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नई दिल्ली। (earthquake delhi ncr jammu kashmir) रात 9 बजकर 34 मिनट पर राजधानी दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में तेज भूंकप के झटके महसूस किए गए है.

इसका केंद्र जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग को बताया जा रहा है. दिल्ली-NCR में शनिवार देर शाम भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए.

भूकंप के झटकों की तीव्रता 5.5 रही. देर शाम 9 बजकर 34 मिनट पर ये झटके महसूस किए गए है.

सामने आया है कि भूकंप का केंद्र जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में था. अभी तक किसी तरह के जान-माल की हानि की जानकारी नहीं मिली है.

5.5 तीव्रता का भूकंप मध्यम तीव्रता का भूकंप माना जाता है. हालांकि झटके महसूस होने के बाद लोगों में अफरा-तफरी का माहौल देखा गया.

क्यों आता है भूकंप? 

धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है.

इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है.

अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है.

यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है.

कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं. इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है.

कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते. जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है.

भूकंप के बाद क्यों बार-बार झटके महसूस हो रहे हैं?

भूकंप के बाद अक्सर कई झटके आते हैं, जो घंटों या कई दिनों तक जारी रहते हैं।

ये झटके भूकंप के कारण हुई क्षति में और बढ़ोतरी करते हैं।

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, झटके भूकंप की ही एक कड़ी होते हैं जो किसी फॉल्ट पर एक बड़े भूकंप के बाद आते हैं।

झटके फाल्टलाइन (जहां चट्टानों के बीच छिद्र होता है) के पास आते हैं।

हालांकि, झटके मुख्य भूकंप की तुलना में कमजोर होते हैं, लेकिन ये व्यापक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

तुर्किये में मुख्य भूकंप के कारण पहले से ही कमजोर हो चुकी इमारतें, झटकों से पूरी तरह से जमींदोज हो गईं।

विशेषज्ञों का कहना है कि तुर्की में 7.5 तीव्रता का बड़ा झटका वास्तव में अधिक विनाशकारी हो सकता था।

यह झटका हल्का और कम गहरा था। मुख्य भूकंप 17.9 किमी गहराई पर आया था।

सतह से निकटता के कारण हल्के भूकंप आमतौर पर गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक तीव्र महसूस किए जाते हैं।

झटके राहत और बचाव कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं, कभी-कभी तो बचावकर्मी भी इसकी चपेट में आ जाते हैं।

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