Prabhat Times
नई दिल्ली। पहाड़ों में लगातार बारिश की वजह से हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और उत्तराखंड (Uttrakhand) के कई इलाकों में लैंडस्लाइड हो रही है. इसकी वजह से सड़कों पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया है. जाम के कारण टूरिस्ट को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हिमाचल सरकार ने यात्रियों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी भी जारी कर दी है. लैंडस्लाइड और बाढ़ के चलते लोगों को यात्राएं स्थगित करने के लिए कहा गया है.
कांगड़ा घाटी में 18 जुलाई तक जाने से बचने को कहा गया है, क्योंकि मौसम विभाग ने राज्य के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. कुल्लू-मनाली और मनाली से आगे रोहतांग पास और हम्ता पास जाना भी सुरक्षित नहीं है. खराब मौसम से होने वाली लैंडस्लाइड और बाढ़ के डर से कांगड़ा प्रशासन ने भी लोगों को घाटी की तरफ जाने से मना किया है.
चंडीगढ़ मनाली नेशनल हाईवे पर भी बार-बार लैंडस्लाइड होने का खतरा रहता है जिससे सड़कें बंद हो जाती हैं. मंडी-पठानकोट नेशनल हाईवे पर भी लैंडस्लाइड की वजह से बाढ़ का पानी आ गया है. कालका-शिमला नेशनल हाईवे पर भी सड़क चौड़ीकरण कार्य के चलते बार-बार जाम हो रहा है.
मनाली से स्पीति जाना भी खतरे से खाली नहीं
लाहौल स्पीति में भारी भूस्खलन के कारण ग्रामफू-काजा मार्ग भी बंद हो चुका है. बुधवार को लाहौल स्पीति के डोरनी नुल्लाह में भारी लैंडस्लाइड के बाद ग्रामफू-काजा मार्ग को बंद कर दिया गया था. इसके बाद हाईवे पर लगातार जाम की समस्या देखी जा रही है. मनाली जिला प्रशासन ने भी मनाली और लाहौल साइड से स्पीति की तरफ न जाने को लेकर एडवाइजरी जारी की है.
उत्तराखंड में इन जगहों पर जाने से बचें
उत्तराखंड में भी कुछ ऐसा ही हाल है. उत्तरकाशी जिले में बारिश के कारण जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बारिश के कारण यमुनोत्री नेशनल हाइवे ओजरी डाबरकोट के पास लगातार बंद होता जा रहा है, जबकि गंगोत्री नेशनल हाइवे के नजदीक रतूड़ी सेरा पास डेंजर जोन में तब्दील हो चुका है. आए दिन इस स्थान पर मार्ग बंद होने की घटनाएं होती रहती है.
मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन चोपता तुंगनाथ पहुंचने के लिए पहले बद्रीनाथ, फिर केदारनाथ और चोपता-चमोली राजमार्ग का सहारा लेना पड़ता है. लेकिन इस मौसम में चोपता पहुंचना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि बरसात होते ही बद्रीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर जगह-जगह लैंडस्लाइड होने लगती है और दोनों हाईवे घंटो तक बंद रहते हैं.
पौड़ी जिले के श्रीनगर से रुद्रप्रयाग के बीच लगभग 32 किमी के सफर में बद्रीनाथ हाईवे पर फरासु, चमधार, सिरोबगड़, खांकरा, नरकोटा आदि बरसात होते ही बंद होते हैं. यहां पर घंटों तक आवाजाही ठप रहती है, जिस वजह से पर्यटकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. केदारनाथ हाईवे रुद्रप्रयाग तहसील, रामपुर, चंद्रापुरी, बांसवाड़ा और भीरी जैसी जगहें बरसात के चलते बंद हो जाती हैं. जबकि कुंड-चोपता-चमोली मार्ग भी बरसात में खतरनाक हो जाता है. ऊखीमठ के नजदीक उषाढ़ा, मस्तूरा जैसे स्थान भी पर बरसात में बंद रहते हैं.
बात करें इंडो चायना बॉर्डर से लगे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हर्षिल की तो इन दिनों यहां भारी बारिश से गंगा का जल स्तर बढ़ा हुआ है. हर्षिल को जोड़ने वाले एकमात्र पुल के बगल में ही दो-तीन महीने पहले नए पुल की नींव खोदी गई थी. खुदाई के कारण बने गड्ढों से वैली ब्रिज के नीचे कटाव शुरू हो गया है और एबटमेंट पर दरारें उभर आई हैं. यह दरारें भू-कटाव के कारण लगातार बढ़ती जा रही हैं. ग्राम प्रधान हर्षिल और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि कार्यदायी संस्था ने नए पुल के निर्माण के लिए खुदाई तो करवा दी थी, लेकिन पुराने पुल की सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किए थे.
अब दरारें आने से पुल के ढहने की आशंका बनी हुई है. पुल पर आवाजाही बंद हुई तो हर्षिल, ग्राम मुखबा, बगोरी और आर्मी कैंप का उत्तरकाशी से संपर्क टूट सकता है. साथ ही पीएनबी बैंक समेत कुछ होटलों को भी खतरा हो सकता है. वहीं, स्वास्थ्य, बैंकिंग, पुलिस, उद्यान, पटवारी चौकी आदि सेवाओं के लिए हर्षिल पर निर्भर जसपुर, पुराली, सुक्की व धराली के ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
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