Prabhat Times
चंडीगढ़। (Ayushman Bharat) लोगों की सुविधा के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई गई आयुष्मान भारत योजना के तहत जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला के प्राईवेट व सरकारी अस्पतालों द्वारा किए गए बड़े फ्राड का खुलासा विजीलैंस ब्यूरो ने किया है। विजीलैंस ब्यूरो की जांच में खुलासा हुआ है कि अस्पतालों द्वारा करोड़ों के फर्जी बिल बना कर क्लेम लिए गए हैं। विजीलैंस ब्यूरो का खुलासा होने के पश्चात करोड़ों के क्लेम रद्द करवा दिए गए हैं और अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने राज्य के कुछ प्राईवेट अस्पतालों द्वारा प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के अधीन लाभार्थियों का इलाज करने के नाम पर फर्जी डॉक्टरी बिलों के द्वारा प्रतिपूर्ति के दावों में करोड़ों रुपए की घपलेबाज़ी करके मोटी रकमों के बीमा क्लेम हासिल किए जाने का पर्दाफाश किया है।
इस दौरान अधिकृत इफको टोकियो बीमा कंपनी द्वारा सरकारी अस्पतालों के बीमा क्लेम भारी मात्रा में रद्द कर दिए गए, जिस कारण राज्य सरकार के खज़़ाने को करोड़ों का घाटा पड़ा है।
विजीलैंस ब्यूरो के मुख्य डायरैक्टर और डी.जी.पी. बी.के. उप्पल ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना में चल रहे इस घोटाले की हर पक्ष से गहराई तक जाँच करने एक विजीलैंस इन्कुआरी दर्ज की गई है, जिससे इस योजना के अधीन प्राईवेट अस्पतालों द्वारा की जा रही बड़ी घपलेबाज़ी करके अपने आप को वित्तीय लाभ पहुँचाने संबंधी की जा रही अनियमितताओं का पर्दाफाश किया जा सके और सरकारी अस्पतालों के बीमा क्लेम रद्द करने के कारणों की जाँच की जा सके।
उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में दलजिन्दर सिंह ढिल्लों एस.एस.पी. विजीलैंस ब्यूरो, जालंधर रेंज जालंधर द्वारा एकत्रित की गई प्राथमिक जाँच के अनुसार आयुष्मान भारत स्कीम के अंतर्गत जालंधर, होशियारपुर और कपूरथला के कई बड़े नामी अस्पतालों द्वारा स्मार्ट स्वास्थ्य कार्ड धारकों के नाम पर मोटी रकमों के फर्जी डॉक्टरी बिल तैयार करके बड़े स्तर पर घपलेबाज़ी करके बीमा क्लेम हासिल किए जा रहे हैं। इन तीन जि़लों में कुल 35 सरकारी अस्पताल और 77 प्राईवेट अस्पताल इस योजना के अधीन राज्य सरकार द्वारा सूचीबद्ध किए गए हैं।
उप्पल ने बताया कि प्राथमिक जाँच में यह बात सामने आई है कि जि़ला कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी कस्बे में चल रहे एक नामी अस्पताल (जाँच प्रभावित न हो इस कारण नाम नहीं दिया जा रहा) ने इस साल के दौरान करीब 1282 व्यक्तियों के इलाज के लिए कुल 4,43,98,450 रुपए का बीमा क्लेम किया गया।
जिसमें से इस अस्पताल के 519 दावे रद्द हो गए और बाकी बचे मामलों में से कुल 4,23,48,050 रुपए के दावे स्टेट हैल्थ अथॉरिटी पंजाब द्वारा पास किए गए हैं। पास हुई इस राशि 4,43,98,450 रुपए में से अब तक 1,86,59,150 रुपए की रकम की अदायगी बीमा कंपनी ‘इफको टोकियो’ द्वारा उक्त अस्पताल को की जा चुकी है।
उन्होंने बताया कि इस नामी अस्पताल द्वारा उक्त योजना के अंतर्गत एक मरीज़ के इलाज के बदले उसके परिवार के अन्य व्यक्तियों का दाखि़ला अस्पताल में दिखा कर झूठे बीमा क्लेम हासिल किए गए हैं।
फर्जीवाड़े में शामिल हैं जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला के निजी अस्पताल
उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में जि़ला जालंधर, होशियारपुर और कपूरथला के नामी प्राईवेट अस्पतालों द्वारा बड़े स्तर पर इस तरह के फर्जीवाड़े को अंजाम देकर इफको टोकियो बीमा कंपनी से नकली क्लेम हासिल किए गए हैं और किए जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार जालंधर, होशियारपुर और कपूरथला जिले के 77 प्राईवेट अस्पतालों के 4,828 दावा इफको टोकियो हैल्थ इंशोरैंस कंपनी द्वारा पिछले एक साल के दौरान संदिग्ध होने पर रद्द किए गए हैं। इन रद्द किए गए दावों की कुल राशि 5,59,96,407 बनती है। इतने बड़े स्तर पर इन दावों का संदिग्ध होना विजीलैंस ब्यूरो की जाँच के दायरे में लाया गया है।
इसके अलावा जालंधर, होशियारपुर और कपूरथला जि़ले के 35 सरकारी अस्पतालों के 1,015 दावे इफको टोकियो हैल्थ इंशोरैंस कंपनी द्वारा पिछले एक साल के दौरान रद्द किए गए हैं। इन रद्द हुए दावों की कुल राशि 52,06,500 बनती है। सरकारी अस्पतालों में किए गए इलाज के क्लेम रद्द होना भी अपने आप में हैरानी भरा है, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में किए गए इलाज का क्लेम किसी व्यक्ति विशेष को न जाकर राज्य सरकार के खाते में जाता है।
उप्पल ने बताया कि इस जाँच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि इफको टोकियो बीमा कंपनी द्वारा जि़ला जालंधर, होशियारपुर और कपूरथला के कई सरकारी अस्पतालों के बीमा क्लेम सम्बन्धी जि़ला डिप्टी मैडीकल कमिश्नरों और सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही के कारण भारी मात्रा में रद्द किए गए हैं, जिसका मुख्य कारण बीमा कंपनी द्वारा सरकारी अस्पतालों के क्लेम रद्द करके कम से कम राशि बतौर क्लेम सरकारी अस्पतालों के खातों में न डालना और अधिक से अधिक अनचाहा वित्तीय लाभ लेना हो सकता है।
ऐसा होने के कारण पिछले करीब एक साल के दौरान अब तक कुल 52,06,500 रुपए की राशि जोकि पंजाब सरकार को बतौर दावा मिलनी चाहिए थी, नहीं मिली है और स्टेट हैल्थ अथॉरिटी की लापरवाही के कारण सरकारी अस्पतालों के कई क्लेम रद्द हो चुके हैं, जिस कारण उपरोक्त तीनों जि़लों में ही केवल एक साल के दौरान पंजाब सरकार को करीब 52,06,500 रुपए के वित्तीय घाटे का अनुमान है। इसके अलावा अन्य प्राईवेट अस्पतालों द्वारा इस सेहत बीमा योजना के अधीन क्लेम किए गए करोड़ों रुपए भी संदिग्ध तौर पर जाँच के दायरे में हैं।
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