नई दिल्ली (ब्यूरो): कोरोना वायरस महामारी संकट के चलते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की कटौती की है। इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों को 3 महीने तक ईएमआई पर राहत देने की सलाह दी है।
यहां बता दें कि आरबीआई ने आदेश नहीं, सिर्फ सलाह दी है। कहने का मतलब ये है कि अब गेंद बैंकों के पाले में है। आसान भाषा में समझें तो बैंकों को अब तय करना है कि वो आम लोगों को ईएमआई पर छूट दे रही हैं या नहीं।
ग्राहकों को मिल सकती है राहत
एक्सपर्ट्स का मानना है कि औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों के बुरी तरह प्रभावित होने और लोगों के अपने घरों में ही बंद रहने से उन्हें बैंकों को अपनी EMI चुकाने में समस्या हो सकती है।
इसलिए ग्राहकों को EMI के भुगतान में थोड़ी राहत देनी चाहिए। इस तरह की रियायतों का बैंकों पर विपरीत असर पड़ेगा।
पीएम ने भी अपने देशव्यापी संबोधन में की थी चर्चा
पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया था। कई कंपनियां और लोग हो सकता है कि लॉकडाउन के कारण लोन की किस्तें न चुका पाएं।
ऐसा होने पर बैंक उनके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं। इससे क्रेडिट प्रोफाइल पर भी आंच आएगी।
RBI के नियमों के तहत पेमेंट में किसी भी डिफॉल्ट को 30 दिनों के भीतर दर्ज करना होता है और ऐसे अकाउंट्स को स्पेशल मेंशन अकाउंट की कैटिगरी में डालना होता है।
टर्म लोन पर 3 महीने का मोरोटोरियम
RBI ने बड़ा फैसला लेते हुए सभी टर्म लोन पर 3 महीने का मोरोटोरियम लगा दिया है। ऐसे में डिफॉल्ट होने की स्थिति में कर्जदार की क्रेडिट हिस्ट्री में नहीं दिखेगी।
उधार देने वाली कंपनियों, बैंकों को कार्यशील पूंजी पुनर्भुगतान पर तीन महीने के लिए ब्याज में छूट दी जाएगी।