Prabhat Times
नई दिल्ली। (If there is a war in Russia-Ukraine, then these things will become expensive in India) रूस और यूक्रेन के बीच अगर युद्ध होता हैं या फिर तनाव लंबे समय तक खिंचता है तो इसका सीधा असर भारत के आम आदमी पर भी पड़ सकता है. कुछ आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि तय है.
विशेषज्ञों का मनना है कि प्राकृतिक गैस से लेकर गेहूं सहित विभिन्न अनाजों की कीमतों में इजाफा होगा. यूक्रेन-रूस (Ukraine-Russia) संकट ने ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत को 96.7 डॉलर प्रति बैरल पर धकेल दिया है, जो सितंबर 2014 के बाद से सबसे अधिक है. आपको बता दें कि रूस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है.
प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ेंगी
मौजूदा संकट से आने वाले दिनों में कीमतों में 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है. कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का वैश्विक जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मॉर्गन के विश्लेषण में कहा गया है कि तेल की कीमतों में 150 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से वैश्विक जीडीपी विकास दर घटकर सिर्फ 0.9 फीसदी रह जाएगी.
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर रूस और यूक्रेन (Russia-ukraine) के बीच युद्ध होता है तो घरेलू प्राकृतिक गैस (सीएनजी, पीएनजी, बिजली) की कीमत दस गुना बढ़ सकती है.
एलपीजी और केरोसिन पर बढ़ेगी सब्सिडी
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से एलपीजी (LPG) और केरोसिन पर सब्सिडी बढ़ने की उम्मीद है.
पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी बढ़ेंगी
हाल के कुछ वर्षों में कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण पूरे भारत में पेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel) की कीमतों में काफी इजाफा देखने को मिला है. भारत ने 2021 में ईंधन की कीमतों के मामले में रिकॉर्ड ऊंचाई देखी. यदि रूस-यूक्रेन संकट जारी रहता है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल (Petrol Diesel) की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है.
आपको बता दें कि तेल भारत के कुल आयात का लगभग 25 प्रतिशत है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है. तेल की कीमतों में तेजी का असर चालू खाते के घाटे पर पड़ेगा.
गेहूं के भी बढ़ सकते हैं दाम
यदि काला सागर क्षेत्र से अनाज के प्रवाह में रुकावट आती है, तो विशेषज्ञों को डर है कि इसका कीमतों और ईंधन खाद्य मुद्रास्फीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है. रूस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक है जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है.
दोनों देशों का गेहूं, कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, आपूर्ति श्रृंखलाओं पर महामारी के प्रभाव के कारण बड़े पैमाने पर खाद्य कीमतें एक दशक से भी अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं. आने वाले दिनों में ऊर्जा और खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है.
धातुओं की कीमतें भी बढ़ेंगी
रूस पर प्रतिबंधों की आशंकाओं के बीच, पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम और मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमत हाल के हफ्तों में बढ़ गई है. पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है.
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