नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान काम को सुविधाजनक बनाने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लगातार कई घोषणाएं करता रहा है।
बुधवार को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा कि उसने शेड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों के लिए अपने किसी ग्राहक द्वारा दाखिल की गई इनकम टैक्स रिटर्न को देखने की सुविधा शुरू कर दी है।
बैंक संबंधित ग्राहक के परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) के मुताबिक उसकी दाखिल रिटर्न के बारे में जानकारी ले सकेंगे।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि आंकड़ों से पता चला है कि भारी मात्रा में कैश निकालने वाले व्यक्तियों ने कभी भी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं की।
इस सुविधा से रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले लोगों पर नजर रखी जा सकेगी। जो रिटर्न दाखिल नहीं करते उनके कैश निकासी पर नजर रखने के साथ ही कालेधन पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए वित्त विधेयक 2020 में एक जुलाई 2020 से रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों के लिए टीडीएस को अमल लाने के लिहाज से कैश निकासी की सीमा को घटकर 20 लाख रुपए कर दिया गया।
इस संबंध में इनकम टैक्स कानून 1961 में वित्त विधेयक में संशोधन किया गया। इसमें रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों की एक करोड़ रुपए से अधिक की कैश निकासी पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) 05 फीसदी की ऊंची दर से काटने का भी प्रावधान किया गया।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 31 अगस्त को जारी एक अधिसूचना में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की उस लिस्ट में शामिल कर दिया है जिनके साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सूचनाएं साझा कर सकता है।