Prabhat Times
जालंधर: महानगहर के प्रतिष्ठित जिमखाना में कैटरिंग ठेकेदारों के बीच आपसी खींचतान अब सड़क तक आ गई है। कैटरिंग का ठेका लेने वाली कंपनी डी.एन. हॉस्पिटैलिटी के पार्टनरों के बीच विवाद खड़ा हो गया है। एक पार्टनर ने दूसरों धोखाधड़ी के आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दी है।
एक पार्टनर का आरोप है कि पार्टनरशिप फर्म की चैकबुक पर धोखे से प्रोप्राईटरशिप प्रिंट करवा कर गल्त किया है। जबकि दूसरी पक्ष ने आरोपो को निराधार बताया है। पुलिस मामले की जांच कर रहे हैं।
पुलिस को दी शिकायत में पार्टनर मनोज मधुरकर ने कहा कि अमित तलवाड़, रछपाल सिंह, जसविंदर सिंह, मोंटी और उसने मिलकर डीएन हास्पिटैलिटी पार्टनरशिप फर्म शुरू की थी। पंजाब एंड सिंध बैंक की जीटी रोड ब्रांच में फर्म का अकाउंट खोला गया था।
उन्होंने कहा कि हाल ही में उन्हें पता चला कि बैंक की चेक बुक पर डीएन हास्पिटैलिटी के साथ-साथ उनका नाम लिखा है और साथ में पार्टनर्स की जगह प्रोप्राईटर लिखा है। साथ ही उस चेक बुक से कई चेक भी काटे गए हैं। उनका आरोप है कि रछपाल ने मिलीभुगत के साथ ऐसा किया है।
RBI गवर्नर भी चेक बुक गलत नहीं प्रिंट करवा सकता : रछपाल सिंह
पार्टनर रछपाल सिंह ने आरोपों गल्त बताया। रछपाल ने कहा कि सोचीसमझी साजिश के तहत बदनाम किया जा रहा है। उन्होने कहा कि बैंक उनके कहने पर नहीं चलता। ये बैंक की गल्ती है। बैंक के पास जो दस्तावेज होते हैं, उसके मुताबिक चैकबुक पर प्रिंट किया जाता है। बैंक प्रबंधन लिखित रूप से अपनी गल्ती मान चुका है।
रछपाल ने कहा कि अकाउंट पार्टनरशिप फर्म के नाम पर है। पार्टनर होने के नाते उन्होंने खुद साइन कैटरिंग संबंधी मंगवाए गए सामान के चैक काट गए हैं। उन्होंने किसी प्राइवेट को चेक नहीं दिए।
रछपाल सिंह का कहना है कि उन पर लगाए गए आरोप बचकाना है। क्योंकि चैकबुक पर जो भी नाम प्रिंट होता है, रिकार्ड के मुताबिक ही होता है। उसमें वे तो क्या आर.बी.आई. गवर्नर भी अपनी मर्जी़ से कोई भी नाम नहीं बदल सकता।
रछपाल के मुताबिक इस गल्ती संबंधी बैंक प्रबंधन से भी कहा गया था, लेकिन बैंक मैनेजर ने स्पष्ट कहा था कि चैक पास करने में उन्हे कोई दिक्कत नहीं है। इसलिए वही चैकबुक कंटीन्यू की गई। उन्होंने कहा कि वह और जसविंदर सिंह इस फर्म से अपनी पार्टरनशिप वापस लेना चाह रहे हैं, जिसके चलते मनोज मधुरकर ने झूठी शिकायत दी है।
बैंक से हुई टैक्नीकल मिस्टेक:मैनेजर
पंजाब एंड सिंध बैंक के मैनेजर भूपिंदर सिंह ने बताया कि बैंक में डी.एन. हॉस्पिटैलिटी पार्टनरशिप फर्म के नाम पर खाता है। बैंक द्वारा जारी की गई चैकबुक पर गल्ती से प्रोप्राईटर प्रिंट हुआ। जिसके बारे में उनके पास ऑन रिकार्ड है। बैंक द्वारा लिखित रूप से खाताधारकों से भी जानकारी दी गई है। और बैंक की मिस्टेक मानी गई है। बैंक मैनेजर ने स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी किस्म का कोई फ्राड नहीं है। इस पर कोई भी गल्त चैक भी पास नहीं हुआ है। बैंक रिकार्ड में पार्टनरशिप फर्म द्वारा जिन पार्टनरस को साईनिंग अथारिटी दी गई है, उन्ही के साईन के पश्चात ही चैक पास हुए हैं।