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नई दिल्ली। (Covishield and Covaxin rates reduced) COVISHIELD वैक्सीन की कीमत आधे से भी कम हो गई है.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने निजी अस्पतालों के लिए कोविशील्ड वैक्सीन की कीमत 600 रुपये से घटाकर 225 रुपये करने का फैसला किया है.
अदार पूनावाला ने कहा कि हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि केंद्र सरकार के साथ चर्चा के बाद SII ने निजी अस्पतालों के लिए COVISHIELD वैक्सीन की कीमत 600 रुपये से घटाकर 225 रुपये प्रति खुराक करने का निर्णय लिया है.
वहीं उन्होंने कहा कि 18+ एज ग्रुप के लिए बूस्टर डोज लगाने के केंद्र के फैसले की सराहना की है.
बड़े पैमाने पर जनता के हित में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने 18 साल से ऊपर के सभी के लिए बूस्टर डोज के लिए अपने टीके की कीमत को घटाकर 220 रुपए केसाथ जीएसटी करने का फैसला किया है.
अब, Covisheild, Covaxin और Covovax को 220 में निजी वैक्सीन केंद्रों और अस्पतालों GST के साथ लिया जा सकेगा.
बता दें कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 18 साल की उम्र से अधिक के लोगों को भी प्रिकॉशन यानी बूस्टर डोज लगवाने की अनुमति का फैसला दे दिया है.
अब वयस्क लोग 10 अप्रैल से प्राइवेट सेंटर जाकर बूस्टर डोज लगवा सकते हैं. जिन लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज लगे 9 महीने हो चुके हैं, वो इस तीसरी वैक्सीन के लिए पात्र होंगे.

क्या है प्रिकॉशन यानी बूस्टर डोज

वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक को ही प्रिकॉशन या बूस्टर डोज कहा जाता है. इसे एहतियाती खुराक भी कहा जा रहा है.
यह खुराक लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में असरकारक सिद्ध होती है.

क्यों है इतनी जरूरी

कोरोना वायरस के अब तक Delta, Delta Plus, Omicrone, Deltacron, XE, Kappka वैरिएंट आ चुके हैं. इनसे निपटने के लिए सरकार की ओर से वैक्सीन की एक समय अंतराल के बाद दो खुराकें लोगों को लगाई जा रही हैं.
ICMR के डीजी डॉ. बलराम भार्गव के मुताबिक, वायरस का एक वैरिएंट दूसरे वैरिएंट के खिलाफ प्रोटेक्शन नहीं देता है, इसलिए तीसरी लहर में रि-इन्फेक्शन के मामले देखे गए.
मतलब समय के हिसाब से लोगों की रोग प्रतिरोध क्षमता कम होने लगती है, इसलिए तीसरी खुराक इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए जरूरी हो जाती है.
वैक्सीनेशन ने गंभीर बीमारी, अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों और मौतों की संख्या को कम किया है.

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