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New Delhi नई दिल्ली। (himachal pradesh climate change hills area crisis) हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि ग्लोबल क्लाइमेट चेंज से राज्य के पहाड़ और पर्यावरण गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं.

हिमालय दुनिया के सबसे नाजुक इकोसिस्टम में से एक है और बाकी इलाकों की तुलना में यहां प्रभाव ज्यादा तेजी से दिख रहा है.

राज्य सरकार ने 2013 में एक एन्वायरनमेंटल मास्टर प्लान (EMP) तैयार किया था, जिसमें राज्य के प्राकृतिक और भौतिक संसाधनों का बेसलाइन डाटा दर्ज किया गया.

इस प्लान में इकोलॉजिकली सेंसिटिव जोन, पर्यावरणीय समस्याओं की पहचान, समाधान और उसे लागू करने के लिए जरूरी मैनपावर और रेगुलेशन शामिल हैं.

EMP को सभी विभागों के साथ साझा किया गया है ताकि इसे वार्षिक एक्शन प्लान में शामिल किया जा सके.

हलफनामे में कहा गया है कि आपदाओं का पूर्वानुमान सटीक रूप से करना संभव नहीं है. पहाड़ी इलाके मानसून में भूस्खलन के लिए संवेदनशील रहते हैं.

यहां भूगर्भीय, मौसम संबंधी और मानवजनित कारणों के अलावा उच्च तीव्रता वाले भूकंप भी बड़ा खतरा हैं.

हाल के वर्षों में हिमाचल में तापमान बढ़ा है, ग्लेशियर पिघले हैं और बारिश का पैटर्न बदला है.

सिर्फ 2025 के मानसून सीज़न में ही असामान्य बारिश ने भारी जनहानि और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया, खासकर संवेदनशील जिलों में तबाही ज्यादा हुई.

गैस उत्सर्जन कम करने और बेहतर कंस्ट्रक्शन प्रैक्टिस की अपील

राज्य ने कहा कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने और बेहतर कंस्ट्रक्शन प्रैक्टिस अपनाने की जरूरत है.

हालांकि, सरकार ने साफ किया कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट तबाही की मुख्य वजह नहीं हैं.

सड़क चौड़ीकरण और निर्माण परियोजनाओं पर भी दोष नहीं मढ़ा जा सकता क्योंकि ये सभी EIA (एन्वायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट) और सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट के बाद ही मंजूरी पाती हैं.

हाल की तबाही ज्यादातर क्लाउडबर्स्ट और फ्लैश फ्लड के कारण हुई, जो हाइड्रो पावर इंस्टॉलेशन से काफी दूर पहाड़ी चोटियों पर घटित हुए.

वनों की कटाई और विकास परियोजनाओं पर सरकार ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से वनों की कटाई और विकास परियोजनाओं को लेकर उठाई गई चिंताओं पर राज्य ने कहा कि ग्रीन बेल्ट के नियमों और क्षतिपूरक वनीकरण का पालन किया जा रहा है.

वन विभाग अवैध कब्जों से खाली कराई गई जगहों और डिग्रेडेड एरिया में पौधारोपण करता है.

शिमला में ग्रीन एरिया नोटिफिकेशन के तहत कंस्ट्रक्शन पर सख्त नियम लागू किए गए हैं. पेड़ों वाले किसी भी प्लॉट पर निर्माण पूरी तरह वर्जित है.

हलफनामे में बताया गया कि NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने पर्यावरणीय मार्गदर्शन के लिए रिटायर्ड फॉरेस्ट ऑफिसर्स और यंग एन्वायरनमेंट और प्लांटेशन एसोसिएट्स की नियुक्ति की है, ताकि ग्रीन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को बढ़ावा दिया जा सके.

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