वाराणसी। पिछले कई माह से कोरोना वायरस की मार झेल रही करोड़ों जनता के लिए राहत की खबर आई है। करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र पवित्र गंगाजल से कोरोना वायरस का खात्मा हो सकता है।
इस तथ्य से करोड़ों जनता और सरकारें राहत महसूस कर रही हैं। दावा किया जा रहा है कि कोरोना का इलाज अब गंगा से किया जाएगा।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साईंस में हुए रिसर्च में यह बात सामने आई है कि गंगाजल में बड़ी मात्रा में मौजूद बैक्टीरियोफेज (जीवाणुभोजी) कोरोना को खत्म करने की क्षमता रखते हैं।
गंगाजल से कोरोना के इलाज के ह्यूमन ट्रायल की तैयारी के बीच इस रिसर्च को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के आगामी अंक में जगह मिलने का स्वीकृति पत्र मिला है।
बता दें कि भारत समेत दुनियाभर के देश कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। बीएचयू के डॉक्टर भी कोरोना पर वायरोफेज नाम से रिसर्च में कर रहे हैं।
न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. रामेश्वर चौरसिया व प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. वी.एन. मिश्रा की अगुवाई वाली टीम ने शुरुआती सर्वे में पाया कि जो लोग नियमित गंगा स्नान और गंगाजल का किसी न किसी रूप में सेवन करते हैं उन पर कोरोना संक्रमण का तनिक भी असर नहीं है।
गंगा किनारे बसे जिलों में कोरोना संक्रमण कम
सर्वे करने वाली टीम का दावा है कि गंगा किनारे रहने वाले लेकिन नदी में स्नान करने वाले 90 फीसदी लोग भी कोरोना संक्रमण से बचे हुए हैं।
इसी तरह गंगा किनारे के 42 जिलों में कोरोना संक्रमण बाकी शहरों की तुलना में 50 फीसदी कम और संक्रमण के बाद जल्दी ठीक होने वालों की संख्या ज्यादा है।
वायरोफेज रिसर्च टीम के लीडर प्रो. वी.एन. मिश्र ने बताया कि स्टडी के साथ ही गोमुख से लेकर गंगा सागर तक सौ स्थानों पर सैंपलिंग कर गंगा के पानी में ए-बायोटिकफेज (ऐसे बैक्टीरियोफेजी जिनकी खोज अब तक किसी बीमारी के इलाज के नहीं हुई है) ज्यादा पाए जाने वाले स्थान को चिन्हित किया गया है।
इसके अलावा कोरोना मरीजों की फेज थेरेपी के लिए गंगाजल का नेजल स्प्रे भी तैयार कराया गया है।
मरीजों पर फेज थेरेपी का ट्रायल
प्रो. वी. भट्टाचार्या के चेयरमैनशिप वाली 12 सदस्यीय एथिकल कमेटी की मंजूरी के बाद कोरोना मरीजों पर फेज थेरेपी का ट्रायल शुरू होगा।
इस पूरी कवायद की डिटेल रिपोर्ट आईएमएस की एथिकल कमिटी को भेज दी गई है।
गंगोत्री से करीब 35 किलोमीटर नीचे गंगनानी में मिलने वाले गंगाजल का ह्यूमन ट्रायल में प्रयोग किया जाएगा।
प्लान के मुताबिक सहमति के आधार पर 250 लोगों पर ट्रायल किया जाएगा।
इसमें से आधे लोगों को दवा से छेड़छाड़ किए बिना एक पखवारे तक नाक में डालने को गंगनानी से लाया गया गंगाजल और बाकी को प्लेन डिस्टिल वॉटर दिया जाएगा।
इसके बाद परिणाम का अध्ययन कर रिपोर्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को भेजी जाएगी।
रिसर्च टीम में ये लोग
बैक्टीरियोफेज से कोरोना के इलाज पर रिसर्च करने वाली टीम में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च लखनऊ के विज्ञानी डॉ. रजनीश चतुर्वेदी को भी शामिल किया गया है।
टीम के सदस्यों में डॉ. अभिषेक, डॉ. वरुण सिंह, डॉ. आनंद कुमार व डॉ. निधि तथा गंगा मामलों के एक्सपर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एमिकस क्यूरी एडवोकेट अरुण गुप्ता हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एमिकस क्यूरी एडवोकेट अरुण गुप्ता ने कहा कि गंगाजल पीने से न सिर्फ शरीर की इम्युनिटी बढ़ा कोरोना को मात दी जा सकती है, बल्कि इसमें मौजूद बैक्टीरियोफेज कोरोना को खत्म करता है।