Prabhat Times
नई दिल्ली। (Black Fungus) गुजरात के सूरत में डॉक्‍टरों के सामने ऐसा अनोखा मामला आया है जहां कोरोना से सही होने के बाद 23 साल के एक मरीज के दिमाग में ब्‍लैक फंगस या म्‍यूकरमाइकोसिस पाया गया। हैरानी की बात यह है कि ब्‍लैक फंगस का संक्रमण फेफड़ों, साइनस और आंखों में बिल्‍कुल नहीं था जहां आमतौर पर पाया जाता है। डॉक्‍टरों का कहना है कि यह अपनी तरह का पहला मामला है।
इसे देखते हुए ब्‍लैक फंगस का इलाज करने वाले डॉक्‍टरों की सलाह है कि मरीजों को एमआरआई स्‍कैन कराना चाह‍िए। ऐसा इसलिए क्‍योंक‍ि दिमाग में फैला संक्रमण तब पता चलता है जब या तो मरीज को मिर्गी के दौरे पड़ने लगें या वह बेहोश हो जाए।
इस मामले में डॉक्‍टरों का अनुमान है कि मरीज के शरीर में ब्‍लैक फंगस का इन्‍फेक्‍शन खून के जरिए ब्रेन तक पहुंच गया होगा। अहम बात यह है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की अडवाइजरी में भी दौरे पड़ने और दिमाग में सूजन का जिक्र नहीं है।

किसे हो सकता है ब्लैक फंगस?

  • कोविड के दौरान जिन्हें स्टेरॉयड्स- मसलन डेक्सामिथाजोन, मिथाइल, प्रेडनिसोलोन आदि दी गई हों।
  • कोविड मरीज को ऑक्सिजन सपॉर्ट पर या आईसीयू में रखना पड़ा हो।
  • कैंसर, किडनी, ट्रांसप्लांट आदि की दवाएं चल रही हों।

ब्लैक फंगस के लक्षण

  • बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो या सांस फूल रही हो।
  • नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।
  • आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए।
  • चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो।
  • दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करे।
  • उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए।

क्या करें

ब्लैक फंगस के कोई लक्षण नजर आए तो तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जन विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं ताकि जल्दी इलाज शुरू हो सके।

सावधानियां

  • खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें।
  • लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी शुरू होते स्टेरॉयड शुरू न करें। इससे बीमारी बढ़ सकती है।
  • स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद, केवल गंभीर मरीजों को। इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी हैं।
  • इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं।
  • स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।
  • घर पर अगर ऑक्सिजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नॉर्मल स्लाइन डालें, बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।

देश में 126 लोगों की मृत्यु

म्यूकरमाइकोसिस के चलते देशभर में अब तक 126 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा अब तक इस फंगल इंफेक्शन (Fungul Infection) ने करीब 5500 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है. मौतों के लिहाज से महाराष्ट्र (Maharashtra) टॉप पर बना हुआ है.
अब तक कई राज्यों ने इस संक्रमण को महामारी घोषित कर दिया है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कई राज्य इस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी की कमी का सामना कर रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में लगभग 5500 लोग ब्लैक फंगस से जूझ रहे हैं. इनमें से 126 लोगों की मौत भी हो चुकी है. अकेले महाराष्ट्र में ही 90 लोग इस फंगल इंफेक्शन से अपनी जान गंवा चुके हैं.
इसके अलावा हरियाणा में यह आंकड़ा 14 और उत्तर प्रदेश में 8 पर है. सभी 8 मरीजों की मौत राजधानी लखनऊ में ही हुई. हाल ही में बिहार के पटना में ब्लैक के बाद अब व्हाइट फंगस के मरीज भी मिले हैं.

पंजाब में भी हो रहा है संक्रमण

पता चला है कि पंजाब में भी ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आ चुके हैं। राज्य में महामारी घोषित कर दी गई है। बताया जा रहा है कि कोरोना को हॉट स्पाट जिला जालंधर में भी कुछ मामले डिटेक्ट हुए हैं। जिनका ईलाज विभिन्न प्राईवेट अस्पताल में हुआ है।

दवा को लेकर भी आ रही मुश्किलें

रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली, तेलंगाना, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गोवा, गुजरात, कर्नाटक और केरल जैसे कम से कम 10 राज्यों ने कहा है कि उनके यहां दवा खत्म हो चुकी है या स्टॉक तेजी से खत्म हो रहा है. इनमें से कुछ राज्यों ने कहा है कि निजी फार्मेसी में भी कोई स्टॉक नहीं है. इधर, महाराष्ट्र में देश ब्लैक फंगस से मौत के 70 प्रतिशत से ज्यादा मामले हैं. म्यूकरमाइकोसिस के 1500 मामले अब तक यहां मिल चुके हैं.

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