Prabhat Times

चंडीगढ़। (chandigarh-administration-will-seek-military-help-to-restore-power-supply) बिजली विभाग के कर्मचारियों की तीन दिवसीय हड़ताल के बाद चंडीगढ़ के अधिकांश हिस्सों में अंधेरा छा गया। बिजली गुल होने से शहर के बड़े हिस्से में 36 घंटे से अधिक समय से बिजली और पानी नहीं है। सोमवार शाम से हजारों घरों में बिजली-पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है और शहर के कई इलाकों में ट्रैफिक लाइटें काम नहीं कर रही हैं। सरकारी अस्पतालों ने सर्जरी को फिलहाल टाल दिया है।
चंडीगढ़ स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ सुमन सिंह ने कहा, “हमारे पास जनरेटर का बैकअप है। लेकिन आप एक जनरेटर पर अस्पताल का 100 प्रतिशत भार नहीं डाल सकते हैं। इसलिए, हमें अपनी नियोजित सर्जरी को फिलहाल टालना पड़ा।” आपको बता दें कि बिजली कटौती ने ऑनलाइन कक्षाएं और कोचिंग संस्थान भी बंद कर दिए हैं।
बिजली विभाग के निजीकरण का बिजली कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेश के सलाहकार धर्मपाल ने बिजली कर्मचारी संघ के साथ बैठक कर हड़ताल खत्म करने के लिए राजी किया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को डर है कि निजीकरण से उनकी सेवा शर्तों में बदलाव आएगा और बिजली दरों में बढ़ोतरी होगी।
मंगलवार शाम को चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली विभाग की हड़ताल पर छह माह के लिए रोक लगाते हुए मंगलवार शाम आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम लागू कर दिया। चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने बिजली आपूर्ति बनाए रखने की व्यवस्था की थी, लेकिन शहर के कई इलाकों के निवासियों और व्यापारियों ने बिजली गुल होने की शिकायत की। बिजली कटौती ने शहर की कुछ इकाइयों में औद्योगिक उत्पादन को भी प्रभावित किया है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कल हस्तक्षेप करते हुए बुधवार को केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य अभियंता को तलब किया है। हाईकोर्ट के जस्टिस अजय तिवारी और पंकज जैन ने मुख्य अभियंता को चंडीगढ़ में बिजली संकट को कम करने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी देने का निर्देश दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “यह हमारे संज्ञान में लाया गया है कि चंडीगढ़ शहर के बड़े हिस्से में बिजली की आपूर्ति बाधित हो गई है। इन परिस्थितियों में हम इस मामले को न्यायिक पक्ष में उठाने के लिए विवश हैं और इसके परिणामस्वरूप वरिष्ठ स्थायी वकील से अनुरोध किया है। शहर के निवासियों को अनुचित कठिनाई न हो इसके लिए उठाए गए जरूरी कदम के बारे में कोर्ट को अवगत कराएं।“
चंडीगढ़ प्रशासन के वकील अनिल मेहता ने न्यायाधीशों से कहा कि हड़ताल कर्मचारियों द्वारा किए गए तोड़फोड़ के कारण बिजली की आपूर्ति बाधित है। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा को संकट से निपटने में मदद करने के लिए अपने बिजली कर्मचारियों को देने के लिए कहा गया है। अदालत ने वकील के इस बयान पर गौर किया कि पंजाब ने “किसी भी व्यक्ति को प्रतिनियुक्ति पर भेजने में असमर्थता व्यक्त की है”।

प्रशासन ने सेना की मदद मांगी

चंडीगढ़ में बिजली आपूर्ति को बहाल करने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन सेना की मदद लेगा। जानकारी के अनुसार प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल ने बिजली बहाल करने के लिए चंडीमंदिर स्थित पश्चिमी कमान के मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) की मदद लेने का फैसला किया है। इसके अलावा पंजाब-हरियाणा के साथ अब हिमाचल प्रदेश से भी मदद मांगी जा रही है।
एमईएस भारत में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सरकारी रक्षा बुनियादी ढांचा विकास एजेंसियों में से एक है। यह मुख्य रूप से भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय आयुर्विज्ञान कारखानों, डीआरडीओ और भारतीय तट रक्षक सहित भारतीय सशस्त्र बलों के लिए इंजीनियरिंग और निर्माण कार्यों का प्रबन्धन करती है।

एस्मा का विरोध, कर्मचारी नेता भूमिगत

ज्वाइंट एक्शन कमेटी और कोआर्डिनेशन कमेटी ने प्रशासन द्वारा एस्मा लगाए जाने का विरोध किया है। दोनों कमेटियों ने कहा कि हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा लगाने के चंडीगढ़ प्रशासन की हम आलोचना करते हैं। कमेटी के संयोजक अश्वनी कुमार और कोआर्डिनेशन कमेटी के महासचिव राकेश कुमार और प्रधान सतिंदिर सिंह ने कहा कि बिजली कर्मचारी मुनाफे पर चल रहे विभाग को निजी हाथों में बेचने का विरोध कर रहे हैं। निजीकरण रोका जाना चाहिए। एस्मा को वापस लिया जाए।
उधर, एस्मा लगाने जाने के बाद कई कर्मचारी नेताओं के फोन बंद हो गए। जानकारी के अनुसार, सभी कर्मचारी नेता गुप्त स्थानों पर चले गए हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि नेता गुप्त तरीके से अपने लोगों से बात कर रणनीति बनाने में जुटे हैं। जानकारी के अनुसार कर्मचारी नेताओं को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है।

 


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