेनर बन चुकी हैं व अब खुद पंजाब व हरियाणा के गांव में जाकर 153 महिलाओं को संगठित कर फुलकारी की टरेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं।

ससे इससे गांव पक्का कलां तिगडी जैसे गांव जो कभी फुलकारी के लिए जाने जाते थे, अब फिर से इन गांव में इस पारंपरिक हस्तकलां जीवंत होती दिख रही है।

इससे इन महिलाओं को समाज में एक नई पहचान मिली है व परिवार में सम्मान बढा है।

अब यह दोनों मास्टर टरेनर बनकर पंजाब व हरियाणा के 11 गांव गांव रामसरां, माहीनंगल, लालेआना, पक्का कलां, मछाना, जज्जल, देसू मलकाना, मलकाना, तिगडी, नौरंग आदि में जाकर महिलाओं को संगठित कर फुलकारी की टरेनिंग दे रहीं हैं।

इससे इन्हें बाकायदा मासिक वेतन मिलता है, जिससे यह अपने परिवार की आर्थिक मदद कर पा रही हैं, बल्कि गांव व समाज में इन्हें एक नई पहचान भी मिली है।

फुलकारी परियोजना के तहत राजस्थान और दिल्ली में 21 कारीगरों और 09 कर्मचारियों की 02 एक्सपोजर विजिट भी करवाई गई हैं ताकि इनकी हौसलाअवजाई हो सके।

इसके अलावा फुलकारी उत्पादों की सिलाई के लिए एक सिलाई सेंटर की भी शुरूआत की गई है।

महिलाओं को फुलकारी टरेनिंग देने के बाद बेंगलुरू में एक प्रदर्शनी में भी हिस्सा लिया गया, जिसमें इनकी तरफ से तैयार किए गए उत्पादों को प्रदर्शित किया गया।

विपणन गतिविधि के तहत फुलकारी टरेनिंग लेेने वाली महिलाओं में से कुछ ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा आयोजित दिल्ली हाट में प्रदर्शनी ‘‘लोक संवर्धन पर्व‘‘ में भी हिस्स लिया गया।

परिवार में सम्मान बढा, गांव में बनी अलग पहचान, बिजली बिल वेतन से अदा कर पति की मदद की: सतवीर

मैंने दसवीं कक्षा तक शिक्षा हासिल की है, तथा शादी के बाद साधारण महिला की तरह अपने घर में दो बेटियों का पालन पोषण कर जीवन व्यतीत कर रही थी।

गांव के गुरूद्वारा साहिब में फुलकारी टरेनिंग कैंप लगाने की अनाउंसमेंट सुनकर दिसंबर 2023 में इनसे जुडी।

मेरी शादी में नानी ने 2 फुलकारी गिफ्ट की थी, मेरे भी मन में था कि मैं भी कभी अपनी बेटियों के लिए अपने हाथ से फुलकारी बनाउ, टरेनिंग कैंप से जुडकर मैंने फुलकारी की टरेनिंग लेकर अपना यह सपना पूरा किया।

मेरी कार्यकुष्लता को देखकर नाभा फाउंडेशन ने मास्टर टरेनर के तौर पर गांव में जाकर अन्य महिलाओं को टरेनिंग देने का मौका दिया। इससे मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला।

मुझमें सबसे ज्यादा आत्मविश्वास तब पैदा हुआ, जब पहली बार मैंने अपने वेतन से घर का बिजली का बिल अदा किया।

अब परिवार में भी मेरा सम्मान बढा है व पति की भी मदद कर पा रही हूं।

अब मैं रोजाना पंजाब व हरियाणा के 11 सीमावर्ती गांव में जाकर महिलाओं को फुलकारी की टरेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है, जिससे उससे आत्मिक संतुष्टि मिलती है।

सामाजिक सोच बदली, घर से बाहर जाकर काम करने का मौका मिला, अब बेटे की तरह पिता का सहारा बन रहीः मनप्रीत

क्योंकि लडकियों का घर के बाहर जाना गांव में ज्यादा अच्छा नहीं समझा जाता, इस लिए मैंने ग्रेजुएशन घर में रहकर ही की, अब घर में रहकर पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हूं।

मगर जब नवंबर 2023 में मुझे गांव में फुलकारी प्रोजेक्ट के प्रशिक्षण शिविर की जानकारी मिली तो मुझे भी पारंपरिक हस्तकलां से जुडने का मौका मिला।

कुछ करने के जजबे और प्रतिभा के कारण फुलकारी कंपीटीशन में पहला स्थान हासिल किया

एचएमईएल ने महिला दिवस पर मुझे सम्मानित किया तो नाभा फाउंडेशन ने मुझे मास्टर टरेनर बनाकर अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करने का मौका दिया।

इसमें परिवार ने भी मुझे आगे बढने में मदद की।

अब मेरी प्रतिभा घर की चारदीवारी की मौहजात नहीं रही, बल्कि मुझे पंजाब व हरियाणा के 11 गांव में जाकर महिलाओं को जागरूक किया

उन्हें पारंपरिक हस्तकलां फुलकारी से जुडने को प्रेरित कर टरेंनिंग देकर हस्तकलां को बढावा देने का मौका मिला।

इससे परिवार में मेरा सम्मान बढा, मुझे काम करते देखकर गांव के लोगों की सोच में भी बदलाव आया।

मेरा सपना था कि भाई की तरह मैं भी पिता का सहारा बनूं, जब मुझे पहला वेतन मिला तो उससे पिता की मदद कर मैंने वह सपना भी पूरा किया।

अब मेरे परिवार, रिश्तेदारों व गांव में मेरा सम्मान बढा है। अब मैं फुलकारी प्रोजेक्ट की टरेनिंग देने के साथ अपनी पोस्टग्रेजुएशन की पढाई भी पूरी कर रही हूं।

2024-25 में 150 ओर महिलाओं को जोडने का है लक्षय

वित्तीय वर्ष 2024-25 में फुलकारी परियोजना में 150 और महिलाओं को जोडने की योजना है, जिसके लिए गांव-गांव जाकर महिला सहायता समूहों को एकत्रित कर जागरूक कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इसके बाद इन महिलाओं की तरफ से तैयार किए जाने वाले प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए नाभा फाउंडेशन की तरफ से सहायता की जाएगी।

इस दरमियान हरियाणा का सीमावर्ती गांव तिगडी यहां कभी पारंपरिक तरीके से खड्डी के जरिए बाग, फुलकारी तैयार किए जाते थे, वहां के परिवार भी अब फुलकारी प्रोजेक्ट से जुडकर अपने पुरातन विरसे को जीवंत करने की तरफ चल पडे हैं।

यह एक नया सामाजिक बदलाव है जो पंजाब-हरियाणा के सीमावर्ती गांव में देखने को मिल रहा है।

 

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