Prabhat Times
New Delhi नई दिल्ली। (bsp mayawati will fight lok sabha election alone) बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन (15 जनवरी) को बड़ा ऐलान किया है।
उन्होंने साफ कर दिया है कि 2024 का चुनाव बसपा अकेले ही लड़ेगी। किसी गठबंधन या पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
यानी, बसपा के INDIA गठबंधन में शामिल होने की कयासबाजी पर विराम लग गया है। उन्होंने कहा- गठबंधन से फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है।
उन्होंने कहा- ‘पिछले महीने मैंने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।
इसके बाद मीडिया में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि मैं जल्द ही राजनीति से संन्यास लेने वाली हूं। लेकिन मैं बताना चाहूंगी कि इन अटकलों में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है।’
मायावती के ऐलान से अकाली दल को झटका
चंडीगढ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती द्वारा पूरे देश में अकेले लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने का ऐलान करने से पंजाब की राजनीति गरमा गई है।
वहीं, इससे साफ हो गया कि पंजाब में अब बसपा की शिरोमणि अकाली दल से भी राह अलग होगी।
सूत्रों की माने तो काफी समय से दोनों दलों के रिश्ते मधुर नहीं चल रहे थे। हालांकि, यह ऐलान अकाली दल के लिए झटके से कम नहीं है।
क्योंकि अभी तक पार्टी का किसी भी दल से समझौता नहीं हुआ है। जबकि, बसपा के साथ वह गठबंधन में थे। हालांकि, अभी तक दोनों दलों के प्रदेश नेताओं का कोई बयान नहीं आया है।
ऐसे दोनों दल आए थे एक साथ
तीन कृषि कानूनों के चलते हुए संघर्ष के बाद भाजपा और शिअद की राह गत विधानसभा चुनाव के समय अलग हो गई थी। इसके बाद अकाली दल और बसपा में गठबंधन हुआ था।
दोनों दलों ने विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था, जिसमें अकाली दल को तीन और बसपा को एक सीट मिली। लेकिन काफी समय से दोनों के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे।
आरोप थे कि दोनों की मीटिंग तक नहीं हो रही है। साथ ही अकाली दल द्वारा अपने प्रोग्राम में बसपा नेताओं को शामिल तक नहीं किया जाता है।
20 सीटों पर बसपा ने लड़ा था चुनाव
2022 के चुनाव की बात करें तो सिर्फ 20 सीटों पर लड़ते हुए बसपा के नछत्तर पाल ने नवांशहर से जीत दर्ज की थी।
वहीं, दूसरी तरफ अकाली दल ने 97 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उनके खाते में सिर्फ तीन सीटें ही आई थीं।
इतना ही नहीं 2017 के मुकाबले इस साल बसपा का वोट शेयर भी बढ़ा था।
2017 में जहां 1.5 प्रतिशत वोट BSP को पड़े थे, वहीं 2022 में बसपा का वोट शेयर बढ़ कर 1.77% हो गया था। अकाली दल का वोट प्रतिशत लगातार कम हो रहा है।
1997 के बाद BSP ने खोला था खाता
बीते चुनावों की बात करें तो बसपा ने 1997 के बाद पहली बार 2022 के चुनाव में पंजाब में अपना खाता खोला था।
2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक को छोड़कर बाकी कोई भी जमानत हीं बचा पाया था।
2012 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बसपा ने 109 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई थी।
25 साल बाद हुआ था गठबंधन
2022 के चुनाव में दोनों दलों ने 25 साल बाद हाथ मिलाया था।
इससे पहले दोनों पार्टियों ने 1996 में साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था।
उस समय गठबंधन ने राज्य की 13 लोकसभा सीटों में से 11 पर जीत दर्ज की थी।
फिर अकेला हुआ अकाली दल
बसपा के इस फैसले के बाद अकाली दल एक बार फिर अकेला हो गया है।
2021 में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान अकाली दल ने बीजेपी के साथ गठजोड़ तोड़ लिया था।
तब भी अकाली दल अकेले पड़ गई थी। अंत में 2022 चुनाव में उन्हें बसपा का साथ मिला, जो अब मायावती की घोषणा के बाद फिर से राह अलग होगी।
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