Prabhat Times
चंडीगढ़। (All Party Meeting, Punjab) पंजाब के मुख्यमंत्री स. चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा सोमवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार द्वारा राज्य में अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ लगने वाले इलाकों में बी.एस.एफ. का अधिकार क्षेत्र 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर किए जाने के फ़ैसले का कानूनी और राजनैतिक तौर पर सख़्त विरोध करने का प्रण लिया गया, जिससे 11 अक्टूबर, 2021 को जारी किए गए नोटिफिकेशन से पहले की स्थिति बहाल हो सके।
बैठक की शुरुआत में पंजाब के शहीद सैनिकों की याद में दो मिनट का मौन भी रखा गया, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में अपनी ड्यूटी निभाते हुए देश की एकता और अखंडता की रक्षा करते हुए शहादत दे दी। मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जल्द ही इस संवेदनशील मुद्दे पर पंजाब विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा और राज्यपाल को यह सत्र जल्द से जल्द बुलाने के लिए सिफारिश की जाएगी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार की सलाह के बिना लिए गए एक तरफा फ़ैसले के खि़लाफ़ एक याचिका दायर की जाएगी, क्योंकि यह कदम राज्य के कानूनी हकों की घोर उल्लंघना है और संघीय ढांचे की भावना के विरुद्ध है।
किसानों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि तीनों ही काले कृषि कानून राज्य विधान सभा के आगामी सत्र में सिरे से रद्द कर दिए जाएंगे। राजनैतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श के बाद यह फ़ैसला लिया गया कि प्रधानमंत्री से मिलने के लिए समय माँगा जाए जिससे मुख्यमंत्री हरेक राजनैतिक पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री के पास जाएँ और उनको इस फ़ैसले पर पऩ: विचार करते हुए बी.एस.एफ. का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने वाला नोटिफिकेशन वापस लेने के लिए अपील करें।
राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की माँग पर चन्नी ने उनको भी अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए ग़ैर-भाजपा सरकारों और अन्य राजनैतिक पदों के साथ ख़ासकर पश्चिमी बंगाल और राजस्थान राज्यों में, संपर्क करने के लिए कहा। उन्होंने आगे कहा कि वह इस मुद्दे को बाकी राज्यों के अपने समकक्ष नेताओं के समक्ष भी उठाएंगे, जिस केंद्र सरकार पर यह फ़ैसला, जोकि केंद्र-प्रांतीय संबंधों पर सीधा हमला है, वापस लेने के लिए दबाव डाला जा सके।
मेरी सादगी, नम्रता को कमजोरी न समझे-चन्नी
सी.एम. चरणजीत चन्नी ने कहा, ‘‘आप मेरी नसें काट कर देख सकते हो कि इनमें पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के प्रति कितना गहरा जज़्बा है और मैं अपने राज्य और इसके लोगों की खातिर मुख्यमंत्री की कुर्सी की भी परवाह नहीं करूँगा। मेरी सादगी और नम्रता को मेरी कमज़ोरी समझने की गलती न करो और मैं यह यकीन दिलाता हूँ कि मेरे राज्य में शान्ति, सद्भाव और भाईचारे के माहौल को किसी भी कीमत पर खऱाब नहीं होने दिया जाएगा।’’
सभी राजनैतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे का जोरदार विरोध करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव के पास किया। भाजपा के बिना हुई इस मीटिंग में पास किए गए प्रस्ताव के मुताबिक ‘‘पंजाब शहीदों और शूरवीरों की धरती है। देश की आजादी की जंग में और 1962, 1965, 1971 और 1999 की जंगों में पंजाबियों ने बेमिसाल बलिदान दिये हैं। देश में सबसे अधिक वीरता पुरुस्कार पंजाबियों को मिले हैं। पंजाब पुलिस दुनिया में ऐसी बेमिसाल देशभगत पुलिस फोर्स है जिसने हमेशा साहस और हौंसले से देश की एकता और अखंडता को बरकरार रखने के लिए अपना योगदान डाला है।
भारत के संविधान के अनुसार कानून व्यवस्था बनाकर रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और पंजाब सरकार इस मंतव्य के लिए पूरी तरह समर्थ है। केंद्र सरकार की तरफ से बी.एस.एफ. का अधिकार क्षेत्र 15 किलोमीटर से बड़ा। कर 50 किलोमीटर करना पंजाब के लोगों और पंजाब की पुलिस और अविश्वसनीयता का प्रगटावा है और उनका अपमान है।
केंद्र सरकार को इतना बड़ा। फैसला लेने से पहले पंजाब सरकार के साथ विचार -विमर्श करना चाहिए था। अब तक भी केंद्र सरकार ने राज्य सरकार या राज्य के लोगों को यह बताने की जरूरत नहीं समझी की उन्होंने इन बड़ा। फैसला क्यों लिया। यह संघीय ढांचे की भावना का घोर उल्लंघन है। पहले केंद्र सरकार ने तीन काले कृषि कानून बना कर पंजाब की किसानी पर डाका मारा और अब बी.एस.एफ. का अधिकार क्षेत्र बढ़ाना एक संकुचित राजनीति है। पंजाब की सभी राजनैतिक पार्टियों ने सर्वसम्मति केंद्र सरकार की इस कार्यवाही की निंदा की और केंद्र सरकार से मांग की की वह तारीख 11 अक्तूबर, 2021 को गृह मंत्रालय की तरफ से जारी की नोटिफिकेशन को तुरंत वापिस लें।’’
सर्वदलीय मीटिंग के दौरान काले कृषि कानूनों के खि़लाफ़ एक और प्रस्ताव सर्वसम्मति के पास किया गया जिसके मुताबिक, ‘‘पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है। पंजाब के लहराते खेत ही पंजाब की खुशहाली का बड़ा। कारण हैं। परंतु आज से लगभग एक साल पहले केंद्र सरकार ने तीन काले कानून बना कर पंजाब और पंजाब की कृषि और किसानी पर एक बड़ा। डाका मारा जिसका उस दिन से आज तक हर पंजाबी मुकम्मल तौर पर विरोध कर रहा है और देश के किसानों और खेत मजदूरों का एक बहुत बड़ा। जलसा लम्बे समय से काले कानूनों को वापिस कराने के लिए देश की राजधानी के बॉर्डर पर शांतमयी आंदोलन कर रहा है। आज इस किसान आंदोलन को चलते लगभग एक साल से अधिक का समय हो चुका है और इसमें देश के 700 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं। परंतु फिर भी केंद्र सरकार ने इस मसले को हल करने के लिए कोयी भी लाभप्रद प्रयास नहीं किये हैं। आज इक_े हुयी पंजाब की सभी राजनैतिक पार्टियां सर्वसम्मति से प्रस्ताव के पास करके मांग करती हैं की केंद्र सरकार तीनों काले कानून तुरंत वापिस ले।’’
इससे पहले डिप्टी सी.एम. सुखजिन्द्र रंधावा ने केंद्र सरकार के इस मनमाने कदम से निकलने वाले नतीजों के बारे जानकारी देते हुये कहा की राज्य पर थोपे गए इस फैसले से नसिर्फ़ पुलिस फोर्स का मनोबल टूटेगा बल्कि बी.एस.एफ. के साथ अनावश्यक टकराव भी पैदा होगा। उन्होंने कहा की अमन -कानून की व्यवस्था प्रांतीय विषय है और केंद्र सरकार ने इस संवेदनशील मुद्दे पर हमारी सलाह तक भी नहीं पूछी जो राज्य के हकों पर सीधा डाका मारा गया जिससे संविधान के संघीय ढांचे के साथ छेड़छाड़ की गई है।
सर्वदलीय मीटिंग में विचार प्रकट करने वालों में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू, आम आदमी पार्टी के प्रधान भगवंत मान, विरोधी पक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा, सीनियर अकाली नेता और पूर्व संसद मेंबर प्रेम सिंह चन्दूमाजरा, पूर्व शिक्षा मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा, शिरोमनि अकाली दल (संयुक्त) बीर दविन्दर सिंह, सी.पी.आई. (एम) के सुखविन्दर सिंह सेखों, सी.पी.आई. के बंत सिंह बराड़, टी.एम.सी. पंजाब यूनिट के मनजीत सिंह मोहाली, बसपा के नछत्रपाल, आप विधायक अमन अरोड़ा, लोक इंसाफ पार्टी के प्रधान और विधायक सिमरजीत सिंह बैंस, शिरोमनि अकाली दल (1920) के हरबंस सिंह और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी गुरिन्दर सिंह शामिल थे। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री ओ.पी. सोनी, कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा, मनप्रीत सिंह बादल, विजय इंद्र सिंगला, प्रगट सिंह और रणदीप सिंह नाभा और फतेहगढ़ साहिब से विधायक और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वर्किंग प्रधान कुलजीत सिंह नागरा उपस्थित थे।
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