चंडीगढ़। पंजाब में किसानों और आम जनता के हितों की खातिर आवाज बुलंद करने वाले सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने आज देश के गृह मंत्री अमित शाह के साथ बात की है।
बातचीत के दौरान उन्होने मालगाड़ियों की आवाजाही बहाल करने की मांग की है। स्पष्ट किया है कि पंजाब में सभी रेलवे ट्रैक खाली कर दिए गए हैं।
पंजाब मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से रविवार को बताया गया कि राज्य में सुचारू और सुरक्षित मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत करके इस मामले में दखल देते हुए रेल सेवाओं की बहाली सुनिश्चित करने की मांग की है।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह इस मुद्दे के समाधान के लिए आशान्वित हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि कैप्टन अमरिंदर ने गृह मंत्री को जानकारी दी कि किसानों ने मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए सभी ट्रैक खाली कर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि माल की सुरक्षित ढुलाई के लिए पंजाब की जमीनी स्थिति पूरी तरह से शांतिपूर्ण और अनुकूल है।
इससे पहले रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा था कि पंजाब में ट्रेन सेवा बहाल करने के पहले राज्य सरकार को रेलवे की संपत्तियों और कर्मियों की सुरक्षा का आश्वासन देना होगा और पटरियों से सभी प्रदर्शनकारियों को हटाना होगा।
प्रतिनिधिमंडल ने की थी रेल मंत्री से मुलाकात
गोयल ने भाजपा और कांग्रेस के अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब में ट्रेन सेवा बहाल करने के लिए गोयल से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा कि सेवा स्थगित रहने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है।
सांसदों ने गोयल को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का एक पत्र सौंपा जिसमें उन्होंने रेलवे की संपत्ति की रक्षा का आश्वासन दिया।
संवाद के लिए तैयार सरकार
वहीं नए कृषि कानूनों के खिलाफ इस माह के अंत तक एक और विरोध प्रदर्शन की किसान संगठनों की योजना से पहले केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि ये कानून किसानों के हित में लाए गए है पर उनके मन में अब भी कोई आशंका है तो वह उन शंकाओं को दूर करने के लिए उनके साथ संवाद करने को तैयार है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार ने यह कानून किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम दिलाने के लिए और विकल्प उपलब्ध कराने को लाया है, लेकिन पंजाब जैसे राज्य इस मामले में किसानों को ‘गुमराह’ कर रहे हैं।
संसद के सितंबर में इन तीन कानूनों को पारित करने के बाद से कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ और पंजाब में किसान इनका विरोध कर रहे हैं। इन तीनों राज्यों ने केंद्र के कानून को निष्प्रभावी बनाने के लिए अपने कानून लाए हैं।