नई दिल्ली। कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस खतरानक वायरस से दुनियाभर में अब तक 867,607 लोगों की मौत हो गई है और संक्रमितों की संख्या 26,194,004 हो गई है।
कोरोना वायरस के इलाज के लिए कई वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में है और उम्मीद की जा रही है कि अगले साल तक इसका टीका आ जाए।
फिलहाल कोरोना के मरीजों को अलग-अलग रोगों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है और चिकित्सक विभिन्न दवाओं को मरीजों के उपचार में आजमाकर देख रहे हैं।
इस बीच खबर आई है कि सस्ती और व्यापक रूप से उपलब्ध स्टेरॉयड दवाएं गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों को बचाने में मदद कर सकती हैं।
स्टेरॉयड में उपचार की क्षमता
रिपोर्ट के अनुसार, यह रिसर्च इंटरनेशनल क्लिनिकल ट्रायल में प्रकाशित हुआ है। जामा के प्रधान संपादक डॉ हावर्ड सी बाउचर ने कहा कि अब यह साफ हो गया है कि स्टेरॉयड में उपचार की क्षमता है।
नए सबूतों के आधार पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के उपचार के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किये हैं और गंभीर रूप से बीमार रोगियों के इलाज के लिए स्टेरॉयड की सिफारिश की है लेकिन हल्के लक्षण वालों के लिए नहीं।
स्टेरॉयड मृत्यु के जोखिम को कम करने में सहायक
इस अध्ययन में 1,700 से अधिक रोगियों को शामिल किया गया और शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि तीन दवाओं में से प्रत्येक ने मृत्यु के जोखिम को कम किया।
लेखकों ने कहा कि गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स अब पहले स्तर का इलाज है। गंभीर रूप से बीमार रोगियों में सबसे प्रभावी दवा रेमेडिसविर है।
कौन सी दवाएं हैं ज्यादा प्रभावित
डेक्सामेथासोन, हाइड्रोकार्टिसोन और मिथाइलप्रेडिसोलोन जैसे स्टेरॉयड को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने, सूजन और दर्द को कम करने के लिए जाना जाता है। कई मरीज कोविड-19 से नहीं, बल्कि शरीर के संक्रमण के कारण मर जाते हैं।
जून में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भी पाया था कि डेक्सामेथासोन ने गंभीर रूप से बीमार रोगियों में जीवित रहने की दर में सुधार किया है। शोधकर्ताओं ने उम्मीद की थी कि अन्य सस्ते स्टेरॉयड इन रोगियों की मदद कर सकते हैं।