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मुंबई। (gazal singer bhupinder singh death) मशहूर गजल गायक भूपिन्दर सिंह का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 82 साल के थे।
उनकी पत्नी और गायिका मिताली सिंह ने बताया कि भूपिंदर सिंह का सोमवार शाम मुंबई में निधन हो गया।
भूपिन्दर सिंह का जन्म पंजाब प्रान्त की पटियाला रियासत में 8 अप्रैल 1939 को हुआ था।
उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह पंजाबी सिख थे।
वे बहुत अच्छे संगीतकार थे, लेकिन मौसिकी सिखाने के मामले में बेहद सख्त उस्ताद थे। संगीत
अपने पिता की सख्त मिजाजी देखकर शुरुआती दौर में भूपिन्दर को संगीत से नफरत सी हो गई थी।
एक वह भी जमाना था, जब भूपिन्दर को संगीत बिल्कुल पसंद नहीं था।

संगीतकार मदन मोहन ने बुलाया मुंबई

कुछ समय बाद उनका इंट्रेस्ट जगा और वह अच्छी गजलें गाने लगे।
सबसे पहले उनकी गजलें आकाशवाणी में चली, इसके बाद उन्हें दिल्ली के दूरदर्शन में अवसर मिला।
साल 1968 में संगीतकार मदन मोहन ने ऑल इंडिया रेडियो पर उनका कार्यक्रम सुनकर उन्हें मुंबई बुला लिया था।
पहली फिल्म में गाने से नहीं मिली थी ज्यादा पहचान
सबसे पहले उन्हें फिल्म हकीकत में मौका मिला था, जहां उन्होंने “होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा” गजल गाई थी।
यह गजल तो हिट हुई, लेकिन भूपिंदर सिंह को कोई खास पहचान नहीं मिली।
गजल हिट होने के बाद भी कम बजट की फिल्मों के लिए गजलें गाते रहे।
1978 में उन्होंने ’वो जो शहर था नाम’ से गजल गाई, जिसके बाद उन्हें अच्छी-खासी शोहरत मिली थी।

दिल ढूंढता है.. जैसे गीत से मिली पहचान

भूपिंदर सिंह को मौसम, सत्ते पे सत्ता, आहिस्ता आहिस्ता, दूरियां, हकीकत और कई अन्य फिल्मों में उनके यादगार गीतों के लिए याद किया जाता है।
उनके कुछ प्रसिद्ध गीत- होके मजबूर मुझे, उसे बुलाया होगा… दिल ढूंढता है… दुकी पे दुकी हो या सत्ते पे सत्ता… से बॉलीवुड और संगीत की दुनिया में पहचान मिली।

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