Prabhat Times
जालंधर। पंजाब के प्रतिष्ठित चेन ऑफ डिप्स इंस्टीच्यूशंज (Chain of Dips Institution) के चेयरमैन सरदार गुरबचन सिंह अब शरीरिक तौर पर बेशक हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके द्वारा समाज में किए गए कार्य सदैव अविस्मरणीय और मार्गदर्शक रहेंगे।
डिप्स इंस्टीच्यूशन के चेयरमैन गुरबचन सिंह को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। 10 मार्च 1946 को लायलपुर पाकिस्तन में जन्मे गुरबचन सिंह विभाजन के पश्चात कपूरथला के कस्बा ढिल्लवां में आकर बसे। ढिल्लवां में ही उन्होनें शिक्षा ग्रहण की। शुरू से ही सरदार गुरबचन सिंह की रूचि शिक्षा के प्रति रही। वे खुद तो दिन राहत मेहनत करते ही, साथ ही अपने साथियों, सहयोगियों और अपने से छोटों को भी सदैव उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतू मेहनत करने के लिए प्रेरित करते रहे।
ढिल्लवां में ही शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात गुरबचन सिंह ने डिप्स स्कूल की नींव रखी। उनका लक्ष्य ये रहा कि कोई भी बच्चा आर्थिक तंगी के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने से वंचित न रह जाए। इसी लक्ष्य को लेकर गुरबचन सिंह आगे बढ़ते रहे। गुरबचन सिंह द्वारा शुरू किए गए डिप्स इंस्टीच्यूट में आज हज़ारों बच्चे उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। गरीब व जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के साथ साथ गुरबचन सिंह द्वारा गरीब लड़कियों के विवाह भी करवाने में खासी रूचि रही। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करनी गुरबचन सिंह का स्वभाव रहा।

पिता के सपने साकार कर रहे हैं तरविन्द्र सिंह राजू

अब गुरबचन सिंह जी द्वारा शुरू किए गए इस क्रम को उनके बेटे तरविन्द्र सिंह राजू आगे बढ़ा रहे हैं। इस बारे में तरविन्द्र राजू बताते हैं कि पिता गुरबचन सिंह का मानना था कि कड़ी मेहनत, परिश्रम से ही ही सफलता मिलती है। हमेशा वे कहते रहे हैं कि ‘माथे का पसीना हाथों की लकीरों को बदल सकता है।’ इसी बात पर वे खुद भी लगातार परिश्रम करते रहे और सभी को प्रेरित करते रहे। सरदार गुरबचन सिंह द्वारा देखे गए सपने को साकार करना और लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

रविवार को होगी अंतिम अरदास

सरदार गुरबचन सिंह जी की याद में रखे गए पाठ का भोग एवं अंतिम अरदास रविवार 21 फरवरी को दोपहर 12.30 बजे से 2 बजे तक गुरूद्वारा श्री सिंह सभा, माडल टाऊन जालंधर में होगी।

श्रद्धांजलि

इस दुःख की घडी में प्रभात टाइम्ज़ परिवार द्वारा सरदार गुरबचन सिंह जी के परिवार के साथ संवेदना प्रकट करता है। निराकार प्रभू परमात्मा से अरदास है कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दे और परिवार को दुःख सहने की शक्ति दे।

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